अभिनेता कमल हासन को तमिलनाडु में अपनी राजनीतिक यात्रा की शुरुआत के लिए रामेश्वरम से मदुरै पहुंचने में पांच घंटे का वक्त लगा। उन्होंने सोचा भी न होगा कि इसी दौरान वे राजनीतिक दांवपेच के शिकार हो जाएंगे। रामेश्वरम में उनसे पूछा गया कि राजनीतिक शुरुआत के लिए उन्होंने पूर्व राष्ट्रपति ए.पी.जे. अब्दुल कलाम का घर ही क्यों चुना, जबकि वे उनके अंतिम संस्कार तक में शामिल नहीं हुए थे। हासन का जवाब था, “मैं अंत्येष्टि में शरीक नहीं होता।” लेकिन, अतिसिक्रय सोशल मीडिया के दौर में उनकी चतुराई पकड़ी गई, जो दिखाता है कि उनका इरादा कलाम के नाम का राजनीतिक फायदा उठाने का था। कलाम से हासन केवल एक बार मिले थे और वह भी हवाई जहाज में।
अंत्येष्टि से दूर रहने के हासन के दावे के कुछ घंटे के भीतर ही ऐसी तस्वीरें सामने आ गईं जिनमें वे तमिल फिल्मों के लीजेंड शिवाजी गणेशन की अंतिम यात्रा में नजर आ रहे थे। अभिनेत्री मनोरमा, अभिनेता नागेश और जेमिनी गणेशन के साथ-साथ दिग्गज गायिका एम.एस. सुब्बालक्ष्मी की अंत्येष्टि में शरीक होने की भी तस्वीरें सामने आईं। सोशल मीडिया में इन तस्वीरों के साथ लोग सवाल पूछ रहे थे, “इन अंत्येष्टियों में दिख रहा यह शख्स कौन है?”
हासन के साथ पर्दे पर दिख चुके अभिनेता कवितलैया कृष्णन कहते हैं, “कमल ने सीख लिया होगा कि अव्यावहारिक जवाब उन्हें चतुर नेता नहीं बना सकता, खासकर ऐसे वक्त में जब आपके आज के दावे को झूठा साबित करने वाली आपकी अतीत की चीजें आसानी से उपलब्ध हैं।” वे कहते हैं, “ऐसा हर उस सेलिब्रिटी के साथ होगा जो लोगों को भ्रमित करने की कोशिश करेगा।
मदुरै में 21 फरवरी को कमल हासन ने अपनी नई पार्टी की शुरुआत दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की मौजूदगी में की। जब उन्होंने अपनी पार्टी का नाम मक्कल निधि मय्यम (एमएनएम) रखने की घोषणा की तो वहां मौजूद भीड़ की प्रतिक्रिया उत्साही नहीं थी। मोटे तौर पर मक्कल निधि मय्यम का मतलब है, लोक न्याय केंद्र (पीपुल्स जस्टिस सेंटर)। यह एक कानूनी मदद केंद्र जैसा होने का भ्रम पैदा करता है। इसी तरह पार्टी के झंडे में सर्कल में छह हाथों को एक साथ दिखाया गया है। इसे संयुक्त राष्ट्र के पोस्टल यूनियन के झंडे से कॉपी करने का आरोप लगाया गया था। लेकिन हासन जोर देकर कहते हैं कि ‘केंद्र’ का मतलब जनता से है। 63 वर्षीय अभिनेता का कहना है, “लोग इस आंदोलन के केंद्रबिंदु होंगे। मेरी भूमिका उनको सही और सम्मानित जिंदगी देने, भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई को मजबूती देने और गाइड करने की होगी न कि नेता की।” छह हाथ दक्षिण के छह राज्यों को दर्शाते हैं, क्योंकि हासन को उम्मीद है कि उनकी फिल्मों की तरह उनकी राजनीति भी राज्य की सीमाओं से परे लोगों को प्रभावित करेगी।
हासन को नेताओं से भरे पड़े तमिलनाडु के राजनीतिक परिदृश्य में कड़ी मेहनत से अपने लिए जगह बनानी होगी। डीएमके के स्टालिन ने उन्हें मुरझाने वाला फूल बताकर खारिज कर दिया है। एआइएडीएमके का मानना है कि उनकी पिछली कुछ फिल्मों की तरह उनकी पार्टी भी फ्लॉप रहेगी। भाजपा जो हासन द्वारा हिंदू कट्टरपंथ को हकीकत बताने पर नाराज हो गई थी, का कहना है कि वे असफल साबित होंगे और हिंदू बहुल राज्य की जनता उन्हें झूठ बोलने की सजा देगी। केवल डीएमके और कांग्रेस के साथ असहज महसूस कर रही सीपीआइ (एम) को ही उनमें आवश्यक विकल्प मिल सकता है। लेखिका चारु निवेदिता कहती हैं, “कमल सीपीआइ (एम) के नए ब्रांड एंबेसडर के तौर पर उभर सकते हैं, जो दोनों के लिए बुरा होगा।”
राजनीतिक विश्लेषक रवींद्रन दुरैस्वामी का मानना है कि हासन केवल भाजपा और एआइडीएमके विरोधी वोटों के एक हिस्सेदार ही हो सकते हैं। पहले से ही डीएमके, कांग्रेस, सीपीआइ और विजयकांत, वाइको और रामदास की पार्टियां, अल्पसंख्यक समूह वगैरह जैसे इसके कई भागीदार पहले से ही हैं। वे कहते हैं, “एक बार जब उन्हें एहसास होगा कि वे बड़े पैमाने पर वोट हासिल नहीं कर पाएंगे, वे आसानी से बड़े गठबंधन का हिस्सा बन जाएंगे और उनकी हैसियत एक मामूली खिलाड़ी जैसी होगी।”
एक और अभिनेता रजनीकांत के भी अगले कुछ महीनों में अपने राजनीतिक दल की शुरुआत करने की उम्मीद है। सो, हासन के लिए पहल कर शुरुआती फायदा उठाना जरूरी हो गया था। एमएनएम कोर टीम के सदस्य और वकील राजशेखर कहते हैं, “जयललिता के निधन के बाद राजनीतिक मसलों पर स्टैंड लेकर और पार्टी की शुरुआत कर कमल ने बड़ी राजनीतिक इच्छाशक्ति दिखाई है। यहां तक कि जब वे जिंदा थीं तब भी उन्होंने दिसंबर 2015 में बाढ़ से निपटने के लिए पर्याप्त इंतजाम नहीं करने और प्रशासन में भ्रष्टाचार को लेकर उनकी आलोचना का साहस दिखाया था। इसके उलट रजनीकांत दो दशक से ज्यादा समय तक दुविधा में रहे और राजनीति में उनका प्रवेश भी कमल की शुरुआत की प्रतिक्रिया मात्र लगती है।”
राजनीतिक ताकत दिखाने और अपनी पार्टी का गठन करने के बजाय रजनीकांत ने अविश्वसनीय तरीके से नई फिल्म की घोषणा की है, जिसे सन टीवी ग्रुप बना रहा है। उनकी दो फिल्में पहले से ही रिलीज को तैयार हैं। अप्रैल में काला और उसके बाद 2.0 रिलीज होगी। फिल्म जगत के लोगों का मानना है कि नई फिल्म की घोषणा कर रजनीकांत ने जोखिम भरा दांव चला है। माना जा रहा है कि जल्द से जल्द पैसा कमाकर अपनी पत्नी लता की वित्तीय देनदारियों का निपटारा करने के लिए उन्होंने ऐसा किया है। साथ ही उन्हें आशंका है कि भविष्य में आर्थिक कारणों से वे परेशानी में पड़ सकते हैं।
राजनीतिक विज्ञान के प्रोफेसर रामू मणिवनान कहते हैं, “जब राजनीतिक दल के बजाय आप एक और फिल्म शुरू करते हैं तो आप गंभीर राजनीतिज्ञ के तौर पर नहीं देखे जाते। आप एक पैर राजनीति में और दूसरी फिल्मों में नहीं रख सकते। अपनी फिल्म की सफलता के लिए आप राजनीति में समझौते करेंगे। सन टीवी डीएमके से जुड़ा हुआ है। ऐसे में किसी खास मसले पर डीएमके का विरोध करना उनके लिए मुश्किल होगा।”
ऐसा लगता है कि रजनीकांत समय व्यतीत करने की कोशिश कर रहे हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि वे केवल विधानसभा चुनावों के लिए ही तैयार हो पाएंगे जिनके 2019 में लोकसभा चुनाव के साथ होने का अनुमान है। इस बीच में उन्होंने कुछ राजनीतिक सभाएं की हैं। इन सभाओं में उन्होंने अपने प्रशंसकों से रजनी मक्कल मनरम (रजनी पीपुल्स फोरम) के कम से कम एक करोड़ लोगों को सदस्य बनाने की अपील की है, जो उनकी पार्टी के लिए आधार साबित होगा।
फिल्म निर्माता और इतिहासकार जी. धनंजयन कहते हैं, “एक राजनीतिक दल की शुरुआत कर लोगों को उससे जोड़ने के बजाय रजनी इसका उलटा कर रहे हैं। एमजीआर ने दिखाया था कि कैसे प्रशंसकों की भीड़ को राजनीतिक दल के तौर पर बदला जा सकता है। मुख्यमंत्री बनने तक वे फिल्मों में काम करते रहे। इसलिए, मुझे इसमें कुछ गलत नहीं लगता कि रजनी एक और फिल्म कर अपने प्रशंसकों की फेहरिस्त बढ़ाना चाहते हैं। उनके पास पार्टी शुरू करने के लिए मई 2019 तक का वक्त है।”
कमल हासन भी फिल्म इंडियन-2 में काम कर रहे हैं। बिग बॉस के तमिल संस्करण के दूसरे सीजन के लिए शूटिंग भी कर रहे हैं। दोनों अभिनेता अब भी वही कर रहे हैं जो वे सबसे बेहतर तरीके से कर सकते हैं- कैमरे के सामने अभिनय।
सितारों की पहल से बेपरवाह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जयललिता के ड्रीम प्रोजेक्ट महिलाओं को दोपहिया वाहनों की खरीद पर सब्सिडी देने की शुरुआत कर राजनीतिक चतुराई दिखाई है। साफ है कि सहयोगी के तौर पर एआइडीएमके की भूमिका को भाजपा कमतर नहीं आंक रही। हालांकि, जयललिता का वोट बैंक अब पूरी तरह एकजुट नहीं है, फिर भी उसका साथ राजनीतिक बुद्धिमानी है। जैसा कि तमिलनाडु के वित्त मंत्री डी. जयकुमार कहते हैं, “मोदी और पलानीसामी एवं पनीरसेल्वम ने साथ आकर साबित किया है कि व्यावहारिक राजनीति उनके जैसे नेताओं के कारण ही बनी हुई है। इस बीच अभिनेता सपने बेचना जारी रख सकते हैं।”