खेती को लाभकारी बनाने के लिए एक तरफ सरकारी स्तर पर प्रयास हो रहे हैं, तो दूसरी तरफ कई कंपनियां भी इसके लिए काफी काम कर रही हैं। इस कड़ी में एक्सेल इंडस्ट्रीज लिमिटेड (मुंबई) ने एक मशीन बनाई है, जो ऑर्गेनिक वेस्ट को कंपोस्ट में तब्दील करती है।
ऑर्गेनिक वेस्ट के निस्तारण से जुड़ी समस्या व्यक्तिगत और सामुदायिक स्तर पर सामने आती रही है। यदि हम थोड़ी-सी सजगता का परिचय दें तो इनसे कंपोस्ट बनाकर न सिर्फ पर्यावरण का भला कर सकते हैं, बल्कि इससे ऑर्गेनिक वेस्ट की समस्या का भी काफी हद तक निदान हो सकता है।
पिछले सात साल में एक्सेल इंडस्ट्रीज देशभर में ऐसी 3,500 मशीनें लगा चुकी है, जिससे ऑर्गेनिक वेस्ट की समस्या का हल तो हो ही रहा है, साथ ही खेती के लिए अच्छी खाद भी मिल रही है। कंपनी के सीनियर एडवाइजर, मार्केटिंग पीयूष प्रकाश ने बताया कि मशीन 15 मिनट में ऑर्गेनिक वेस्ट को बदबू रहित सॉइल में बदल देती है और अगले 10 दिनों में यह सॉइल खाद बन कर तैयार हो जाती है। जबकि किसानों को अभी परंपरागत तरीके से कंपोस्ट तैयार करने में छह महीने से ज्यादा का वक्त लग जाता है। उन्होंने बताया कि 100 किलोग्राम प्रतिदिन के हिसाब से कंपोस्ट को खाद में बदलने वाली मशीन की कीमत करीब पांच लाख रुपये आती है। इससे बनने वाली खाद जैविक होती है, इसलिए इससे पर्यावरण की भी रक्षा होती है। साथ ही, खेती की उत्पादकता में इसके उपयोग से कई गुना की बढ़ोतरी होती है। इसके अलावा सबसे खास बात यह कि इसमें सिर्फ एक बार मशीन खरीदने की लागत आती है। कच्चा माल खरीदने की जरूरत ही नहीं पड़ती, बल्कि उल्टा यह आसानी से फ्री में मिल जाता है।
उत्तराखंड सरकार ने राज्य की पांच बड़ी सब्जी मंडियों में यह मशीनें लगा रखी हैं। इससे मंडी के कूड़े का निस्तारण तो ही रहा है, साथ ही किसानों को सस्ते दाम पर जैविक खाद भी मिल रही हैं। किसान ट्रैक्टर ट्रॉली से सब्जियां बेचने मंडी में आते हैं और वापसी में कंपोस्ट लेकर जाते हैं। इससे परिवहन लागत की भी बचत होती है। साथ ही, सस्ते दाम पर किसान को जैविक खाद भी मिल जाती है। एक्सेल इंडस्ट्रीज लिमिटेड, 100 किलोग्राम प्रतिदिन की क्षमता के हिसाब से कंपोस्ट बनाने के अलावा 400 किलोग्राम, 800 किलोग्राम, 1500 किलोग्राम और 2.5 टन प्रतिदिन क्षमता के साथ ही 20 टन प्रतिदिन क्षमता वाले बड़े प्लांट भी लगाती है। इस तरह की मशीनें बड़े होटलों, उद्योगों की कैंटीन के अलावा बड़े पार्क और गार्डन में भी लगी हुई हैं।
इस तरह की मशीनें शहरों में सोसायटियां मिलकर खरीद सकती हैं। इससे बनने वाली कंपोस्ट का उपयोग सब्जियों के उत्पादन के साथ ही अन्य पौधों में भी कर सकते हैं। इसके अलावा किसान इस खाद को बेच कर अपनी आमदनी भी बढ़ा सकते हैं। गांव में किसान ग्रुप बनाकर इस तरह की मशीन लगा सकते हैं और इससे तैयार होने वाली खाद का उपयोग अपने खेतों में करके रासायनिक खाद पर होने वाले खर्च की बचत कर सकते हैं।
जैविक खाद बनाने की मुहिम में सोसायटियों और आम आदमी को शामिल कर लिया जाए तो कूड़े की समस्या का बहुत हद तक समाधान हो सकता है। सफाई और खेतों से प्राप्त अवशेषों का इस्तेमाल कर हजारों टन जैविक खाद बनाई जा सकती है। इस खाद के बनाने में किसी तरह का रसायन इस्तेमाल नहीं किया जाता है। यह पर्यावरण के लिए भी नुकसानदेह नहीं है।