Advertisement

विदेशी सब्जियों से मोटी कमाई

छोटी जोत में भी जैविक खेती से आसपास के किसानों को दिखाया खुशहाली का रास्ता
सब्जियों की खेती से लाखों कमाने वाले तेजराम शर्मा को दो हेक्टेयर से कम जमीन वाले किसानों की श्रेणी में ‘फसल उत्पादन के तरीके में नवाचार’ अवार्ड मिला

दो हेक्टेयर से कम जमीन हो तो खेती कर अमूमन परिवार का गुजारा करना मुश्किल हो जाता है। लेकिन, हिमाचल प्रदेश के करसोग वैली के खड़कन गांव के किसान तेजराम शर्मा इसी हालात में सालाना लाखों रुपये कमा रहे हैं। शुरुआत में नाकामयाबी भी हाथ लगी पर उन्होंने हिम्मत नहीं हारी।

आज वे देसी, विदेशी सब्जियों की तीन-चार फसल हर साल उगाते हैं। खास बात यह है कि खेती पूरी तरह जैविक तरीके से करते हैं। रासायनिक खाद और कीटनाशकों का इस्तेमाल नहीं करते। इसके कारण उनकी सब्जियां बाजार भाव से कई गुना ज्यादा दाम पर बिकती हैं।

केवल 1.6 हेक्टेयर जमीन के मालिक तेजराम अपनी कड़ी मेहनत और लगन से अन्य किसानों के लिए मिसाल बन गए हैं। जब वे रासायनिक खाद और कीटनाशकों का इस्तेमाल कर खेती करते थे तो लागत भी निकलनी मुश्किल थी। इसके बाद जैविक खेती के लिए कृषि वैज्ञानिकों की मदद ली। सब्जियां बेचने के लिए दिल्ली की ओखला मंडी के व्यापारियों से संपर्क किया। इसके बाद तेजराम की जैविक सब्जियों की मांग इस कदर बढ़ी कि उसे पूरा करने के लिए उन्हें गांव के अन्य किसानों को भी इससे जोड़ना पड़ा। अब पड़ोसी गांव के किसान भी उनकी तरह साल में सब्जियों की तीन से चार देसी-विदेशी फसल उगाते हैं।

दिल्ली के पांच सितारा होटलों में आज तेजराम की ब्रोकली हो या फिर चाइनीज कैबिज, लेटिस की जबर्दस्त मांग है। इनके अलावा पार्स्ली और सेलरी लेक की मांग भी काफी अच्छी है। पिछले साल तेजराम शर्मा की ब्रोकली 150 रुपये प्रति किलो की दर से बिकी थी। उसके पिछले साल उनकी ब्रोकली 400 रुपये प्रति किलो के भाव बिकी थी। एक एकड़ में ब्रोकली से अच्छा भाव मिलने पर करीब चार लाख रुपये तक की कमाई हो जाती है।

दिखाया खुशहाली का रास्ता

खुद तैयार करते हैं खाद, कीटनाशक

देसी सब्जियों में तेजराम फूल गोभी, बंद गोभी, गाजर और मटर उगाते हैं। इसमें जैविक खाद का उपयोग करते हैं, जो वह स्वयं घर पर ही बनाते हैं। इसके लिए कच्चा माल उन्हें घर से ही गाय के गोबर, गोमूत्र और पत्तों के रूप में मिल जाता है। इसके अलावा वर्मी कंपोस्ट बनाने के लिए टैट्रा वर्मी बेड कृषि विभाग ने उन्हें अनुदान के तौर पर दिए हैं। उन्होंने बताया कि वर्मी कंपोस्ट तीन महीने में बनकर तैयार हो जाती है। जैविक खाद से खेती में तो फायदा होता ही है, यह प्रदूषण मुक्त भी होती है। तेजराम ने बताया कि भूमि मित्र घोल 15 दिनों में बनकर तैयार हो जाता है। यह घोल जमीन की उर्वरा शक्ति बढ़ाने के साथ-साथ कीटनाशक के रूप में भी काम करता है। इससे फसलों की प्रति हेक्टेयर उपज तो बढ़ती ही है, फसल की पकाई भी अच्छी होती है जिससे वह बाजार में अन्य सब्जियों के मुकाबले महंगी बिकती है। भूमि मित्र घोल बनाने के लिए गाय का गोबर, गोमूत्र, गुड़ और पत्तियों के साथ अच्छी मिट्टी की जरूरत होती है जो कि घर पर उपलब्ध हो जाती है।

जैविक खाद के अलावा जैविक कीटनाशक भी घर पर ही तैयार करते हैं। तेजराम शर्मा सब्जियों की मिश्रित खेती करते हैं और बीज दिल्ली से खरीदते हैं। न सिर्फ स्वयं अपने खेत में ही सब्जियों की नर्सरी तैयार करते हैं, बल्कि आसपास के किसानों को नर्सरी तैयार करने का प्रशिक्षण भी देते है। उनकी मदद से आसपास के बहुत सारे किसान अब विदेशी सब्जियां उगाकर अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। जैविक खाद के सहारे सब्जियां उगाने वाले तेजराम 2012 में जैविक खाद और कीटनाशक दवाइयां बनाने के लिए उन्होंने कृषि विभाग के सौजन्य से एक गैर सरकारी संस्था में प्रशिक्षण लिया। इसके बाद उन्होंने हिमाचल प्रदेश के कृषि विज्ञान केंद्र, सुंदरनगर में भी प्रशिक्षण लिया।

Advertisement
Advertisement
Advertisement