अच्छी पैदावार होने के बाद अक्सर किसानों को उनकी उपज का सही दाम नहीं मिल पाता। मार्केटिंग के मोर्चे पर किसान असहाय हो जाता है। लेकिन देश के कई किसान मिलजुल कर इस चुनौती से पार पाने में जुटे हैं। मध्य प्रदेश के पिछड़े जिलों में शामिल मंडला की महिष्मति फार्मर्स प्रोड्यूसर कंपनी इसी सोच के साथ वजूद में आई। साल 2015 में 16 गांव के किसान एकजुट हुए और इस फार्मर्स प्रोड्यूसर कंपनी की स्थापना की।
इसकी प्रेरणा इन्हें कृषि क्षेत्र में सक्रिय एक सलाहकार कंपनी ‘एकगांव टेक्नोलॉजीज’ से मिली। जिसने इन किसानों को फार्मर्स प्रोड्यूसर कंपनी बनाने और अपने उत्पादों की बेहतर मार्केटिंग करने की सीख दी। देखते-देखते 16 गांवों के करीब एक हजार किसान इस मुहिम से जुड़ गए और करीब 1200 एकड़ जमीन में पैदा होने वाले उत्पादों को अपने नाम और ब्रांड के साथ नामी रिटेल चेन और खुदरा बाजारों तक पहुंचाना शुरू किया। महिष्मति फार्मर्स प्रोड्यूसर कंपनी की सचिव और निदेशक 31 वर्षीय संतोषी चंद्रोल बताती हैं कि उनके परिवार के पास 4.5 एकड़ जमीन है। वह बताती हैं कि कंपनी के तौर पर काम करने का सबसे बड़ा फायदा यह हुआ कि वे लोग खेती को बिजनेस की तरह करने लगे हैं। पहले देखते हैं किस चीज का बाजार भाव अच्छा है, वही उगाने की कोशिश करते हैं।
मोबाइल से बचत का गुर सीखा
खेती के मतलब की जानकारियां हासिल करने में मोबाइल फोन बहुत काम आ रहा है। इसने फर्टिलाइजर का इस्तेमाल घटाया है। इसी से उन्हें सालाना करीब 20 हजार रुपये की बचत हो रही है। खुद दसवीं तक पढ़ी संतोषी बड़े फख्र से बताती हैं कि उनके बच्चे इंग्लिश मीडियम स्कूल में पढ़ रहे हैं। महिष्मति फार्मर्स प्रोड्यूसर कंपनी से जुड़े किसान पहले गेहूं और धान की सिर्फ दो फसलें लेते थे। बाजार में मांग और आपूर्ति पर गौर किए बगैर खेती किया करते थे। लेकिन अब वे कई तरह की दालों के साथ-साथ सब्जियों की खेती भी कर रहे हैं। साल 2015 में कराए गए एक सर्वे के अनुसार, खरीफ सीजन के दौरान इन किसानों की आमदनी 67 फीसदी तक बढ़ी है। इन किसानों को उपयोगी सलाह और मार्केटिंग में मदद करने वाले ‘एकगांव टेक्नोलॉजीज’ के मुख्य कार्यकारी अधिकारी विजय प्रताप सिंह आदित्य बताते हैं कि इन किसानों के उत्पादों को पहले कलस्टर लेवल पर इकट्ठा किया जाता है और फिर यह बड़ी मंडियों या खुदरा बाजार तक पहुंचते हैं।
खास बात यह है कि उत्पादों की ब्रांडिंग और मार्केटिंग किसानों के नाम से होती है। जिस तरह एकजुट होकर ये किसान अपनी उपज को बेचने और बेहतर दाम पाने के तरीके खोज रहे हैं, वैसे ही खाद, बीज आदि जैसे इनपुट की खरीद के लिए भी इस एकजुटता का इस्तेमाल कर रहे हैं। इससे इनकी मोलभाव करने की क्षमता बढ़ी है। ‘डायरेक्ट फ्राम फार्म’ मॉडल के तहत ये किसान अपने वैल्यू एडेड उत्पादों को भी बाजार में पहुंचाने लगे हैं।