मां बहुत काम आती हैं अमिताभ बच्चन के डायलॉग की। ‘‘मेरे पास मां है’’ की मां अब तक कइयों के काम आ रही हैं। विश्व सुंदरी बनने के बाद उस सुंदरी ने भी मां की महिमा में कुछ ऐसी बातें कहीं जो यूं सब जानते थे, पर सबने तालियां बजाईं जब यही बातें सुंदरी के मुंह से सुनने को मिलीं।
सुंदरी बहुत ज्ञान की बात बोलेगी, आमतौर पर कोई इसकी उम्मीद नहीं करता था पुराने वक्त में। अब मामला बदल गया है। सुंदरियां बहुत ज्ञानी होकर उभरी हैं। सिर्फ पढ़ाई के लिहाज से ही ज्ञानी नहीं हैं कि डॉक्टरी की पढ़ाई कर ली या एमबीए कर लिया। सुंदरियों का ज्ञान व्यापक है। स्वप्न सुंदरी मानी जाने वाली एक सुंदरी वायु प्रदूषण से निपटने के उपाय बताती हैं। फलां ब्रांड के एयर प्यूरीफायर से वायु प्रदूषण दूर होगा, ऐसा वह बताती हैं।
विश्व सुंदरी होते ही सुंदरियां तमाम विषयों की ज्ञानी हो जाती हैं। एक भूतपूर्व भारतीय विश्व सुंदरी इलायची की गुणवत्ता की भी एक्सपर्ट हुईं और कौन से ब्रांड की इलायची खाने से अच्छाई की चमक आ जाती है, वह बताती हैं। हालांकि चेहरे की चमक के लिए दूसरे उपाय भी सुंदरियां बताती रहती हैं। पब्लिक मान जाती है। भाई सुंदरी है तो जानती होगी हर बात। ऐसे ही कोई सुंदरी नहीं बनती। सुंदरियां गांधी पर भी बोलने लगती हैं। एक विश्व सुंदरी ने गांधी को अपना आदर्श बताया था। समझ न आया किस अर्थ में। गांधी जी बहुत कम कपड़ों में काम चला लेते थे, पर उसकी वजह दूसरी थी। गांधी देश के आखिरी आदमी से भी अपना तादाम्य करना चाहते थे, इसलिए न्यूनतम में काम चलाते थे। पर तमाम सुंदरियां देश के आखिरी आदमी को भी पान मसाला बेच देना चाहती हैं। ऐसे आखिरी आदमी से अपना तादाम्य बनाना चाहती हैं। सुंदरी है अलग स्टाइल से काम होता है।
सुंदरी थोड़ी फेमस होते ही ज्ञानी हो जाती है।
सुंदरी और गांधी इनका प्रयोग मार्केटिंग में समान स्तर पर होता है। कोई भी नेता बिना गांधी का नाम लिए बाजार में नहीं उतरता है और लगभग हर प्रॉडक्ट सुंदरी के सहारे ही बाजार में कूदता है। सनी लियोनी जी उस दिन एक पानी के ब्रांड की खूबियों के बारे में बता रही थीं। सब सुन रहे थे। पद्मावती फेम दीपिका पादुकोण एक बैंक के बारे में बताती हैं। उस बैंक की खूबियों के बारे में बताती हैं। हालांकि बैंकिंग एक्सपर्ट बताते हैं कि इस बैंक ने नोटबंदी के दिनों में कई घपलात्मक काम किए। पर बैंकिंग एक्सपर्ट शायद कम जानते हैं बैंकों के बारे में, जो सुंदरी घोषित होते ही किसी को पता चल जाता है। दीपिका जी उस टेलीकॉम नेटवर्क को भी श्रेष्ठ नेटवर्क बता रही थीं, जहां कस्टमर की सुनवाई आम तौर पर नहीं ही होती है। पर कस्टमर को क्या पता रहता है, जो दीपिका जी जानती हैं। सुंदरी सब जानती है। ऐसा गहन विश्वास भारतीय पब्लिक करती है, इसी गहन विश्वास के आधार पर सुंदरियां इलायची से लेकर टायर तक और बैंक से लेकर टेलीकॉम नेटवर्क, मोबाइल तक के बारे में ज्ञान बांटती हैं और हम सब लेते हैं।
एक सुंदरी ने एक बार विश्व सुंदरी होते ही बताया था कि वह देश की सेवा करेगी फिर वह सौंदर्य बढ़ाने वाले साबुन के बारे में बताने लगी। देश की सेवा ऐसे भी हो सकती है। ऐसे हो सकती हो देश सेवा तो फिर बहुत आसान है, पर ऐसी देश सेवा के मौके भी हर सुंदरी को नहीं मिलते। इसके लिए विश्व सुंदरी या समकक्ष स्तर की सुंदरी होना पड़ता है।
सुंदरी के बिना कुछ भी नहीं बिकता, मैं डरता हूं उस दृश्य को सोचकर जब गांधीवाद की मार्केटिंग के लिए भी सुंदरियों के सहारे की जरूरत पड़ेगी। सपने में एक डरावना सीन आता है, गांधी स्टेज से कह रहे हैं, ‘‘मेरी सुनो, मेरी शिक्षाओं को सुनो, देखो फलां-फलां सुंदरियों ने मेरी बात करके, मेरे वचनों को कोट करके फलां-फलां ब्यूटी कॉन्टेस्ट जीता है।’’
गांधीजी से सवाल पूछा जा रहा है, ‘‘पर वो सुंदरियां हैं कहां, जो आपकी फालोअर थीं।’’
जवाब आएगा, ‘‘सारी की सारी सौंदर्य साबुन से लेकर मोबाइल फोन तक बेच रही हैं।’’