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राजस्थान में गायों की मौत बनी सियासी मुद्दा

राज्य में तीन मंत्रियों पर है गायों को बचाने का जिम्मा, फिर भी हर रोज हो रही हैं मौतें
राजस्‍थान की गौशाला में गायों की स्थिति

जयपुर की हिंगोनिया गौशाला वैसे तो शुरुआत से ही गायों की मौत को लेकर चर्चा में रही है लेकिन पिछले 15 दिन से गली-मोहल्लों से लेकर संसद तक इसकी ही चर्चा है। प्रदेश ही नहीं बल्कि देशभर में इस मुद्दे को लेकर सियासत गरम है। राजस्थान हाईकोर्ट से लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक को इस मामले में हस्तक्षेप करना पड़ा है।

कारण बिलकुल साफ है, गाय का नारा देने वाली भाजपा सरकार के राज में पिछले एक माह में यहां 1500 गायों की मौत हो चुकी है। पिछले 15 दिन में ही यहां करीब 500 से ज्यादा गायों ने दम तोड़ा है। रविवार 7 अगस्त को 60 डॉक्टरों और कर्मचारियों की मौजूदगी में 85 गायों की मौत हो गई। एक दिन पहले ही यहां 45 गायों की मौत हुई थी।

भाजपा सरकार के ढाई साल के कार्यकाल में इस गौशाला में 25 हजार गायों की मौत हुई है। पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में भी यहां गायों की मौत को लेकर खूब हंगामा हुआ था। एक हजार बीघा भूमि पर ’80 के दशक में स्थापित इस गौशाला में इस समय 8,700 गायें हैं। गौशाला में बने 23 बाड़ों और आईसीयू में इनको रखा जाता है। पिछले दो

सप्ताह से रोज 45-50 गायें आईसीयू में जा रही हैं जिनमें से औसतन 30-35 गायों की मौत हो रही है। मौत की मुख्य वजह चारे-पानी का अभाव, बीमारी और कर्मचारियों की कमी है। यहां हर दिन करीब 500 कर्मचारियों की जरूरत है लेकिन पिछले कई माह से वेतन कम मिलने के कारण यहां सिर्फ 50-60 कर्मचारी काम कर रहे हैं। नगर निगम से पांच माह का वेतन नहीं मिलने के कारण एक माह पहले ज्यादातर कर्मचारी हड़ताल पर चले गए, जिसके कारण गायों का चारा-पानी भी बंद हो गया। ठेका कर्मचारियों की हड़ताल के कारण यहां पिछले दो माह से गायों का गोबर नहीं उठाया गया जो बरसात के बाद 5-6 फुट तक दलदल में बदल गया। 300 गायों की मौत तो इसी दलदल में फंसने से हुई है जबकि 1,000 से ज्यादा गायें बीमारी के कारण मरी हैं। मुख्यमंत्री कार्यालय और शासन सचिवालय से इस गौशाला की दूरी महज 25 किलोमीटर होने के बावजूद हालात बिगड़ने तक किसी अफसर और मंत्री ने यहां की सुध नहीं ली।

गाय पर गरमाई सियासत

हिंगोनिया गौशाला में गायों की मौत को लेकर राजस्थान ही नहीं बल्कि देशभर में सियासत गरम है। राजस्थान में प्रतिपक्षी कांग्रेस ने गायों की मौत पर राज्य सरकार के खिलाफ जयपुर के कानोत पुलिस थाने में गौहत्या का मुकदमा दर्ज कराया है। वहीं राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव और राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने आरएसएस और भाजपा सरकार पर निशाना साधा है। लालू यादव ने गायों की मौत पर ट्वीट कर कहा कि जो हाल इन स्वघोषित राष्ट्रवादी गौरक्षकों ने गऊ माता का किया है वही गंगा मैया का करेंगे। कहां है आरएसएस? अशोक गहलोत ने हिंगोनिया गौशाला को गायों की कब्रगाह बता दिया।

 

फिर भी नहीं सुधरे हालात

राजस्थान सरकार के तीन मंत्रियों पर गायों को बचाने का जिम्मा है लेकिन हालात फिर भी नहीं सुधर रहे। हिंगोनिया गौशाला जयपुर नगर निगम के क्षेत्राधिकार में आती है। नगरीय विकास मंत्री राजपाल सिंह शेखावत इस विभाग के मंत्री है। इसके अलावा राजस्थान में अलग से गौपालन निदेशालय गठित है जिसके मंत्री ओटाराम देवासी हैं। इसी तरह पशुपालन मंत्री प्रभूलाल सैनी का महकमा भी इससे ही संबंधित है। गायों की मौत पर देशव्यापी फजीहत के बाद दो मंत्री गौशाला पहुंचे। राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने अधिकारियों को 15 दिन में गौशाला के हालात सुधारने का अल्टीमेटम दिया तो मुख्य सचिव ओपी मीणा से लेकर पूरा प्रशासनिक अमला गौशाला पहुंच गया। चौतरफा किरकिरी के बाद वसुंधरा राजे ने खुद भी गौशाला जाने का फैसला किया। मुख्यमंत्री के दौरे से पहले काम में लापरवाही बरतने वाले दो अफसरों को निलंबित कर दिया गया।

हिंगोनिया गौशाला के प्रभारी आरके शर्मा ने बताया कि सेंट्रल टीम के 25 कर्मचारी यहां भेजे गए हैं। मजदूरों की हड़ताल समाप्त होने के बाद अब यहां हालात सुधर रहे हैं। निगम की पशुधन समिति के अध्यक्ष भगवत सिंह देवल का कहना है कि गौशाला में गायों को बचाने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी जा रही। तीन साल से ठेके पर काम कर रहे श्रमिकों की मजदूरी नहीं बढ़ाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि मजदूरी 250 रुपये प्रतिदिन किए जाने के संबंध में भी विचार चल रहा है।

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