उस वक्त ‘जय-जय राजस्थान’ के नारे से भाजपा ने लोगों में प्रांतीयता का भाव भरा था। मगर अब विधानसभा चुनावों से पहले सत्तारूढ़ भाजपा तेजी से राष्ट्रवाद की तरफ अपने कदम बढ़ाती नजर आ रही है। ऊंचे लहराते झंडे, प्रतिमाओं की प्रशस्ति और राष्ट्रवाद का गौरव गान बताता है कि राजस्थान में भाजपा भावनाओं का जन ज्वार पैदा कर सत्ता संघर्ष में अपने पारंपरिक प्रतिस्पर्धी कांग्रेस को शिकस्त देना चाहती है। कुछ विश्लेषकों को लगता है यह व्यवस्था विरोधी रुझान थामने का एक योजनाबद्ध प्रयास है। मगर भाजपा का कहना है कि हिंदुत्व तो हमेशा उसका मुद्दा रहा है। इसके साथ भाजपा राज्य में विकास कार्यों को भी मतदाता के सामने रखेगी।
पिछले कुछ समय में राजस्थान में जब किसानों ने सरकार के खिलाफ मोर्चाबंदी की और अलग-अलग वर्ग अपनी मांगों को लेकर सड़कों पर नजर आया तो सहसा भावनात्मक मुद्दों का शोर भी तेज होने लगा। इसी माहौल में हिंदू अध्यात्म और सेवा संगठन ने जयपुर में बड़े पैमाने पर वंदेमातरम गान का आयोजन किया। इसमें पांच सौ संगीतकारों ने एक सौ से भी ज्यादा वाद्य यंत्रों के साथ जयपुर में वंदेमातरम के स्वर मुखरित किए। इस कार्यक्रम में पचास हजार विद्यार्थियों और बीस हजार नागरिकों ने अपनी हाजिरी दी। हालांकि इसमें मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे दिल्ली में अपनी व्यस्तता के कारण मौजूद नहीं थीं। मगर पार्टी संगठन के प्रमुख लोग और मंत्री हाजिर थे। इसके पहले जयुपर के मेयर अशोक लाहोटी ने एक फरमान जारी कर नगर निगम में कर्मचारियों को पाबंद किया कि वे काम से पहले रोज सुबह जन गण मन और शाम के समय वंदेमातरम गान जरूर करें।
पिछले कुछ समय की घटनाएं और गतिविधियां बताती हैं कि सत्तारूढ़ भाजपा ने ऐसे कार्यक्रमों पर खासा काम किया है। राज्य सरकार ने सभी विश्वविद्यालयों में राष्ट्रीय झंडे को फहराना पहले ही जरूरी कर दिया था। मगर हाल में कॉलेज निदेशालय ने एक परिपत्र जारी कर सभी कॉलेज प्राचार्यों को कहा कि वे अपने परिसर में विवेकानंद या किसी प्रेरणादायी व्यक्तित्व की प्रतिमा स्थापित करें। विवेकानंद पहले से ही भाजपा और उसके मित्र संगठनों की प्राथमिकता रहे हैं। इसी के साथ कॉलेज निदेशालय ने कॉलेजों को निर्देशित किया है कि वे अपने विद्यार्थियों को शैक्षणिक भ्रमण के लिए उदयपुर स्थित महाराणा प्रताप गौरव केंद्र की यात्रा करवाएं।
विपक्षी कांग्रेस का कहना है कि भाजपा अपनी सरकार की विफलताओं और अकर्मण्यता को ढकने को ऐसे ही उपायों का सहारा लेगी। कांग्रेस के मुख्य सचेतक गोविंद डोटासरा कहते हैं, “राजस्थान में सभी वर्ग सरकार से नाराज हैं। सरकार ने गरीब अवाम के लिए कुछ नहीं किया। इसके बाद नोटबंदी और जीएसटी ने अर्थव्यवस्था की कमर तोड़ दी। किसान खुदकशी कर रहे हैं। ऐसे में भाजपा भावनात्मक मुद्दों को उछाल कर अपनी नाकामयाबियों पर पर्दा डालना चाहती है। मगर यह अब चलेगा नहीं।”
इन आरोपों से उलट भाजपा के प्रवक्ता और विधायक अभिषेक मटोरिया कहते हैं, “हिंदुत्व और राष्ट्रवाद हमेशा से भाजपा के लिए महत्वपूर्ण रहे हैं। हमारी सरकार ने राज्य में विकास के मोर्चे पर इतना कुछ किया है कि हम फिर चुनाव जीतेंगे। कांग्रेस के आरोप निराधार हैं।” मटोरिया कहते हैं कि सरकार की लोकप्रियता में कोई कमी नहीं आई है।
भाजपा प्रवक्ता का कहना था कि राज्य में कोई वर्ग ऐसा नहीं है जो सरकार के कामकाज से प्रभावित न हो। लेकिन कुछ प्रेक्षक कहते हैं राजस्थान में हाल के महीनों में राज्य की भाजपा सरकार से ज्यादा पार्टी संगठन ने पहल अपने हाथ में ले रखी है। राज्य में भाजपा को पूर्णकालिक संगठन मंत्री मिलने के बाद इस काम में तेजी आई है। केंद्रीय नेतृत्व ने कुछ माह पहले ही चंद्रशेखर को संगठन मंत्री बना कर भेजा है। यह पद कोई आठ साल से खाली पड़ा था। राजस्थान में भाजपा की तैयारियां संकेत देती हैं कि अगले कुछ समय में इस तरह के कार्यक्रमों और गतिविधियों में और तेजी आएगी।