उत्तर प्रदेश में किसान समस्या पर विपक्ष की आलोचना की शिकार हुई योगी आदित्यनाथ सरकार अब कृषि मंडियों की व्यवस्था में बदलाव लाने की तैयारी कर रही है। उसका दावा है कि इससे अगले पांच साल में किसानों की आय दोगुनी हो जाएगी। इसके लिए उत्तर प्रदेश कृषि उत्पादन मंडी अधिनियम 1964 में जरूरी संशोधन किए जाएंगे।
संशोधन के बाद प्रदेश के किसान निजी खरीदारों और कंपनियों को भी अपने उत्पाद बेच पाएंगे। प्रदेश के 75 जिलों में सरकारी एजेंसियों द्वारा संचालित करीब 250 कृषि समिति मंडियों में निजी निवेश की संभावनाओं को बढ़ावा मिलेगा। निजी क्षेत्र की नवीन कृषि उत्पाद मंडियां स्थापित हो सकेंगी। सरकार का दावा है कि इससे कृषि विपणन में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और इसका सीधा लाभ किसानों को मिलेगा।
इसके पहले अपने चुनावी वादे के अनुरूप राज्य सरकार ने पिछले साल छोटे और मझोले किसानों के करीब 36,000 करोड़ रुपये के फसली ऋण माफ करने का ऐलान किया था। लेकिन उस मामले में कई तरह के असंतोष उभरे और विपक्ष ने ऐसा माहौल बनाया कि इससे किसानों को ज्यादा राहत नहीं मिली। इससे सरकार किसानों को राहत देने के लिए अन्य उपायों की ओर भी प्रेरित हुई।
प्रदेश सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि मंडी अधिनियम में संशोधन का प्रस्ताव खाद्य तथा कृषि विभाग तैयार कर रहा है। जल्द ही एक कैबिनेट नोट राज्य मंत्रिमंडल के समक्ष पेश करके सहमति ली जाएगी। उत्तर प्रदेश मंडी परिषद के डायरेक्टर धीरज कुमार ने आउटलुक को बताया कि प्रस्तावित संशोधन किसानों की आय पांच साल में दोगुनी करने के प्रयासों का अंग है। उन्होंने कहा, “इससे कृषि विपणन में मंडी परिषद और मंडी समितियों का एकाधिकार खत्म हो जाएगा।” उत्तर प्रदेश में इस अधिनियम के बदलाव की मांग कई साल से उठ रही है। पंजाब समेत कई राज्य इस तरह का संशोधन पहले ही कर चुके हैं। यूपी की पूर्ववर्ती अखिलेश यादव सरकार (2012-17) के दौरान भी संशोधन की जबरदस्त तैयारी थी। इसके लिए मंडी परिषद ने सारी तैयारी भी कर ली थी, लेकिन बाद में इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। अखिलेश सरकार खुदरा क्षेत्र में बड़े निजी निवेश को बढ़ावा देने का राजनैतिक स्तर पर विरोध किया करती थी। लेकिन योगी सरकार आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे और दो अन्य प्रस्तावित एक्सप्रेसवे-पूर्वांचल एवं बुंदेलखंड-के मार्ग में पड़ने वाले जिलों में मंडियों को बढ़ावा देने की भी पक्षधर है। उसका दावा है कि इससे कृषि उत्पादों को त्वरित गति से अन्य राज्यों में भेजना सुगम होगा और किसानों को उनके उत्पाद का जल्द से जल्द अच्छा मूल्य मिल सकेगा। मुख्यमंत्री योगी ने मंडी समितियों के संचालन में जवाबदेही निर्धारित करने, कोल्ड स्टोरेज व गोदामों की बेहतर व्यवस्था तय करने के भी निर्देश दिए हैं।
खबर यह भी है कि मुख्यमंत्री ने उत्पादों की खरीद में बिचौलियों की भूमिका खत्म करने के लिए अधिकारियों को जरूरी निर्देश दिए हैं। संशोधन के बाद मंडी समितियों में चुनावों के माध्यम से किसानों, व्यापारियों और निजी खरीदारों का प्रतिनिधित्व पक्का करने की कोशिश होगी। इसे मंडियों में भ्रष्टाचार पर शिकंजा कसने का औजार माना जा रहा है।
दोषपूर्ण विपणन व्यवस्था से यूपी में कई साल से सरकारी खरीद अपने लक्ष्य से काफी कम रही है। सरकार का दावा है कि कृषि उत्पादों को प्रदेश से बाहर बेचना और भेजना सुगम होगा तो किसानों को उनकी फसल का बेहतर दाम भी मिलेगा।
ऐसे बदल जाएंगी मंडियां
- किसानों को उनके उत्पाद की बिक्री के लिए पूर्ण स्वतंत्रता प्रदान करना।
- निजी कंपनियों को किसानों से सीधे खरीद के लिए लाइसेंस देना।
- प्रदेश में चल रहे वेयरहाउस और कृषि उत्पाद भ्ांडारों को ‘मंडी सबयार्ड’ का दर्जा देना। इससे इन स्थानों पर भी निजी खरीदार सीधे किसानों से खरीद कर सकेंगे। इससे उत्पाद जल्द से जल्द अपने गंतव्य पर पहुंच पाएंगे और किसानों को बेहतर मूल्य मिल सकेगा।
- मंडी समितियों में चुनाव के माध्यम से किसानों, व्यापारियों और निजी खरीदारों का प्रतिनिधित्व तय करना।
- समितियों को उनकी आमदनी का एक निश्चित प्रतिशत अपने खर्चों के लिए रखने का अधिकार देना।