न बेसहारा हैं, न भुखमरी या किसी आपदा के शिकार मगर अपने या अपनों के इलाज ने इन्हें दिल्ली के एम्स की सड़क पर उतारा, उनकी लाचारी गुरमीत सप्पल के कैमरे की नजर से नहीं छुप सकी
मध्य प्रदेश के सिवनी की राजवती की गर्दन पर पति ने दो साल पहले कुल्हाड़ी चला दी, वे गले में लगी नली से ही बस कुछ पी सकती है, 27 नवंबर से एम्स में भर्ती के इंतजार में है।
सर्द रातों में पाला पड़ता है तो सिर्फ कंबल से काम नहीं चलता, ऐसे में प्लास्टिक का तंबू ही ठंड से मुकाबले का सहारा
एम्स के बाहर हर शाम इलाज के मारे गरीबों को धर्मार्थ संस्थाओं से मिलने वाले मुफ्त खाने का ही आसरा
सफदरजंग और एम्स अस्पतालों के बीच अरविंदो मार्ग के किनारे का यह नजारा गवाह है कि भारत जैसे देश में मरीजों के हालात क्या हैं?
अपनी मां के साथ छह साल की ताहिरा आंख का इलाज करवाने की बारी के इंतजार में