क्रिप्टोकरंसी खासकर बिटकॉइन की कीमतें जिस तरह आकाश और पाताल की सैर कर रही हैं, भारतीय निवेशकों के बीच उसकी सनक भी चढ़ती-उतरती रही है। जनवरी 2017 में एक बिटकॉइन की कीमत 900 डॉलर थी, जो 17 दिसंबर 2017 को 20 हजार डॉलर तक पहुंच गई। लेकिन पिछले एक महीने से बिटकॉइन अचानक गोता लगाने लगा। 30 दिसंबर को उसकी कीमत 13 हजार डॉलर के नीचे पहुंच गई थी तो जनवरी में गिरावट के बाद 9311 डॉलर प्रति यूनिट के भाव पर पहुंच गई। हालांकि, 24 जनवरी को फिर से यह 10,888 डॉलर पर पहुंच गई।
सबसे बड़ी क्रिप्टोकरंसी बिटकॉइन एक विकेंद्रीकृत डिजिटल टोकन है, जिसे किसी भी देश के सेंट्रल बैंक या सरकार ने मान्यता नहीं दी है। केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने भी राज्यसभा में दो जनवरी को कहा था कि 24 दिसंबर, 2013 से ही सरकार और रिजर्व बैंक ने बिटकॉइन और दूसरी वर्चुअल करंसी को लेकर स्टैंड स्पष्ट कर दिया था। कई बार नोटिफिकेशन के जरिए सरकार और आरबीआइ ने यह बताया कि बिटकॉइन को भारत में कानूनी यानी लीगल टेंडर नहीं माना जाएगा। वित्त मंत्री ने कहा था कि भारत में 11 बिटकॉइन एक्सचेंज की पहचान की गई है और एक्सपर्ट्स उन पर नजर बनाए हुए हैं।
क्रिप्टोकरंसी ब्लॉकचेन तकनीक पर काम करती है, जो एक तरह की वर्चुअल खाताबही है। इसमें लेनदेन का रिकॉर्ड कंप्यूटर नेटवर्क में दर्ज होता है। दो सबसे बड़े घरेलू वर्चुअल करंसी एक्सचेंज जेबपे और यूनोकॉइन के गूगल प्लेस्टोर पर 15 लाख डाउनलोड हैं। यूनोकॉइन के एक वरिष्ठ कार्यकारी अधिकारी के मुताबिक, यूनोकॉइन एक्सचेंज पर निवेशक हर रोज 30 हजार रुपये लागत की बिटकॉइन खरीद रहे हैं।
पिछले एक साल में निवेशकों की बढ़ोतरी पर टिप्पणी करते हुए यूनोकॉइन के संस्थापक और सीईओ सात्विक विश्वनाथ कहते हैं, “2016 में हर महीने लगभग 10 हजार लोग रजिस्ट्रेशन कराते थे और आजकल हमारे पास हर रोज 10 हजार यूजर्स रजिस्ट्रेशन कराते हैं।” बिटकॉइन की स्वीकृति के बारे में आगे वह कहते हैं कि कुछ हजार उपभोक्ता हर रोज अपने शेयर से बिटकॉइन खरीद रहे हैं।
हालांकि लाखों भारतीय निवेशक क्रिप्टोकरंसी खरीद और बेच रहे हैं। लेकिन जिसमें उन्होंने इस करंसी का निवेश किया है, उसमें इसके इस्तेमाल का अधिक विकल्प नहीं है। कुछ ई-कॉमर्स साइट जैसे अमेजन और फ्लिपकार्ट बिटकॉइन से गिफ्ट वाउचर्स खरीदने का ऑफर दे रहे हैं। क्रिप्टोकरंसी से मेडसेफ, गोलेम, स्टोर्ज पर स्टोरेज स्पेस खरीदा जा सकता है। हालांकि, इनमें से अधिकांश की अपनी टोकन या कॉइन है, जिन्हें बिटकॉइन या किसी बड़ी क्रिप्टोकरंसी से बदला जा सकता है।
जेबपे और यूनोकॉइन सहित लगभग 15 एक्सचेंज हैं, जहां कोई भी ग्राहक अपनी क्रिप्टोकंरसी को रुपये से बदल सकता है। लेकिन, अभी जबकि बिटकॉइन की कीमत बहुत अधिक है तो आम रुझान यह है कि निवेशक दुविधा में हैं। वे तय नहीं कर पा रहे कि अपने निवेश को बेच दें या फिर अपने पास ही रखें, ताकि भविष्य में भारी मुनाफा कमाया जा सके।
2013 से क्रिप्टोकरंसी के निवेशक और ब्लॉकचेन डेवलपर के एमडी हलीम कहते हैं, “क्रिप्टोकरंसी में यकीन करने वाले अधिकांश लोग इसे नहीं बेच रहे हैं, क्योंकि हमें उम्मीद है कि अगले तीन से चार साल में बिटकॉइन की कीमत एक लाख डॉलर तक पहुंच जाएगी।” लेकिन क्रिप्टोकरंसी को लेकर उत्साही लोगों के अलावा कुछ ऐसे निवेशक भी हैं, जो सिर्फ पलक झपकते पैसा कमाने के इरादे से इससे अस्थायी रूप से जुड़े हैं। विश्वनाथ इशारा करते हैं, “हमने ऐसे भी यूजर्स देखें हैं, जिन्होंने कम राशि निवेश की है और इसकी कीमतों में उछाल के दौरान भुगतान के लिए ज्यादा समय तक इंतजार करना पसंद नहीं करते हैं।”
निवेशकों के बीच यह रुझान है कि अपनी शुरुआती पूंजी निकालने के लिए संपत्ति का लगभग 20 से 50 फीसदी तक निकाल लिए जाएं और बाकी को लंबी अवधि के लिए छोड़ दिया जाए।
दूसरी तरफ, वैश्विक वित्तीय व्यवस्था में क्रिप्टोकरंसी का प्रवेश पहले ही शुरू हो चुका है। आइसीआइसीआइ बैंक ने दिसंबर में बिटकॉइन पर जारी नोट में कहा था, “2017 के अंत तक शिकागो मर्केंटाइल एक्सचेंज (सीएमई) में बिटकॉइन के साथ व्यापार शुरू होने वाला है, इसके साथ ही मुख्य क्रिप्टोकरंसी औपचारिक वित्तीय बाजार में प्रवेश कर रहा है।” हालांकि, भारत में सरकार और रेगुलेटर इस करंसी को संदेह की नजरों से देख रहे हैं। आरबीआइ ने पिछले साल फरवरी में इस तरह की करंसी में व्यापार करने को लेकर निवेशकों को चेतावनी भी दी थी। उसने कहा था कि इसका इस्तेमाल करने वाले नुकसान के खुद जिम्मेदार होंगे। पिछले साल 14 दिसंबर को आयकर विभाग ने वर्चुअल करंसी के जरिए कर चोरी की आशंका में नौ एक्सचेंजों पर छापेमारी की थी।
आरबीआइ ने पिछले साल फरवरी में इस तरह की करंसी में व्यापार करने को लेकर निवेशकों को चेतावनी दी थी। जनवरी में इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने भी बिटकॉइन और दूसरी क्रिप्टोकरंसी में निवेश करने वाले 10 हजार से ज्यादा लोगों को नोटिस भेजा। आयकर डिपार्टमेंट के मुताबिक, पिछले 17 महीनों में क्रिप्टोकरंसी से करीब 25 हजार करोड़ रुपये का लेन-देन किया गया है। पुणे, बेंगलूरू, मुंबई और दिल्ली सहित नौ एक्सचेंज से डाटा इकट्ठा करने के बाद उन्हें नोटिस भेजे गए हैं। उधर, देश के कुछ बड़े बिटकॉइन एक्सचेंज के खातों को कई बैंकों ने सस्पेंड भी कर दिया। संदिग्ध ट्रांजेक्शंस को लेकर एसबीआइ, एक्सिस, एचडीएफसी, आइसीआइसीआइ बैंक और यस बैंक ने इस बीच कई बिटकॉइन से जुड़े अकाउंट्स बंद किए हैं।
बिटकॉइन की ठनक
फायदे
-एक विश्व, एक करंसी
-किसी बिचौलिए का न होना
-समय की बचत
-यह मौजूदा करंसी की जगह ले सकता है
-भुगतान के लिए कम या फीस का न होना
-कीमतों में वृद्धि संभव है, क्योंकि आपूर्ति कम और मांग अधिक है
-विकेंद्रीकृत डाटा सभी तक इसकी पहुंच तय करता है, इससे कोई छेड़छाड़ नहीं कर सकता
-कुछ समय तक मंदा होने के बाद इसने हमेशा रफ्तार पकड़ी है
कीमतों की अस्थिरता में कमी आई है
-कुछ देश इसे स्वीकार नहीं कर रहे, लेकिन इस पर चर्चा करने लगे हैं
आशंका
-यह अचानक ही अस्तित्व में आया
-अज्ञात व्यक्ति ने इसे शुरू किया
-यह अपने मकसद को पूरा करने में सफल नहीं हो पा रहा है। इसका प्रयोग व्यापारिक कार्यों में होना था, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा
-इसके लिए कोई रेगुलेटरी अथॉरिटी नहीं है
-ब्लॉकचेन तकनीक आगे भी जारी रह सकती है, लेकिन बिटकॉइन नहीं
-इसे समझने की जगह लोग बेतहाशा मुनाफे के लिए इसमें निवेश कर रहे हैं
-कुछ देश पहले ही बिटकॉइन एक्सचेंज पर बैन लगा चुके हैं
-यह बिटकॉइन कैश और फिर बाद में बिटकॉइन गोल्ड में बदला, इससे संकेत मिलता है कि इसमें खामियां हैं