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नेता पुत्र-पुत्रियों की आकांक्षाएं भारी

साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव में टिकट के लिए सीएम ‌शिवराज सिंह सहित कई भाजपा नेताओं के वारिस जता रहे दावेदारी
राजनीतिक वा‌रिसः कोलारस में जातीय धाकड़ समाज की  जनसभा में कार्तिकेय

नए चेहरों को मौका देने के नाम पर चुनाव में नेताओं की संतानों को टिकट देने की परिपाटी पुरानी रही है। कई राजनीतिक दल तो परिवार की कोठरी में ही सिमट चुके हैं। भाजपा अक्सर इस बहाने कांग्रेस समेत तमाम दलों को निशाने पर लेती रहती है। हालांकि अनुराग ठाकुर से लेकर दुष्यंत सिंह तक उसके यहां भी राजनीतिक वारिसों की कमी नहीं। मध्य प्रदेश, जहां इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं भाजपा के आठ बड़े नेताओं के बेटे-बेटी चुनावी रण में उतरने की तैयारी कर रहे हैं। इनमें सबसे पहला नाम राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के बड़े बेटे कार्तिकेय सिंह चौहान का है। उनके अलावा केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय, प्रदेश के जनसंपर्क मंत्री नरोत्तम मिश्रा, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं राज्यसभा सांसद प्रभात झा, प्रदेश के पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री गोपाल भार्गव, वित्त मंत्री जयंत मलैया, कृषि मंत्री गौरीशंकर बिसेन, वनमंत्री डॉ. गौरीशंकर शेजवार, नगरीय विकास एवं आवास मंत्री माया सिंह के बच्चे भी कतार में हैं।

पुणे के सिम्बायोसिस लॉ स्कूल के ग्रेजुएट और दूध-फूल के व्यापारी कार्तिकेय सिंह ने राजनीतिक दमखम दिखाने के लिए उस कोलारस को चुना, जहां 24 फरवरी को विधानसभा के उपचुनाव होने हैं। यह सीट कांग्रेस सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्यो‌तिरादित्य सिंधिया के क्षेत्र गुना में आती है। ऐसे में चित्रकूट उपचुनाव में शिकस्त खाने वाले शिवराज भी हर हाल में इस चुनाव में जीत चाहते हैं। वे अब तक खुद छह बार कोलारस का दौरा कर चुके हैं। केंद्रीय मंत्री, प्रदेश के एक दर्जन से ज्यादा मंत्रियों, सांसद और विधायकों को चुनाव की कमान सौंप रखी है। कार्तिकेय तो उपचुनाव की तारीख के ऐलान से पहले ही सात जनवरी को सड़क मार्ग से करीब 335 किलोमीटर का सफर तय कर कोलारस पहुंचे थे। यहां उन्होंने सजातीय धाकड़ समाज की सभा को संबोधित किया।

इस यात्रा के दौरान कार्तिकेय को जिस तरीके से सुरक्षा और सुविधाएं दी गईं उसको लेकर कांग्रेस सवाल उठा रही है। प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता पंकज चतुर्वेदी कहते हैं, “कार्तिकेय को किस हैसियत से हूटर लगी गाड़ी उपलब्ध कराई गई और उन्हें वीआइपी की तरह सुरक्षा दी गई। मुख्यमंत्री अगर अपने पुत्र को राजनीति में उतारना चाहते हैं, तो खुलेआम उतारें, कौन रोक रहा है। लेकिन सरकारी सुविधाएं देकर नेता बनाना कहां की नैतिकता है।”

कार्तिकेय की राजनीतिक सक्रियता से भाजपा के अन्य बड़े नेताओं और मंत्रियों के पुत्र-पुत्रियों के बीच भी सुगबुगाहट बढ़ गई है। केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के पुत्र देवेंद्र प्रताप सिंह उर्फ रामू पार्टी के कार्यक्रमों में काफी सक्रिय रहते हैं। वे हमेशा अपने पिता और उनके खास साथियों के साथ समय बिताते नजर आते हैं। वे भी आगामी विधानसभा चुनाव में भाग्य आजमा सकते हैं। 2013 में भी उनके नाम की चर्चा थी, लेकिन उस समय नरेंद्र सिंह तोमर ही प्रदेश अध्यक्ष थे, सो उन्होंने बेटे देवेंद्र का नाम दावेदारों की सूची से हटवा दिया था।

भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के पुत्र आकाश लंबे समय से इंदौर की राजनीति से सक्रिय रूप से जुड़े हुए हैं। 21 जनवरी को इंदौर में हुई स्वास्थ्य, स्वच्छता और प्रकृति पर केंद्रित साइकिल रैली को सफल बनाने के लिए उन्होंने काफी मेहनत की थी। शहर के अलावा वे इंदौर विधानसभा सीट में आने वाले ग्रामीण अंचलों में भी समय बिताते हैं। इसी कड़ी में 16 जनवरी को उन्होंने ग्राम जामबुजुर्ग, मंगलिया पंचायत के ग्राम नाहरखेड़ा, ग्राम घोड़ाखुर्द, बसीपिपरी पंचायत के ग्राम बसी और चोरल डेम बूथ में भी कार्यकर्ताओं और जनता से चर्चा की थी।

पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और राज्यसभा सांसद प्रभात झा के पुत्र तुष्मुल झा भी बीते एक साल से सक्रिय हैं। हाल में ग्वालियर शहर के रेस कोर्स रोड में लगे जन्मदिन के बधाई वाले पोस्टर को लेकर वे खासर चर्चा में थे। समर्थकों ने जनवरी में उनको जन्मदिन की बधाई देने वाले पोस्टर से शहर के व्यस्ततम चौराहों और मोहल्लों के एंट्री प्वाइंट को पाट दिया था। यह संदेश देने की को‌शिश की गई कि सक्रिय राजनीति में उनके प्रवेश को अब नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। 2017 में इसी तरह तोमर के बेटे देवेंद्र प्रताप को जन्मदिन की बधाई देने वाले पोस्टर से शहर को भर दिया गया था।

मंत्री गोपाल भार्गव के पुत्र अभिषेक भार्गव वर्तमान में युवा मोर्चा में प्रदेश उपाध्यक्ष हैं। पांच जनवरी को जब मध्य प्रदेश सरकार की 19 दिसंबर से शुरू हुई एकात्म यात्रा (ओंकारेश्वर में आदि गुरु शंकराचार्य की अष्टधातु प्रतिमा निर्माण के लिए निकाली गई है) सागर पहुंची तो अभिषेक भार्गव ने कई स्थानों पर यात्रा का स्वागत और पादुका पूजन किया। पादुका ‌सिर पर उठाकर यात्रा में भी शामिल हुए। अपनी फेसबुक वॉल पर सक्रिय रूप से पोस्ट शेयर करने वाले अभिषेक विधानसभा चुनाव लड़ने की चाहत रखते हैं। वित्त मंत्री जयंत मलैया के पुत्र सिद्धार्थ अपने पिता के विधानसभा क्षेत्र दमोह में समाज के सभी वर्गों से रिश्ते बनाने की कोशिश में हैं। लंबे समय से वे दमोह में पार्टी का कामकाज देख रहे हैं। वे भी चुनाव लड़ना चाहते हैं। 2013 में भी उनके नाम की चर्चा थी। प्रदेश के कृषि मंत्री गौरीशंकर बिसेन की पुत्री मौसम बिसेन बालाघाट जिले में सक्रिय हैं। पिछले चुनाव में उनका नाम टिकट के दावेदारों में था। पर परिवार से एक ही व्यक्ति को टिकट मिलने के फॉर्मूले के कारण वे पिछली बार चुनाव नहीं लड़ पाई थीं। इस बार किस्मत ने साथ दिया तो चुनावी मौसम में वे भी किस्मत आजमाती नजर आ सकती हैं।

वनमंत्री डॉ. गौरीशंकर शेजवार के पुत्र मुदित मैकेनिकल इंजीनियर हैं, पर आजकल रायसेन जिले के ग्राम बारला में खेती-बाड़ी कर रहे हैं। खेती से समय निकाल कर मुदित पिता के चुनावी क्षेत्र में लोगों से मिल रहे हैं। पांच जनवरी को जब एकात्म यात्रा ने जिले में प्रवेश किया, मुदित ने चरण पादुका पूजन करने के बाद उसे सिर पर उठाकर यात्रा की और सभा को संबोधित कर लोगों से सेवा करने का आशीर्वाद मांगा। ऐसे में मुदित यदि चुनाव लड़ते दिखें तो ताज्जुब नहीं होना चाहिए।

14 साल से सत्ता से दूर मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के कई नेताओं के बच्चे पहले ही राजनीति में प्रवेश कर सांसद और विधायक बन चुके हैं। इनमे पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के पुत्र जयवर्धन, पूर्व उप मुख्यमंत्री सुभाष यादव के पुत्र अरुण यादव और विपक्ष के नेता रहे दिवंगत सत्यदेव कटारे के पुत्र हेमंत कटारे प्रमुख हैं। इस बीच कई मौके ऐसे भी आए जब कमलनाथ और अजय सिंह ‘राहुल’ जैसे कांग्रेसी नेता के पुत्रों के राजनीति में आने की अटकलों का बाजार गरम हुआ, पर उनके समर्थकों को निराशा ही हाथ लगी।

राजनीति के मैदान में उतरने को व्याकुल इन नेता पुत्र-पुत्रियों को इंतजार है बस मौके का। हालांकि 2013 में भाजपा ने किसी भी नेता के बेटे-बेटी को टिकट नहीं दिया था, जबकि कांग्रेस से भी केवल जयवर्धन को ही टिकट मिला था। भाजपा के कुछ नेता अपनी सीटों से संतानों की राजनीतिक पारी की शुरुआत कराकर खुद चुनावी राजनीति से विश्राम भी चाहते हैं। पर 2003 से राज्य की सत्ता पर काबिज पार्टी के सामने जातीय समीकरणों को साधने के साथ-साथ परिवारवाद के आरोपों से बचकर नेताओं की संतानों पर दांव लगाने की मुश्किल चुनौती है। तीन फरवरी को शिवराज ने कैबिनेट का विस्तार करते हुए नारायण सिंह कुशवाह, बालकृष्‍ण पादीदार और जालम सिंह पटेल को मंत्रिमंडल में शामिल किया। जातीय समीकरणों को साधने के लिए शिवराज ने अपनों को नजरंदाज कर तीनों को कैबिनेट में जगह दी है। ऐसे में राजनीतिक वारिसों के भविष्य का फैसला भी चौंकाने वाला हो सकता है।

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