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‘फ्रेंचाइजी’ देकर आतंकी साजिश

आतंकी संगठनों के लिए काम कर रहे मॉड्यूल्स अब आईएसआईएस का चोला ओढ़ने लगे हैं, राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को मिले अहम सुराग
कोकराझार में आतंकी हमला

कश्मीर से पूर्वोत्तर तक और महाराष्ट्र से केरल तक सक्रिय आतंकी मॉड्यूल अब आईएसआईएस का चोला ओढ़ने लगे हैं। दरअसल, अंतरराष्ट्रीय आतंकी संगठन आईएसआईएस ने बिल्कुल कॉरपोरेट अंदाज में अपनी शाखाओं का विस्तार किया है। अनजाने लोगों का मॉड्यूल और एक ऐसी चेन जो 24 घंटे के भीतर दुनिया में किसी भी साजिश को अंजाम दे दे। आतंक की नई चुनौतियों की जांच में जुटी राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को नित नए सुराग मिल रहे हैं। बांग्लादेश के ढाका में आतंकी हमले के बाद एनआईए ने जांच का अपना दायरा बढ़ाकर राजनयिक चैनल के जरिये म्यांमार और अफगानिस्तान समेत खाड़ी देशों तक फैला दिया है।

ढाका के गुलशन रेस्तरां पर हमले में जिस तरह आईएसआईएस ने स्थानीय मॉड्यूल्स का इस्तेमाल किया, उसकी आहट भारत के पश्चिम बंगाल में तीन साल पहले से सुनाई देने लगी थी। पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआईएस की मदद से बांग्लादेश में कट्टरवादियों द्वारा तैयार किए गए आतंकी संगठन जमीयत-उल-उलेमा-बांग्लादेश (जेयूएमबी) ने पश्चिम बंगाल, असम, त्रिपुरा, झारखंड, बिहार, उत्तर प्रदेश और उड़ीसा में भी जड़ें जमा ली हैं। बंगाल के बर्दवान में खगड़ागढ़ के विस्फोट के बाद एनआईए के कान खड़े हुए और जांच के दौरान कई अहम सुराग हाथ लगे। हाल में जब एनआईए की टीम ढाका विस्फोट के बाद पड़ताल के लिए बांग्लादेश भेजी गई तो तार खगड़ागढ़ से जुड़े पाए गए। कुछ दिन पहले असम के कोकराझार के बाजार में जो विस्फोट हुआ, उसमें भी आईएसआईएस के खगड़ागढ़ मॉड्यूल का हाथ पाया गया है।

ढाका कांड के बाद से प्रधानमंत्री और गृह मंत्री का कार्यालय नियमित रूप से बंगाल समेत विभिन्न सीमावर्ती राज्यों के प्रशासन के संपर्क में है। पीएमओ में अतिरिक्त सचिव भास्कर खुलबे को नियमित समन्वय की जिम्मेदारी सौंपी गई है। आतंकी संगठनों की गतिविधियों के मद्देनजर बंगाल समेत पूर्वोत्तर के इलाकों को संवेदनशील माना जा रहा है। भारत के साथ बांग्लादेश की सीमा की लंबाई 4,096 किलोमीटर है। इसमें अकेले बंगाल की सीमा 2,297 किलोमीटर है। इसमें 60 फीसद सीमा खुली है। यह स्थिति स्वाभाविक नहीं है। बांग्लादेश की सीमा पार कर भारत में आतंकियों की घुसपैठ जारी है। खगड़ागढ़ विस्फोट को इसी का नतीजा माना जाता रहा है। बर्दवान के शिमुलिया इलाके में बांग्लादेशी मॉड्यूल्स को बम बनाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा था।

ढाका कांड के बाद बंगाल के वीरभूम के लाभपुर से मुहम्मद मुसाउद्दीन उर्फ मूसा को पकड़ा गया था। उसे बर्दवान स्टेशन से पकड़ा गया। वह जेयूएमबी का सदस्य है और पिछले दिनों जब आतंकी मॉड्यूल्स ने आईएसआईएस की ‘फ्रेंचाइजी’ लेनी शुरू की, तब से उसे अंतरराष्ट्रीय आतंकी संगठन के नाम पर काम करना शुरू कर दिया। मूसा की मदद से जेयूएमबी के अमजद अली शेख उर्फ काजल ने ढाका से विस्फोटक बनाने के लिए रसायनों की तस्करी की। उसपर 10 लाख रुपये का एनआईए ने इनाम रखा था। पिछले दिनों उसे पकड़ा गया।

एनआईए के सूत्रों के अनुसार, आईएसआई के मॉड्यूल्स हथियारों और नशीले पदार्थों की तस्करी से भी जुड़ गए हैं। नक्सलियों के साथ इन मॉड्यूल्स के संबंध होने को लेकर गृह मंत्रालय के पास एनआईए ने रिपोर्ट जमा कर रखी है। गृह मंत्री राजनाथ सिंह इस बाबत टिप्पणी कर चुके हैं। कुछ दिन पहले बिहार- झारखंड के माओवादियों के पास अमेरिकी मरींस द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले एम-16 अत्याधुनिक असाल्ट राइफल्स पहुंचने के सबूत मिले हैं। अफगानिस्तान से लाए जा रहे हैं ये हथियार। यह राइफल गैस ऑपरेटेड, रोटेटिंग बोल्ट राइफल है, जो 550 मीटर तक निशाना दागती है। एक बार में 750-900 राउंड गोलियां फायर की जा सकती हैं। इसे ग्रेनेड लांचर में भी बदला जा सकता है।

कराची, काठमांडू, ढाका होते हुए पूर्वोत्तर के रास्ते ये हथियार माओवादियों तक पहुंचाए जा रहे हैं। पिछले महीने नई दिल्ली में बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, पंजाब और नगालैंड के एंटी टेररिज्म स्कवायड (एटीएस) और स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) के साथ एनआईए के शीर्ष पदाधिकारियों की बैठक हुई थी। इसमें हथियार तस्करी के नेटवर्क और माओवादी-आतंकी मॉड्यूल्स को लेकर गहन चर्चा हुई। हथियार तस्करी के नेटवर्क में धन की लेन-देन बिहार, उत्तर प्रदेश और पंजाब के कई कारोबारी करते हैं। हथियारों के एक-एक कंसाइनमेंट के लिए 40 से लेकर 50 लाख रुपये तक के लेन-देन के सबूत मिले हैं। कोलकाता के बैंकों के जरिये भुगतान किए गए हैं।

पूर्वी इलाकों में जिस तरह की चुनौतियों से एनआईए दो-चार हो रही है, उसी तरह की चुनौतियां कश्मीर और दक्षिण भारत में हैं। कश्मीर घाटी में अभी हाल में एक नए आतंकी संगठन की आहट सुनाई दे रही है- हिजबुल मुजाहिदीन और लश्कर-ए-तैयबा के अलावा। आईएसआईएस के लिए कवर के तौर पर हिजबुल तहरीर नामक एक संगठन सक्रिय है। आईएसआईएस ने अपने ग्लोबल इस्लामिक काउंसिल में जम्मू कश्मीर को अहमियत देते हुए दिखाया है। हिजबुल तहरीर का काम आईएसआईएस के लिए ऑपरेटिव्स की भर्ती करना और उसकी विचारधारा को आगे बढ़ाना है।

हाल में जम्मू कश्मीर में आईएसआईएस के झंडे और बैनर्स नजर आए थे। हिजबुल तहरीर ने ही इसकी तैयारी की थी। माना जा रहा है कि इस समय घाटी में इस संगठन के 30 ऑपरेटिव्स मौजूद हैं। पिछले दिनों जब राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) अयाज सुल्तान नामक व्यक्ति के खिलाफ जांच कर रही थी, तब इस संगठन के बारे में पता चला। सुल्तान एक कॉल सेंटर में काम करता था और वह आईएसआईएस के हैंडलर्स को तहरीर के ऑपरेटिव के साथ संपर्क कराता था। जब सुल्तान ने तहरीर के साथ संपर्क किया तो संगठन ने उसे कश्मीर बुलाया। यहां पर उसे ट्रेनिंग दी जानी थी। अब अयाज सुल्तान देश के बाहर सीरिया में है।

जून महीने के अंत में एनआईए ने हैदराबाद से सात लोगों को आईएसआईएस से जुड़े होने और भारत पर हमले की साजिश रचने के आरोप में गिरफ्तार किया था। उनमें से पांच लोगों ने जो बयान दिए हैं, उनसे पता चलता है कि आईएसआईएस का दक्षिण भारत का मॉड्यूल तीन राज्यों में हथियारों और विस्फोटकों की व्यवस्था कर रहा है। एनआईए ने इन लोगों से मिली जानकारियों के आधार पर डिजिटल रिकॉडर्स जुटाए हैं। एनआईए के मुताबिक, मुख्य संदिग्ध हैदराबाद के पुराने शहर से ताल्लुक रखने वाला 31 वर्षीय इंजीनियर इब्राहीम यजदानी है जो  सऊदी अरब में नौकरी के दौरान पहली बार आईएसआईएस की तरफ आकर्षित हुआ। इब्राहीम ने 28 पन्नों के अपने विस्तृत बयान में कहा है कि वह अबू ईसा अल अमेरिकी नाम के एक ऑनलाइन हैंडलर के संपर्क में था, जिसने उससे सीरिया जाने को कहा था। इब्राहीम के मुताबिक, उनके हैंडलर ने उन्हें हथियार एकत्र करने के लिए महाराष्ट्र के नांदेड़ में पहले से तय एक जगह पर जाने को कहा। दूसरी जगह राजस्थान का अजमेर थी। वहां से विस्फोटक जुगाड़े गए। हथियार और विस्फोटकों को हैदराबाद से 50 किलोमीटर दूर बूढन पोचंपल्ली में जमा किया गया। 

फिलहाल, एनआईए ने अपनी जांच के दायरे को बढ़ा दिया है। भारत के विभिन्न शहरों में सक्रिय मॉड्यूल्स के साथ ही पड़ोसी देशों और माओवादी नक्सलियों की गतिविधियों की टोह भी लेनी शुरू कर दी है। आतंकी साजिश एवं हथियारों और नशीले पदार्थों की तस्करी का कॉकटेल भारत में आईएसआईएस के गहरे नेटवर्क की मौजूदगी की ओर इशारा करता है

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