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नौकरशाहों पर दरियादिली

रमन सरकार ने एक अफसर को रिटायरमेंट के पहले कुछ घंटे के लिए प्रमुख सचिव बनाया, कई को प्रमोशन
मुख्यमंत्री रमन सिंह कर रहे हैं आइएएस अफसरों पर मेहरबानी

छत्तीसगढ़ नौकरशाहों के लिए स्वर्ग बन गया है। उनकी हर मुराद पूरी हो रही है। डॉ. रमन सिंह की सरकार अफसरों की इच्छा पूरी करने के लिए खूब दरियादिली दिखा रही है। 2000 बैच के आइएएस अधिकारी अशोक अग्रवाल सेवानिवृत्त होने के करीब चार महीने पहले से ही राज्य सूचना आयुक्त का पद रिजर्व करवाकर आबकारी आयुक्त की कमान संभाले हुए हैं। अग्रवाल जनवरी में रिटायर होने वाले हैं, पर उन्हें पांच साल के लिए सूचना आयुक्त का पद अगस्त मेंही मिल गया था। अब आइएएस अधिकारी गणेशशंकर मिश्रा का प्रमोशन चर्चा में है।

रमन सरकार ने 1994 बैच के आइएएस अधिकारी गणेशशंकर मिश्रा को 31 अक्टूबर को रिटायरमेंट के दिन केवल तीन घंटे के लिए ही सचिव से प्रमुख सचिव के लिए पदोन्नत किया। गणेशशंकर मिश्रा के मामले में सरकार ने नियम को शिथिल कर उन्हें करीब 19 महीने पहले प्रमोशन दे दिया। इसके पहले आर.एस. विश्वकर्मा को भी एक दिन के लिए प्रमुख सचिव बनाया गया था। जानकारों के अनुसार ऑल इंडिया सर्विस रूल के मुताबिक किसी आइएएस अधिकारी को 25 साल की सेवा के बाद ही प्रमुख सचिव बनाया जा सकता है। इसके लिए केंद्र सरकार की अनुमति भी जरूरी होती है। विश्वकर्मा की सेवा अवधि 25 साल पूरी नहीं हुई थी और केंद्र सरकार से अनुमति बाद में आई। गणेशशंकर मिश्रा के प्रमोशन के लिए केंद्र सरकार का अभी तक सहमति पत्र राज्य सरकार को नहीं मिला है। मंत्रालय के एक अधिकारी का कहना है कि मिश्रा के प्रमोशन के लिए केंद्र सरकार को काफी पहले पत्र लिख दिया गया था। अनुमति का लेटर आ जाएगा। लेकिन 25 साल की सेवा अवधि पूरी होने के बाद भी आइएएस अधिकारी जवाहर श्रीवास्तव एक दिन के लिए प्रमुख सचिव बन पाए थे। 

मिश्रा के प्रमोशन पर बखेड़ा न हो, इस वास्ते सरकार ने उनके एक बैच के ऊपर के अधिकारी और 1994 बैच के छत्तीसगढ़ काडर के सभी अधिकारियों को समय से पहले प्रमोशन दे दिया। इस बैच में मिश्रा का नाम सबसे नीचे था। उनसे पहले ऋचा शर्मा, निधि छिब्बर, विकासशील और मनोज पिंगुआ का नाम है। निधि छिब्बर और मनोज पिंगुआ केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर हैं। 1993 बैच के अधिकारी अमित अग्रवाल भी पदोन्नत कर दिए गए। अग्रवाल भी केंद्र सरकार में डेपुटेशन पर हैं। मिश्रा को प्रमोशन नहीं देना होता तो अभी उनको भी इंतजार करना पड़ता। गणेशशंकर मिश्रा मूलतः छत्तीसगढ़िया हैं।

वे मुख्यमंत्री रमन सिंह के गृह जिले राजनांदगांव और जगदलपुर के कलेक्टर रहे हैं। जगदलपुर के कलेक्टर रहते उन्होंने दफ्तर शुरू होने से पहले महात्मा गांधी के भजन गाने की परंपरा शुरू की थी। राज्य के जनसंपर्क कमिश्नर रहते मिश्रा ने रमन गोठ कार्यक्रम शुरू किया, जिसमें रेडियो के जरिए मुख्यमंत्री जनता से रूबरू होते हैं। कहा जा रहा है रमन गोठ से प्रभावित होकर रमन सिंह ने उन्हें समय से पहले और तीन घंटे के लिए प्रमोशन दे दिया। वे राज्य प्रशासनिक सेवा से आइएएस अधिकारी बने। मिश्रा डिप्टी कलेक्टर से आइएएस के तौर पर काम करते हुए प्रमुख सचिव के पद से रिटायर होने वाले जवाहर श्रीवास्तव के बाद राज्य के दूसरे अधिकारी हैं। जवाहर श्रीवास्तव राज्य सूचना आयुक्त रहे। विश्वकर्मा राज्य लेखा सेवा से आइएएस के तौर पर प्रमुख सचिव बने। इसके बाद छत्तीसगढ़ लोकसेवा आयोग के अध्यक्ष भी रहे। 

सरकार के करीबी लोगों का मानना है कि मिश्रा का प्रमोशन आइएएस अफसरों के लिए एक संदेश भी है। अच्छा काम करने वाले अधिकारियों को पुरस्कृत किया जाएगा और लापरवाही बरतने वालों को दंड मिलेगा। कुछ महीने पहले आइएएस अधिकारी रेणु पिल्लै को राजस्व विभाग से हटाकर संदेश दिया गया था। जूनियर आइएएस अधिकारियों को बड़े-बड़े विभागों का स्वतंत्र प्रभार देने का फैसला कर रमन सिंह ने सबको चौंका दिया था। इससे बड़े विभागों की उम्मीद लगाए सीनियर अफसरों को झटका लगा था।

माना जाता है कि एक दिन या फिर कुछ घंटों के लिए प्रमुख सचिव का ओहदा मिल जाने से पेंशन की राशि बढ़ जाती है और आगे की नियुक्ति या पुनर्नियुक्ति में बड़े पद का लाभ मिल जाता है। छत्तीसगढ़ में रिटायरमेंट के बाद नौकरशाहों के लिए हमेशा से कई दरवाजे खुले हैं। छत्तीसगढ़ के सेवानिवृत तीन मुख्य सचिव शिवराज सिंह, सुनील कुमार और सुयोग्य कुमार मिश्रा सरकार के अलग-अलग पदों पर काम कर रहे हैं। छत्तीसगढ़ विधानसभा के प्रमुख सचिव देवेंद्र वर्मा भी सेवानिवृति के बाद पिछले दो साल से संविदा पर है। इनके अलावा भी कई सेवानिवृत अधिकारी सरकारी पदों पर तैनात हैं। आने वाले दिनों में राज्य में रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी ( रेरा) के अध्यक्ष और सदस्य के पद भरे जाने है। गणेशशंकर मिश्रा को रेरा का सदस्य बनाए जाने की चर्चा है।

गणेशशंकर मिश्रा के प्रमोशन पर कांग्रेस ने आपत्ति की है। कांग्रेस प्रवक्ता आर पी सिंह का कहना है कि 31 अक्टूबर को सेवानिवृत हुए मिश्रा को सरकार ने नियम विरुद्ध पदोन्नति दी है। मिश्रा का कार्यकाल विवादों से घिरा रहा। उन पर कई गड़बड़ी के आरोप भी है। इससे साफ लगता है कि सरकार नौकरशाही के भारी दबाव में काम कर रही है। सरकार को साफ करना चाहिए कि छोटे अधिकारियों-कर्मचारियों के प्रति उसकी मंशा क्या है? लेकिन भाजपा प्रवक्ता संजय श्रीवास्तव का कहना है कि आइएएस अधिकारी अपना पूरा जीवन सरकार की सेवा में लगा देते हैं, उन्हें ऐसे प्रमोशन तो मिलना ही चाहिए। श्रीवास्तव का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने परफॉर्म न कर पाने वाले अधिकारियों को वालेंटरी रिटायरमेंट की पॉलिसी शुरू की है।

छत्तीसगढ़ में आइएएस ही नहीं आइपीएस अधिकारियों को भी सेवानिवृत्ति के एक दिन पहले प्रमोशन देने का काम हो चुका है। रमन सरकार ने ही आइपीएस अधिकारी आर. सी. पटेल और राजीव श्रीवास्तव को ऐसे ही प्रमोशन दे चुकी है, जिसके कारण उनके बैच के सभी अधिकारी समय से पहले आइजी से एडीजी बन गए थे। वैसे भी छत्तीसगढ़ में बड़े अधिकारियों को समय से पहले प्रमोशन देने की प्रथा बन गई है। आल इंडिया सर्विस रूल के मुताबिक 16 साल की सेवा वाले आइएएस सचिव और 13 साल की सेवा वाले विशेष सचिव बनने के पात्र हो जाते हैं, पर छत्तीसगढ़ में उससे पहले ही प्रमोट हो जाते हैं। नवंबर महीने में  सरकार ने 2002 बैच के आइएएस अफसरों को 16 साल की सेवा के पहले ही सचिव बना दिया। 2005 बैच के अधिकारियों को 12 साल की सेवा के आधार पर विशेष सचिव बनाने की औपचारिकता पूरी कर ली गई है। पर पद रिक्त होने के बाद प्रमुख सचिव से अतिरिक्त मुख्य सचिव का मामला ‌खिंच गया। अब सरकार ने प्रमुख सचिव से अतिरिक्त मुख्य सचिव का प्रमोशन जल्द करने का फैसला कर लिया है। सी के खेतान, बी वी.आर सुब्रह्मण्यम और आर.पी मंडल अतिरिक्त मुख्य सचिव बन जाएंगे।

प्रशासनिक हलकों में समय से पहले आइएएस अफसरों की पदोन्नति को सरकार की मजबूरी भी माना जा रहा है। छत्तीसगढ़ ऐसा राज्य है, जहां आइएएस के काडर पोस्ट पर आइएफएस अधिकारियों की पोस्टिंग की गई है।

आइएएस एसोसिएशन के अध्यक्ष अजय सिंह का कहना है, ‘‘अधिकारियों का प्रमोशन राज्य की आवश्यकता के अनुसार होता है। अन्य राज्यों में भी आइएएस अफसरों को जल्दी प्रमोशन मिले हैं। किसी आइएएस अधिकारी को एक दिन या तीन घंटे के लिए ही प्रमोट करने के बारे में फैसला लेने वाले ही बता सकते हैं। मैं उस बारे में कुछ नहीं कहूंगा।’’

अधिकारी-कर्मचारी फेडरेशन के संयोजक सुभाष मिश्रा का कहना है कि हम आइएएस अधिकारियों के प्रमोशन का विरोध नहीं करते लेकिन दूसरे विभागों के अधिकारियों-कर्मचारियों को भी समय पर पदोन्नति मिलनी चाहिए। फेडरेशन इसकी लगातार मांग करता रहा है। मंत्रालय स्टेनोग्राफर संघ के अध्यक्ष देवलाल भर्ती का कहना है कि राज्य में प्रमुख सचिव के पद बढ़ने के साथ प्राइवेट सेक्रेटरी के पद भी बढ़ने चाहिए, लेकिन वित्तीय समस्या बता कर प्राइवेट सेक्रेटरी के पद बढ़ाने की मांग को नामंजूर कर दिया जाता है। राज्य में आइएएस अफसरों को समय से पहले प्रमोशन या फिर नियमों को दरकिनार कर उपकृत करने की प्रथा से नौकरशाहों की चांदी है, लेकिन आने वाले दिनों में सरकार से राज्य के अधिकारियों-कर्मचारियों की अपेक्षाएं बढ़ेंगी क्योंकि राज्य में 2018 में विधानसभा चुनाव होना है।  

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