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छोटे शहरातियों को लुभाती लकदक कार

चलते-फिरते शो रूम से दूसरे और तीसरे दर्जे के शहरों की संभावनाओं को भुनाने में जुटे कार निर्माता
लोगों को आकर्षित कर रही हैं ये कारें

आधुनिक कला प्रदर्शनियां, हाइ फैशन शो, नए-नवेले व्यंजनों के उत्सव से लेकर गोल्फ टूर्नामेंट के आयोजन तक बीएमडब्लू ने भारत में 2007 में अपने पदार्पण के बाद महानगरों की आभिजात्य-अमीर बिरादरी को लुभाने के लिए क्या कुछ नहीं किया। लेकिन पिछले कुछ साल में महानगरों में बिक्री अवरुद्ध होने से जर्मन कार निर्माता कंपनी अब छोटे शहरों और कस्बों के उभरते अमीरों को लुभाने की कोशिश कर रही है। इसी से आपको अंदाजा लग जाएगा कि हाल ही में लखनऊ के निजाम पैलेस और उदयपुर के लेक पैलेस में कंपनी ने ग्राहकों को न्यूयार्क के नामी रेस्तरां मिशेलिन के नामी-गिरामी शेफ के बनाए लजीज व्यंजन परोसे थे।

बीएमडब्लू ग्रुप इंडिया के प्रेसीडेंट विक्रम पहवा कहते हैं, “ग्राहकों से जुड़ने का यह अनूठा अनुभव था। छोटे शहरों में भी लोगों की प्रतिक्रिया शानदार थी।” उनके मुताबिक, टियर-2 और टियर-3 शहरों की अब अनदेखी नहीं की जा सकती। इन जगहों पर भी जल्द ही लग्जरी वाहन निर्माता कंपनियों के बीच कड़ी प्रतिस्पर्धा देखने को मिलेगी। बाजार में हिस्सेदारी के लिहाज से मर्सिडीज बेंज लग्जरी कार निर्माता कंपनियों में सबसे आगे है। उसने बीते साल अक्टूबर में महाराष्ट्र के जलगांव से ब्रांड टूर की शुरुआत की। दिसंबर तक आगरा, सलेम, कोट्टायम, शिलांग, राजमुंदरी, जोधपुर, कोल्हापुर जैसे 12 अन्य छोटे शहरों में भी यह पहुंची। मर्सिडीज बेंज इंडिया के सीईओ रोलैंड फोल्जर कहते हैं, “टियर-2 और टियर-3 शहरों में पहुंच दर्ज कराने के लिए ब्रांड टूर का आयोजन किया गया। ये उभरते हुए बाजार हैं और यहां के लोगों से मर्सिडीज बेंज के शो रूम दूर हैं।” जर्मनी की तीनों लग्जरी कार निर्माता कंपनियों में से सबसे पहले मर्सिडीज ने ही 1994 में भारत में दस्तक दी थी। फॉक्सवैगन की ऑडी और बीएमडब्लू बहुत बाद में 2007 में भारत आईं।

2016 में ऑडी की बिक्री में 30 फीसदी की गिरावट के बाद बीएमडब्लू दूसरी सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी बन गई। उसने साल भर में 7,861 कारें बेचीं। 2,400 कारें बेचकर जगुआर लैंड रोवर 2016 में चौथे नंबर पर रही।

छोटे शहरों पर लग्जरी कार निर्माताओं की नजर गड़ने की वजह बताते हुए ऑटोमोटिव कंसल्टेंट डिलाइट इंडिया के वरिष्ठ निदेशक राजीव सिंह कहते हैं, “टियर-2 और टियर-3 शहरों में बिक्री वृद्ध‌ि की अपार संभावनाओं से कंपनियां बखूबी वाकिफ हैं। वे इसका फायदा उठाना चाहती हैं। उभरते हुए शहरों में सबसे पहले मॉस मॉडल (आमफहम) कारें आईं, फिर प्रीमियम। अब वक्त लग्जरी कारों का है। कम संख्या में बिक्री के बावजूद निश्‍चित तौर पर इन जगहों पर संभावनाएं हैं।” इन संभावनाओं का फायदा उठाने के लिए ऑडी की भी अपनी रणनीति ह‌ै। छोटे शहर कंपनी के लिए क्यों अहम हैं‍? ऑडी इंडिया के प्रमुख राहिल अंसारी कहते हैं, “2017 में लग्जरी श्रेणी की 25 फीसदी कारें इन शहरों में बेची गईं।”

2016 में लगभग 33,000 लग्जरी कारें बिकीं, जो भारतीय कार बाजार का एक फीसदी हिस्सा है। एनसीआर में डीजल वाहनों पर प्रतिबंध, आर्थिक विकास की सुस्त रफ्तार और नोटबंदी के कारण पिछले कुछ साल में इस श्रेणी की कारों की मांग में कमी आई है। हालांकि, 2016 के मुकाबले बीते साल लग्जरी कारों की बिक्री में इजाफा हुआ। आइएचएस मार्केट ने बिक्री में 10.50 फीसदी की वृद्ध‌ि के साथ इन कंपनियों द्वारा 36,770 कार बेचने का अनुमान लगाया है। 2012 के बाद यह पहला मौका है जब लग्जरी कार की बिक्री में दहाई अंक की वृद्धि दिख रही है। मार्केट रिसर्च फर्म का आकलन है कि 2018 और 2019 में लग्जरी कार की बिक्री में क्रमश: 42 और 21 फीसदी की वृद्ध‌ि हो सकती है।

मोबाइल शो रूम की रणनीति

ऐसा नहीं है क‌ि छोटे शहर हमेशा से बिक्री बढ़ाने की लग्जरी कार निर्माताओं की रणनीति का हिस्सा रहे हैं। पहवा बताते हैं कि 2007 में जब बीएमडब्लू ने भारत में शो रूम खोला तो केवल 2,000 लग्जरी कारें बिकीं। इसके बाद कंपनी ने मेट्रो शहरों में डीलरों का नेटवर्क बनाया। वे कहते हैं, “जब हमने यह किया तो पाया कि टियर-2 शहरों में न केवल कमाई बल्कि वहां के लोगों की आकांक्षाएं भी लगातार बदल रही हैं। इसलिए, 2011-12 में हमने इन बाजारों में विस्तार शुरू किया।” एक दशक पहले, इस ब्रांड की केवल नौ डीलरशिप थी। आज 31 शहरों में इसके 42 शो रूम हैं।

2016 में बीएमडब्लू 14 फीसदी की वृद्धि दर के साथ देश के लग्जरी कार निर्माताओं में सबसे तेजी से बढ़ने वाला ब्रांड था। 2017 के शुरुआती नौ महीनों में यह 17.3 फीसदी की वृद्धि के साथ आगे बढ़ रहा था। उभरते हुए बाजारों में अपनी मौजूदगी बढ़ाने के लिए कंपनी के पास दोहरी योजना है। पहला, परंपरागत डीलर नेटवर्क को बढ़ाना। कंपनी ने 2019 के अंत तक शो रूम की संख्या बढ़ाकर 50 तक पहुंचाने का लक्ष्य तय कर रखा है। इनमें से ज्यादातर शो रूम उभरते हुए शहरों में होंगे। पहवा बताते हैं, “पिछले महीने, हमने मदुरै में सेवा शुरू की है। उससे पहले रांची और औरंगाबाद में शो रूम खोले गए थे।” दूसरा, कंपनी ने बीएमडब्लू स्टूडियो नाम से मोबाइल शो रूम की शुरुआत की है। इसमें लाइफस्टाइल कलेक्शन और वीआइपी लाउंज की सुविधा के साथ दो कारें प्रदर्शनी के लिए रखी होती हैं।

फाइव स्टार होटल या मॉल्स के सामने लगाया जाने वाला यह स्टूडियो देश भर में घूमता है, खासकर छोटे शहरों और कस्बों में। पहवा बताते हैं कि इस स्टूडियो में ग्राहकों को शो रूम जैसा ही अनुभव होता है। वे यहां पहुंचकर हमारे उत्पाद को देख सकते हैं और इसके बारे में जानकारी ले सकते हैं। बीएमडब्लू स्टूडियो आगरा, वाराणसी, सेलम, जालंधर, विशाखापत्तनम, तिरुनेलवेली और जबलपुर समेत 50 शहरों में घूम चुका है।

ऑडी और मर्सिडीज के भी पहियों पर चलने वाले अपने शो रूम हैं। ऑडी इसे मोबाइल टर्मिनल और मर्सिडीज ब्रांड टूर कहता है। ऑडी का मानना है कि मोबाइल शो रूम उसके ब्रांड के प्रचार के हिसाब से एकदम सटीक है। अंसारी कहते हैं, “ग्राहकों को आकर्षित करने के साथ-साथ हम उन तक खुद पहुंचना चाहते हैं। मोबाइल टर्मिनल हमारी पहुंच आसान बनाती है।” ऑडी ने 2015 में मोबाइल टर्मिनल की शुरुआत की। अब तक जोधपुर, हुबली, अंबाला, हिसार, मुजफ्फरनगर, सहारनपुर, मेरठ, अलीगढ़, आगरा और अमृतसर समेत 80 शहरों में उसका मोबाइल टर्मिनल पहुंच चुका है। भारतीय बाजार में दस्तक देने के पांच साल के भीतर ही 2012 में ऑडी शीर्ष पर आ गई थी। नए लॉन्च और मोबाइल टर्मिनल की मदद से वह फिर से अपनी खोई साख हासिल करने की कोशिश कर रही है।

तीनों कंपनियां इस चलते-फिरते शो रूम से टेस्ट ड्राइव, बुकिंग सर्विस, फाइनेंस और इंश्योरेंस स्कीम जैसी चीजों का ऑफर देती हैं। मोबाइल शो रूम लग्जरी कार निर्माताओं को जोखिम उठाए बिना स्थायी डीलरशिप के बड़े खर्चों से बचने की सुविधा भी प्रदान करते हैं। एक स्थायी शो रूम बनाने में 25 से 30 करोड़ की लागत आती है, जबकि मोबाइल शो रूम पर इसका 5-10 फीसदी ही खर्च आता है। मोबाइल शो रूम कम खर्च में पहुंच बढ़ाने का कंपनियों को मौका दे रही है।

जरूरतों से वाकिफ

छोटे शहरों में पहुंच के साथ-साथ लग्जरी कार निर्माता बिक्री के बाद की सर्विस और कारों की रख-रखाव की जरूरतों से भी वाकिफ हैं। वैसे भी, लग्जरी कार के लिए मोटा पैसा खर्च करने वाले बदले में काफी कुछ चाहेंगे। इस स्तर पर भी ग्राहकों को संतुष्‍ट करने के लिए ऑडी ने रणनीति बना रखी है। अंसारी कहते हैं, “हमने उन शहरों की पहचान की है जहां पहले वर्कशॉप खोले जाएंगे। इससे ग्राहकों के आसपास ऑडी वर्कशॉप मिलेगा।”

डिलाइट इंडिया के राजीव सिंह का मानना है कि ब्रांड के लिए यह रणनीति कारगर साबित होगी। वे कहते हैं, “जब आप पारंपरिक आउटलेट नहीं बनाते हैं तो सवाल उठता है कि आप उसे डीलर के लिए फायदे का सौदा कैसे बना सकते हैं। वर्कशॉप का फायदा यह है कि उसके 250 किलोमीटर के दायरे में मौजूद आपका डीलर सर्विस आउटलेट बना सकता है। इससे इलाके में उसकी पहुंच भी बढ़ेगी। यह डीलर को लुभाने जैसा है।”

सर्विसिंग और रख-रखाव को लेकर बीएमडब्लू की अलग सोच है। पहवा कहते हैं, “हम डीलर की मदद से पास के 50 शहरों में सर्विस कैंप लगाते हैं। इन जगहों पर बीएमडब्लू स्टूडियो जाते हैं। सर्विसिंग के लिए खरीदार यहां आना पसंद करते हैं। वर्कशॉप और शो रूम एक ही जगह होने का फायदा यह है कि इससे आप नए मॉडल के साथ पूरी रेंज ग्राहकों को दिखा पाते हैं।” यही नहीं, कार निर्माताओं ने इन इलाकों में ग्राहकों के लिए फाइनेंसिंग और बाई-बैक स्कीम की भी व्यवस्था की है। पहवा कहते हैं, “ऐसी जगहों पर ज्यादातर लोग पहली बार लग्जरी कार खरीदते हैं। वे अक्सर फाइनेंसिंग और रख-रखाव के खर्चों, रीसेल वैल्यू को लेकर चिंतित रहते हैं। इन चिंताओं के समाधान के लिए हम बीएमडब्लू 360 डिग्री नामक योजना चला रहे हैं।” इसके तहत ग्राहक अपनी पसंद का मॉडल चुनते हैं और फाइनेंसियल कांट्रैक्ट की अवधि उनकी सालाना माइलेज की जरूरत पर आधारित होती है। तीन साल की वारंटी के बजाय वे फाइनेंसियल और सर्विसिंग की लागत का शुल्क हर महीने चुकाते हैं। इस अवधि के बाद बाई-बैक वैल्यू की भी सुविधा होती है। तीन साल के बाद ग्राहक कार वापस कर सकता है या भुगतान पूरा कर पूरा मालिकाना हक ले सकता है या फिर इसे बेचकर ऊंची कीमत वाली कार खरीद सकता है।

पहवा के मुताबिक मेट्रो शहर और छोटे शहरों के लग्जरी कार खरीदारों में बुनियादी तौर पर ज्यादा अंतर नहीं होता। उनका प्रोफाइल अलग-अलग हो सकता है। मसलन, कोई खरीदार बड़े शहर का वकील हो सकता है तो दूसरा छोटे शहर का व्यापारी। ऑडी के अंसारी कहते हैं, “दोनों के अरमान एक जैसे होते हैं। इंटरनेट के कारण अब टियर-2 और टियर-3 के शहरों के लोगों के पास भी पर्याप्‍त जानकारी होती है।” ब्रांड को लेकर ग्राहकों की जागरूकता का कार निर्माता अपने फायदे के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं।

बीएमडब्लू के पहवा कहते हैं, “बीएमडब्लू स्टूडियो के लिए शहरों का चुनाव करने के बाद हमने सोशल मीडिया की मदद से यह पता लगाया कि किस इलाके के लोग हमारे ब्रांड या शो रूम के बारे में जानना चाहते हैं। इस तरह टियर-2 और टियर-3 शहरों में स्टूडियो लगाने के लिए हमने लोकेशन चुना।”

हालांकि भारत के कार बाजार में लग्जरी कारों की हिस्सेदारी बमुश्किल एक फीसदी है, जबकि विकसित देशों में यह 5-6 फीसदी है। जानकारों का मानना है कि 2020 तक भारत में सभी प्रकार की कारों की बिक्री मौजूदा 30 लाख से बढ़कर 50 लाख हो जाएगी। इसमें दो-तीन फीसदी हिस्सा लग्जरी कारों का होगा। इससे सभी कंपनियां अगले एक साल में ज्यादा से ज्यादा मॉडल लॉन्च कर अपना दायरा बढ़ाना चाहती हैं। नए बाजार, लोगों की आकांक्षा और क्रय-शक्ति बढ़ने के कारण लग्जरी कार ब्रांड्स के लिए आने वाले वक्त में अवसर पहले से ज्यादा ही होंगे।

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