मुख्यमंत्री रमन सिंह ने छत्तीसगढ़ में चौथी बार सरकार बनाने के लिए स्मार्टफोन के जरिए महिलाओं और युवाओं पर निशाना साधा है। मई से गांव की महिलाओं, शहरी गरीब परिवार और कॉलेज स्टूडेंट को सरकार मुफ्त में स्मार्टफोन बांटने जा रही है। मतदाताओं को लुभाने के लिए रमन सिंह ने किसानों को धान का और आदिवासियों को तेंदुपत्ता बोनस देने के बाद यह बड़ा दांव चला है। उन्हें यकीन है कि इसके जरिए भाजपा सीधे लोगों तक पहुंच जाएगी और अपना संदेश दे सकेगी। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का मानना है कि जनता की नब्ज थामने और उन तक पहुंचने का सबसे सशक्त माध्यम संचार साधन ही है।
कहा जा रहा है फोन चालू करते ही स्क्रीन पर सरकार की उपलब्धियों के साथ मुख्यमंत्री रमन सिंह का चेहरा सामने आएगा। चुनावी साल में इस स्कीम को मुख्यमंत्री का मास्टर स्ट्रोक कहा जा रहा है। इस साल मई से जुलाई-अगस्त तक पहले चरण के दौरान 45 लाख स्मार्टफोन बांटने की योजना है। वहीं, बाकी लोगों को विधानसभा चुनाव के बाद स्मार्टफोन दिया जाएगा। इस स्कीम के तहत लोगों को सिर्फ मोबाइल फोन ही नहीं, बल्कि सिम भी दिया जाएगा। ग्रामीण इलाकों में पावर बैंक भी दिए जाएंगे, जिससे बिजली जाने पर भी उनका मोबाइल बंद न हो और चलता रहे। साथ ही, कनेक्टिविटी के लिए मोबाइल टावर भी लगाए जाएंगे।
बताया जा रहा है कि एक मोबाइल की कीमत दो हजार रुपये के करीब होगी और उसमें स्थानीय जरूरतों के हिसाब से फीचर होंगे। मोबाइल बांटने में 1820 करोड़ रुपये और मोबाइल टावर लगाने में 1028 करोड़ रुपये खर्च होंगे। पहले मोबाइल टावर लगाने के लिए सरकार पंचायतों के मूलभूत मद से 600 करोड़ खर्च करने वाली थी, लेकिन विरोध के चलते सरकार ने कदम पीछे खींच लिया, फिर अपने बजट में राशि का प्रावधान किया। छत्तीसगढ़ कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष शिव डेहरिया का कहना है कि रमन सिंह की सरकार अपने चुनावी फायदे के लिए सरकारी धन का दुरुपयोग कर रही है। कंपनियों को टावर बनाने के लिए सरकार पैसा दे रही है, सरकारी पैसे से कंपनी टावर की मालिक हो जाएगी। सरकार पहले पंचायतों के मूलभूत मद की राशि टावर बनाने में इस्तेमाल करने जा रही थी। कांग्रेस के विरोध के कारण सरकार को फैसला बदलना पड़ा।
स्मार्टफोन बांटने की योजना को छत्तीसगढ़ संचार क्रांति योजना नाम दिया गया है। प्रदेश सरकार के इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी विभाग के माध्यम से स्मार्टफोन बांटे जाएंगे। योजना का लाभ लेने वालों का चयन ग्रामीण क्षेत्रों में पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग, शहरी क्षेत्रों में नगरीय
प्रशासन विभाग और कॉलेज में युवाओं का चयन उच्च शिक्षा विभाग करेगा। स्मार्टफोन पाने वाले 40 लाख ग्रामीण और पांच लाख तकनीकी और गैर-तकनीकी कॉलेजों के युवा होंगे। शेष स्मार्टफोन शहरी गरीबों में बांटे जाएंगे। इतना ही नहीं, अगर परिवार में कोई महिला है तो इस स्थिति में महिला को ही यह स्मार्टफोन दिया जाएगा। इसका साफ संकेत है कि रमन सिंह की सरकार के चुनावी टारगेट में महिलाओं और युवाओं की प्रमुखता है।
इसके अलावा टावर लगाने के लिए कंपनियों को सरकारी बिल्डिंग की छत निःशुल्क दी जाएगी। कहा जा रहा है कि 2011 की सामाजिक और आर्थिक जनगणना के अनुसार, छत्तीसगढ़ के ग्रामीण क्षेत्रों में मात्र 29 प्रतिशत परिवारों (राष्ट्रीय औसत 72 प्रतिशत) के पास ही फोन उपलब्ध हैं। वैसे बताया जा रहा है कि छत्तीसगढ़ में मोबाइल कनेक्टिविटी से अछूते रह गए इलाकों को संचार क्रांति के इस नेटवर्क से जोड़ना है। स्मार्टफोन के उपयोग के जरिए प्रदेश में आर्थिक गतिविधियां बढ़ेंगी, जेंडर सशक्तिकरण, जनधन, आधार और लोगों को प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) प्रक्रिया का लाभ मिलेगा। वहीं, लोग सरकारी और निजी सेवाओं का लाभ बेहद आसानी से ले सकेंगे।
कांग्रेस महासचिव और प्रवक्ता शैलेश नितिन त्रिवेदी का कहना है कि यह रमन सिंह सरकार का चुनावी शिगूफा है। वह कहते हैं कि राज्य के युवाओं को रोजगार चाहिए। सरकार को चाहिए कि वह युवाओं को रोजगार दे, जिससे वे मोबाइल खरीद सकें। छत्तीसगढ़ भाजपा के अध्यक्ष धरमलाल कौशिक का कहना है कि रमन सिंह की सरकार गरीबों और युवाओं को स्मार्टफोन बांट रही है तो कांग्रेस के पेट में दर्द नहीं होना चाहिए।
भाजपा सरकार ऐसे लोगों को स्मार्टफोन देने जा रही है, जो उसे नहीं खरीद सकते और 4जी जैसी सेवाओं का लाभ लेने से वंचित हैं। स्मार्टफोन से आम लोग सरकार की योजनाओं का फायदा उठा सकेंगे। कौशिक का कहना है कि भाजपा सरकार हमेशा समाज के वंचित वर्ग को फायदा देकर उन्हें मुख्यधारा से जोड़ने का काम करती है। चाहे वह लैपटॉप हो या टैबलेट देने की योजना हो या फिर छात्राओं को साइकिल देने की योजना हो।
रमन सिंह सरकार ने 2008 में बीपीएल और एपीएल परिवारों को सस्ती दर पर चावल बांटकर चुनावी माहौल बदला था। इसके बाद इंजीनियरिंग और मेडिकल छात्र-छात्राओं को लैपटॉप देकर युवाओं को लुभाया था। अब देखना है कि मुफ्त स्मार्टफोन का फंडा 2018 के विधानसभा चुनाव में कितना कारगर होता है? वहीं, स्मार्टफोन खरीदी को लेकर कांग्रेस सवाल खड़ा कर रही है। शैलेश नितिन त्रिवेदी का कहना है कि आने वाले दिनों में मोबाइल खरीदी के कई तथ्यों का खुलासा होगा।
वैसे सरकारी सूत्रों का कहना है कि मोबाइल और टावर दोनों के लिए ओपन टेंडर किए गए हैं। पूरी प्रक्रिया पारदर्शी रखी गई है। कहा जा रहा है कि 45 लाख स्मार्टफोन बंटने के साथ ही राज्य में पूरा चुनाव मोबाइल पर केंद्रित हो जाएगा। इसको देखते हुए भाजपा और कांग्रेस दोनों ही अपने आइटी सेल पर ज्यादा जोर देने लगे हैं। यहां तक छत्तीसगढ़ की जनता कांग्रेस भी सोशल मीडिया पर सक्रिय रहने लगी है। भाजपा के सूत्रों की मानें तो स्मार्टफोन योजना एंटी इंकंबेंसी की बड़ी काट हो सकती है। भाजपा नेता भी मानकर चल रहे हैं कि इस बार एंटी इंकंबेंसी फैक्टर कुछ ज्यादा ही दिख रहा है। खासकर मंत्री-विधायकों के इलाके में जनता की नाराजगी अधिक दिख रही है। जनता की नाराजगी दूर करने के लिए छत्तीसगढ़ भाजपा के नेता 11 से 31 मार्च तक जनआशीर्वाद यात्रा निकालेंगे। मुख्यमंत्री रमन सिंह के लोक-सुराज अभियान के साथ-साथ जनआशीर्वाद यात्रा निकलेगी। हफ्ते में तीन दिन विधायक अपने विधानसभा क्षेत्र में चार चरणों में अलग-अलग क्षेत्रों का दौरा करेंगे। गांव में ही रात बिताकर गांव की कुल देवी-देवता के मंदिर जाकर पूजा-पाठ करेंगे। चौपाल लगाकर ग्रामीणों से सार्थक चर्चा की जाएगी।
इसके जरिए भाजपा बड़ा चुनावी फायदा ढूंढ़ रही है। मुख्यमंत्री रमन सिंह ने कहा भी है कि लोक-सुराज अभियान, जनआशीर्वाद यात्रा खत्म होने के बाद सरकार की विकास यात्रा निकाली जाएगी। कांग्रेस और जोगी कांग्रेस के नेता पहले से ही पदयात्रा और रैली निकाल चुके हैं या निकाल रहे हैं। यानी चौथी पारी के लिए भाजपा हर तरह की कवायद में जुट गई है। लेकिन कुछ दूसरे राज्यों में स्मार्टफोन बांटने की योजनाएं माकूल नतीजे नहीं दे पाई हैं। इसलिए यह देखना होगा कि छत्तीसगढ़ में क्या रंग खिलता है।