उत्तर प्रदेश में स्वास्थ्य क्षेत्र में बदहाली, बदइंतजामी और भ्रष्टाचार किसी से छिपा नहीं। पिछले साल ऑक्सीजन की कमी से गोरखपुर और फर्रुखाबाद में दर्जनों बच्चों की मौत की बात सामने आई थी। हालांकि सरकार ने दावा किया था कि मौतें अन्य कारणों से हुई थी न कि ऑक्सीजन की कमी से। ऐसी किसी आशंका को टालने के इरादे से योगी आदित्यनाथ की सरकार नई स्वास्थ्य और ऑक्सीजन नीति लाने जा रही है। इसका मकसद स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर करना और भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाना है। इस तरह की नीति लाने की तैयारी करने वाला उत्तर प्रदेश देश का पहला राज्य है।
ऑक्सीजन नीति के तहत प्रदेश के सभी जिला अस्पतालों, सीएचसी और पीएचसी में ऑक्सीजन प्लांट लगाए जाएंगे। कुछ जगहों पर सिलेंडर और पाइपलाइन से भी आपूर्ति की जाएगी। स्वास्थ्य महकमे में सीएचसी, पीएचसी और प्रशिक्षण के निदेशक डॉ. रुकुम केश ने बताया कि राज्य में जिला स्तर के 174 अस्पताल हैं। इनके अलावा 821 सीएचसी और 3621 पीएचसी हैं। सरकारी मेडिकल कॉलेजों की संख्या 13 और निजी मेडिकल कॉलेज 21 हैं।
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का दावा है कि नई नीति जल्द ही अमल में आ जाएगी। हालांकि, चार महीने से ज्यादा बीतने के बावजूद इस नीति का मसौदा तैयार करने के लिए चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण सचिव वी. हेकाली झिमोमी की अध्यक्षता में गठित कमेटी की बैठक नहीं हो पाई है। स्वास्थ्य महकमे के प्रमुख सचिव की गैर-मौजूदगी के कारण दो बार बैठक टल चुकी है।
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. पद्माकर सिंह ने बताया कि ऑक्सीजन पॉलिसी को लागू करने के तरीकों और खर्च पर विचार किया जा रहा है। सरकार का अनुमोदन मिलते ही इसे लागू किया जाएगा। जिला स्तर, सीएचसी और पीएचसी में प्लांट, सिलेंडर और पाइपलाइन से ऑक्सीजन सप्लाई का खाका तैयार किया जा चुका है। किन जगहों पर प्लांट लगेगा और कहां सिलेंडर या पाइपलाइन से आपूर्ति की जाएगी इस संबंध में अंतिम फैसला नहीं हो पाया है। आपूर्ति व्यवस्था में निजी क्षेत्र की भूमिका कैसी होगी यह भी फिलहाल स्पष्ट नहीं है।
इस पर आने वाला खर्च सरकार खुद वहन करेगी। वित्त वर्ष 2018-19 के लिए स्वास्थ्य विभाग के आवंटन में इसके लिए अलग से प्रावधान नहीं किया गया है। ऐसे में नीति लागू होने पर विभाग के किसी अन्य मद से बजट जारी किए जाने की संभावना है। चिकित्सा शिक्षा और प्रशिक्षण निदेशालय के महानिदेशक डॉ. के.के. गुप्ता ने बताया, “फिलहाल मेडिकल कॉलेजों में ऑक्सीजन सप्लाई के लिए टेंडर निकाले गए हैं। नई नीति के लागू होते ही प्लांट लगाए जाएंगे।” यूपी सरकार की इस कोशिश को काफी सराहना भी मिल रही है। 23 जनवरी को राजधानी लखनऊ में स्वास्थ्य नीति के मसौदे पर विशेषज्ञों, अधिकारियों, डेवलपमेंट पार्टनर्स आदि की कार्यशाला आयोजित की गई थी। विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रतिनिधि डॉ. हेंक बेकड़म ने इस मसौदे को हाल के कई वर्षों में उनके द्वारा पढ़ा गया सबसे बेहतरीन दस्तावेज बताया। नीति आयोग के सदस्य डॉ. विनोद पॉल का मानना है कि यह मसौदा देश के अन्य राज्यों के लिए मार्गदर्शक हो सकता है।
वैसे, जमीनी हालात बदलने में यह नीति कितनी कारगर रहती है, यह तो फाइलों से निकलकर अमल में आने के बाद ही पता चल पाएगा।