राजधानी दिल्ली का एक फार्महाउस। 17 फरवरी, 2018 की गुनगुनी दोपहर। कुछ वकील बेहद हड़बड़ी में किसी अज्ञात देश की उड़ान भरने की तैयारी में जुटे हैं, जहां हीरा व्यापारी नीरव मोदी का फिलहाल ठिकाना है। वह देश के दूसरे सबसे बड़े सरकारी बैंक पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) के साथ किए फर्जीवाड़े के सिलसिले में जांच एजेंसियों के निशाने पर है। जब यह राज खुला कि नीरव मोदी की कंपनियों ने बिना कुछ गिरवी रखे पीएनबी से लेटर ऑफ अंडरटेकिंग (एलओयू) हासिल करके करोड़ांे की हेराफेरी कर ली है, तो कथित तौर पर तब न्यूयॉर्क के एक होटल में दुबके मोदी ने शुरुआत में चुप्पी साध ली। फिर उसने बड़ी मासूमियत से ट्वीट करके वही जाना-पहचाना सवाल उठाया जो पकड़े जाने पर सभी भ्रष्ट पूछते हैं: ‘मैं ही क्यों?’
नीरव मोदी ने अपने वकीलों से पता लगाने को कहा कि वह फौरन कितना कैश इकट्ठा कर सकता है। भरोसेमंद सूत्रों का कहना है कि उसके वकीलों ने न्यूयॉर्क, लंदन, बीजिंग, लास वेगास, होनोलूलू, मकाऊ, हांगकांग और सिंगापुर के 14 इंटरनेशनल स्टोरों में मोदी की कुल इन्वेंट्री का हिसाब लगाना शुरू कर दिया। वकील उसके छह फ्लैट का भी हिसाब-किताब लगाने लगे जिनमें दक्षिण मुंबई के वरली की मशहूर समुद्र महल बिल्डिंग में डुप्लेक्स, अमीरों के इलाके पेडर रोड के ग्रोसवेनर हाउस में एक फ्लैट, काला घोड़ा में नामी राइम हाउस और दुबई के लकदक अल शेरा टॉवर में एक फ्लैट शामिल हैं। मोदी यह भी चाहता था कि उसके संग्रह की सभी पेंटिंग्स की कीमत भी जोड़ी जाए जिनमें फ्रांसिस सूजा, अमृता शेरगिल, भारती खेर, वीएस गायतोंडे, अकबर पद्मसी और एमएफ हुसेन की पेंटिंग्स शामिल हैं।
वकील नीरव मोदी को मुश्किलों के भंवर से बाहर निकालने की रणनीति बना रहे हैं, देश के हीरा व्यापारी हैरान हैं कि बैंक और वित्तीय संस्थाओं को मोदी और उनके मामा मेहुल चौकसी को नापने में इतना वक्त क्यों लगा, जबकि ये लगभग दिवालिया थे।
सूरत के हीरा व्यापारी चंदर भाई सुता सवाल उठाते हैं, “उन लोगों को लगातार एलओयू क्यों मिलते रहे? क्या वित्त मंत्रालय की तरफ से बैंक के ऊपर कोई दबाव था?” सूरत में स्थानीय लोगों ने पीएनबी की शाखाओं के बाहर प्रदर्शन किया कि अगर वे ऑटो या पर्सनल लोन की किस्त न भर पाएं तो उन्हें दंडित क्यों किया जाना चाहिए।
बहुत कम लोगों को याद है कि जुलाई 2016 में भावनगर के एक ज्वेलर दिग्विजय जाडेजा ने गुजरात हाइकोर्ट में अर्जी दी थी कि चौकसी को धोखेबाज मानते हुए उसके भारत से बाहर जाने पर रोक लगा देनी चाहिए। अपने हलफनामे में जाडेजा ने अदालत से कहा था कि करीब नौ हजार करोड़ रुपये के कर्ज में डूबा चौकसी अपने परिजनों को विदेश पहुंचाने में लगा है और वह भारत से भागकर दुबई में बस सकता है, जहां बुर्ज खलीफा में उसका एक अपार्टमेंट है। जाडेजा कहते हैं, “काश! अदालत ने उनकी सुनी होती और चौकसी का पासपोर्ट जब्त कर लिया होता।” यह मामला फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में है।
लेकिन जेम्स एंड ज्वेलरी एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (जीजेईपीसी) में दबदबा रखने वाले नीरव मोदी और मेहुल चौकसी के दिल्ली आने और वित्त तथा वाणिज्य मंत्रालय के मंत्रियों, नौकरशाहों से मिलने पर कोई रोक नहीं थी। जब भी कोई उनसे पूछता कि कर्ज को कैसे झेल रहे हो तो दोनों कहते, "कर्ज तो जिंदगी का, व्यापार का हिस्सा है।"
एलओयू के जरिए बैंकों को ठगना एक शानदार और अनूठा तरीका था। इस तरकीब के बारे में लोगों को ज्यादा जानकारी नहीं थी। कई लिहाज से यह एक पोंजी स्कीम की तरह था।
नीरव मोदी हमेशा से संगीतकार बनना चाहता था, जुबिन मेहता की तरह। लेकिन चौकसी उसे कारोबार में ले आया। चौकसी को भरोसा था कि नीरव नगीनों के कारोबार में कामयाब हो सकता है। इस तरह नीरव का ध्यान सुरीली धुनों से हटकर डायमंड पर आ गया। बाद में उसने अपने ब्रांड को नाम दिया लव ऑन बॉडी। अपने उत्पादों को वह हीरा नहीं कहता था। उसके कारीगर बेशकीमती पत्थरों को एक आयातित मेटल में जड़ते थे जो दिखाई नहीं देता था। ऐसा लगता था जैसे नगीना शरीर में धंसा हुआ है।
लेकिन निजी बातचीत में बाजार के जानकार नीरव मोदी से घृणा करते हैं। वे बताते हैं कि क्यों उसके शानदार शो-रूम उन्हें प्रभावित नहीं करते। उसके प्रोडक्ट्स के दाम बहुत बढ़ा-चढ़ाकर रखे जाते थे। इसलिए सरकार का यह दावा भी हकीकत से दूर हो सकता है कि उसके यहां से पांच हजार करोड़ रुपये से ज्यादा के आभूषण जब्त किए गए हैं। बाजार के एक जानकार कहते हैं, “ईमानदारी से कहूं तो क्या कोई हीरा व्यापारी भारत छोड़ने से पहले पांच हजार करोड़ रुपये के हीरे-जवाहरात छोड़कर जाएगा? उसके प्राइस टैग एक मजाक हैं, यह 100-200 करोड़ रुपये से ज्यादा नहीं होगा।”
मोदी और चौकसी ने कभी प्रतिद्वंद्वियों की परवाह नहीं की। वे जानते थे कि उन्हें बहुत कैश की जरूरत है। यह जरूरत मोदी को पंजाब नेशनल बैंक तक ले गई जिसने 10 फीसदी की ब्याज दर पर कर्ज देने की पेशकश की। मोदी ने कहा कि उसे विदेशी मुद्रा में कर्ज चाहिए क्योंकि वह डॉलर में खरीद कर रहा है जो 3.5 फीसदी पर मिल सकता है, जैसे लंदन के लिबोर की दर 3-4 फीसदी है। पीएनबी से उसे लोन नहीं मिला। वह दोबारा पीएनबी के पास गया और डायमंड की खरीद के लिए विदेशी बैंकों से पैसा जुटाने के लिए एलओयू देने को कहा। इस बार पीएनबी मेहरबान हो गया। करोड़ों के कर्ज के लिए कुछ गिरवी भी नहीं रखवाया। शायद यह सब जान-बूझकर हुआ। मोदी को एलओयू मिल गए और विदेशी बैंकों ने उसे इसलिए कर्ज दे दिया क्योंकि देश का दूसरा सबसे बड़ा बैंक उसकी गारंटी ले रहा था। यह कर्ज बहुत सस्ता होता है। एलओयू के अनुसार, पीएनबी 180 दिन तक मोदी के कर्ज की जिम्मेदारी लेगा। यानी अगर नीरव मोदी कर्ज चुकाने में नाकाम रहता है तो उसे पीएनबी चुकाएगा। वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण कहते हैं, “यही नीरव मोदी ने गंदा खेल खेला।”
भारतीय बैंकों की विदेशी शाखाओं ने पीएनबी के खाते को पैसा दिया। विदेशी बैंकों में पीएनबी के ऐसे खाते को ‘नोस्ट्रो’ कहते हैं। इस तरह मोदी को पैसा मिला। यह पैसा मोदी को कब लौटाना था? उसे हीरे खरीद और फिर उसे बेचकर एलओयू की तय तारीख को पीएनबी को लौटाना था। लेकिन मोदी ने पैसा लौटाने के बजाय दूसरा एलओयू मांगा। इस बार पहले कर्ज और उसके ब्याज के बराबर। अगर पहले वाला एलओयू एक करोड़ डॉलर का था तो अगली बार 1.1 करोड़ डॉलर की रकम का एलओयू लिया। इस तरह कर्ज बढ़ता गया।
एलओयू नाम के ये ऑर्डर बैंकिंग सिस्टम की निगरानी से बाहर रखे गए। नीरव मोदी को एलओयू के जरिए कर्ज दिलाने का सिलसिला 2011 से चल रहा था, इसलिए टीवी की बहसों में भाजपा और एनडीए सरकार की दलील है कि नीरव मोदी वास्तव में कांग्रेस के नजदीक था, इसलिए पूरे सिस्टम को घुमाने में कामयाब रहा।
अब हुआ यह कि पीएनबी के पास नीरव मोदी को दिए एलओयू के एवज में कुछ गिरवी नहीं रखा है इसलिए बैंक ने आनन-फानन सीबीआइ और ईडी जैसी जांच एजेंसियों को अलर्ट किया। लेकिन पीएनबी इस बात का जवाब नहीं दे रहा है कि उसने कुछ गिरवी रखवाए बगैर गारंटी कैसे दे दी? अब बैंक के ऊपर करीब 11 हजार करोड़ रुपये के कर्ज का बोझ है जिसका खुलासा उसने अपने बेसिल-3 डिस्क्लोजर में भी नहीं किया था। उलटबांसी देखिए, सरकार ने पीएनबी को “देश के सबसे सतर्क बैंक” का खिताब दिया था। बैंक के निचले तबके के कर्मचारी, ज्यादातर क्लर्क और मिडिल लेवल मैनेजर खुद को निर्दोष तो बता रहे हैं लेकिन इसका जवाब उनके पास भी नहीं है कि आला अधिकारियों की जानकारी के बिना 11 हजार करोड़ रुपये के कर्ज का घपला कैसे हो गया। पीएनबी के दो लोगों का कहना है कि वे सिस्टम में डेटा एंट्री करना ही भूल गए थे।
सुनने में आया है कि नीरव मोदी ने अपने दोस्तों और साथियों से उसके लिए देश के विभिन्न मंदिरों में प्रार्थना करने को कहा है। वह चिंतित है कि उसे पीएनबी के शेयर में आ चुकी 17 फीसदी की गिरावट का गुनहगार ठहराया जा सकता है। मोदी के वकील कह सकते हैं कि उसकी कुल देनदारी पीएनबी के कुल 60 हजार करोड़ रुपये के डूबत कर्ज (एनपीए) से बहुत कम है। वे यह भी कह सकते हैं कि 11 हजार करोड़ रुपये का एनपीए और हो जाने से बैंक बर्बाद नहीं होगा क्योंकि सरकार मदद के लिए खड़ी है।
नीरव मोदी पर 2017 में दो हजार करोड़ रुपये की मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में आयकर छापे पड़े थे। नोटबंदी के बाद उसने भारी कैश लिया और इसे बिक्री से प्राप्त दिखाया। इसके चलते 2016 में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) को उसे संदिग्ध खातों की सूची में डालना पड़ा। इसके बावजूद वह दावोस में हुए वर्ल्ड इकनॉमिक फोरम में न सिर्फ जगह पाने में कामयाब रहा, बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ तस्वीर खिंचवाता नजर आया।
लेकिन दबाव बन रहा है। पता चला है कि नीरव मोदी और मेहुल चौकसी ने मुश्किलों से उबरने के लिए अपने दोस्तों से संकटमोचन पूजा करवाने को कहा है। चौकसी ने हाल में अहमदाबाद के पास शंखेश्वर में एक धर्मशाला पर करोड़ों रुपये खर्च किए थे। वित्तीय संकटों से पार पाने के लिए चौकसी अपने आध्यात्मिक गुरु प्रेमसूरी महाराज से पिछले कुछ वर्षों में कई बार मिल चुके हैं।
लेकिन कुछ काम न आया। रोज इस घोटाले की परतें खुल रही हैं। बैंकिंग सिस्टम में हीरा कारोबारियों के कारनामों के सामने सब फीके नजर आ रहे हैं। अपने कर्मचारियों को महंगी कारें गिफ्ट करने वाले सूरत के चर्चित हीरा व्यापारी सावजी ढोलकिया एक प्राइवेट बैंक को चार हजार करोड़ रुपये के कर्ज का ब्याज नहीं चुका रहे हैं।
आज भले ही मामा-भांजे की जोड़ी संकटों से बाहर आने के लिए हाथ-पैर मार रही है, लेकिन मोदी और चौकसी ने अपना जीवन शाही अंदाज में जिया है। खबरों में आने के लिए वे अक्सर हॉलीवुड सितारों और बॉलीवुड की हसीनाओं पर पैसा बहाया करते थे। दिल्ली और मुंबई में सूत्रों का कहना है कि ऐसे डायमंड मर्चेंट पर भरोसा करते रहने वाले बैंकरों पर इस ग्लैमर का असर भी रहता है।
प्रशांत भूषण मानते हैं कि बैंक ने बड़ी भारी चूक की है। उनका तर्क है कि जब पालनपुरी जैन समुदाय और साथी व्यापारी भी मोदी और चौकसी को उधार देना बंद कर चुके थे तो बैंक उन्हें कैसे कर्ज देते रहे। मोदी और चौकसी दोनों पालनपुरी जैन हैं।
यह बेहद दिलचस्प है कि इस घोटाले का खुलासा हो ही नहीं पाता अगर नीरव मोदी के भाई निशाल मोदी की पीएनबी के अधिकारियों से चकचक न होती, जिसकी शादी धीरूभाई अंबानी की नतिनी इशिता से हुई है। एंटवर्प में जन्मे और पले-बढ़े तथा बेल्जियम के पासपोर्टधारी मोदी जूनियर बैंक में गया और एलओयू मांगने लगा। जब उससे एलओयू के एवज में 100 फीसदी गारंटी की मांग की गई तो कथित तौर पर निशाल ने अधिकारियों से कहा कि उसका परिवार तो पिछले कुछ साल से यह चिट्ठी यूं ही हासिल करता रहा है। तब उस अधिकारी ने रिकॉर्ड चेक किया और जब उसे कुछ नहीं मिला तो उसका दिमाग ठनका। उसके बाद पूरी जांच-पड़ताल हुई और फर्जीवाड़ा पकड़ा गया।
नीरव मोदी से 2015 में लगभग उसी वक्त डिपार्टमेंट ऑफ रिवेन्यू इंटेलिजेंस (डीआरआइ) ने पूछताछ की थी जब फोर्ब्स इंडिया की फेहरिस्त में उसे 63वें नंबर का अमीर बताया गया था और उसकी कुल संपत्ति 1.52 अरब डॉलर आंकी गई थी। डीआरआइ के अफसरों ने उससे इस आरोप के लिए पूछताछ की कि वह आयातित, ड्यूटी-फ्री, कट एंड पॉलिस्ड डायमंड को घरेलू बाजार में ला रहा है और सस्ते डायमंड को हांगकांग और यूएई जैसे बाजारों में निर्यात के लिए आभूषण बनाने में इस्तेमाल कर रहा है। ये बाजार एशिया में डायमंड के सबसे बड़े हब हैं।
डीआरआइ के एक रिटायर्ड अफसर हंसते हुए बताते हैं, “वह बड़ी अदा से आया था।” मोदी रॉल्स रायस में आया और अपने साथ इवियन वाटर, स्प्राउट, ग्रीन टी और यहां तक कि पेपर नेपकिंस भी लेकर पहुंचा था। वह कभी भी मुकदमेबाजी में नहीं पड़ना चाहता था। बल्कि हमेशा अपने मामले कस्टम एक्ट की धारा 28 (5) के तहत मय ब्याज और 15 फीसदी जुर्माने के साथ भुगतान करके निपटाया करता था। वह मामला 48 करोड़ रुपये में सुलटा था।
11 हजार करोड़ रुपये के पीएनबी के साथ फर्जीवाड़े की सबसे बड़ी सुर्खी यह है कि 47 वर्षीय नीरव मोदी अगली साजिश रच रहा था। यह मामला ऐसे समय खुला जब एक और भारतीय हीरा व्यापारी जतिन मेहता शारजाह की अदालत से अनुकूल फैसला हासिल करने में कामयाब हो गया। मेहता फिलहाल लंदन में है। उसकी कंपनी विनसम डायमंड्स और फॉरएवर डायमंड्स पर भारतीय बैंकों का करीब 6,800 करोड़ रुपया कर्ज है। वह देश में दूसरा सबसे बड़ा कॉरपोरेट डिफॉल्टर है। शारजाह अदालत ने उसकी यह दलील मान ली कि कुछ दिक्कतों से वह भुगतान नहीं कर पाया। लेकिन भारतीय जांच एजेंसियों का दावा है कि मेहता ने जान-बूझकर भारतीय बैंकों की रकम अदा नहीं की और उस रकम को उसने कर चोरी के वैश्विक अड्डों में जमा कर रखा है।
लेकिन मोदी मौन साधे हुए है। दिल्ली और मुंबई में यह बताने वाला कोई नहीं है कि सीबीआइ ने क्यों उसके खिलाफ 41 एफआइआर दर्ज की और क्यों सरकारी बैंक मोदी को फरवरी, 2018 तक कर्ज मुहैया कराते रहे। पीएनबी ने करीब 30 सरकारी बैंकों से यह पूछा है कि क्या उन्होंने भी मोदी और चौकसी को ऐसे ही बिना गारंटी कर्ज मुहैया कराया। हिसाब-किताब ताबड़तोड़ लगाया जा रहा है और अगर कुछ और बैंकों ने कहा कि हमने भी दिया है तो यह रकम 20 अरब डॉलर से ऊपर जा सकती है।
लेकिन सबसे खास वह तौर-तरीका है जिससे बैंकों ने ऐसे कारोबारियों को कर्ज मुहैया कराया। हीरा व्यापारियों में सबसे ताकतवर माने जाने वाले चौकसी के बारे में तो कहा जाता है कि वह सीधे बैंकों की बोर्ड बैठकों में पहुंच जाया करता था और रकम की मांग करता था। 2013 में एक बार उसने 50 करोड़ रुपये का कर्ज चुटकी बजाते हासिल कर लिया, जबकि बैंक के एक डायरेक्टर यह सवाल लगातार उठाते रहे कि पहले वह 1,500 करोड़ रुपये का कर्ज वापस तो कर दे। आखिर डायरेक्टर दिनेश दुबे को इस्तीफा देना पड़ा। दुबे ने एक इंटरव्यू में कहा, “कोई नहीं चाहता था कि मैं वहां रहूं।”
मुंबई में पीएनबी की ब्रैडी हाउस ब्रांच के दो अफसरों डिप्टी मैनेजर गोकुलनाथ शेट्टी और क्लर्क मनोज खरात के परिजनों ने सीबीआइ से कहा कि निचले कर्मचारी तो “वरिष्ठ अधिकारियों के कहने पर ही फैसले लिया करते थे।” मोदी और उसकी कंपनियों ने इन एलओयू के जरिए हांगकांग में अन्य बैंकों के अलावा इलाहाबाद बैंक (करीब 2000-2200 करोड़ रुपये), यूनियन बैंक (करीब 2000-2300 करोड़ रुपये), एक्सिस बैंक (करीब 2000 करोड़ रुपये) और भारतीय स्टेट बैंक (960 करोड़ रुपये) की शाखाओं से कर्ज उठाया।
मोदी दुनिया के सबसे बड़े डायमंड हब एंटवर्प की गलियों में महाराष्ट्र और गुजरात के कारोबारियों के दबदबे का प्रतीक है, जहां कभी यहूदियों का दबदबा हुआ करता था। क्या अब भी वह उन्हीं गलियों में सीना ताने घूम सकेगा?
(लेखक की किताब डायमंड्स: द इंडियन स्टोरी इस साल हॉर्पर कॉलिंस से प्रकाशित होगी)