क्रेडिट कार्ड अब जरूरत बन चुका है। वित्तीय लेनदेन, ऑनलाइन शॉपिंग से लेकर टेलीफोन या बिजली का बिल जमा करने या फिर ट्रेन, एयरटिकट और होटल बुक करने तक हम प्लास्टिक मनी यानी क्रेडिट कार्ड का खूब इस्तेमाल करते हैं। लेकिन आप जब भी क्रेडिट कार्ड स्वाइप करते हैं तो क्या धोखाधड़ी का डर सताता है? यदि ऐसा है तो आप इकलौते नहीं हैं। दरअसल, जितनी तेजी से क्रेडिट कार्ड का चलन बढ़ रहा है उतनी ही तेजी से धोखाधड़ी की घटनाएं भी बढ़ी हैं। आंकड़ों से पता चलता है कि वित्त वर्ष 2016-2017 में क्रेडिट कार्ड संबंधी धोखाधड़ी के मामलों में 24 फीसदी की बढ़ाेतरी हुई है। कैशलेस अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के कई उपायों की शुरुआत के कारण डिजिटल लेनदेन तेजी से बढ़ा है।
एक्सपेरियन एपीएसी और एक्सपेरियन इंडिया की इंडिया फ्रॉड रिपोर्ट-2017 के मुताबिक “ऑनलाइन धोखाधड़ी के मामले में भारत एशिया-पेसिफिक के शीर्ष चार देशों में है। इन चार देशों में डिजिटल बैंकिंग और लेनदेन में सबसे ज्यादा बढ़ाेतरी भारत में हुई है।” यह संयोग नहीं है कि दुनिया एक ‘ग्लोबल विलेज’ (वह शब्द जिसे मार्शल मैकलुहन ने लोकप्रिय बनाया) में बदल चुकी है। 1964 में आई अपनी किताब अंडरस्टैंडिंग मीडिया में मैकलुहन कहते हैं, “...एक ऐसी दुनिया जो इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम से जुड़ी हुई है।” इस दिशा में केंद्र सरकार की डिजिटल इंडिया एक महत्वपूर्ण योजना है। इसका मकसद देश को डिजिटल आधारित अर्थव्यवस्था और समाज में बदलना है। लेकिन, वित्तीय समावेशन पर ज्यादा जोर देने के साथ-साथ ऑनलाइन लेनदेन में धोखाधड़ी भी बढ़ी है। यही कारण है कि ऑनलाइन जोखिम कम करने के लिए ग्राहकों को सुरक्षा मुहैया कराना बैंकिंग संस्थानों के लिए महत्वपूर्ण हो चुका है।
बिग डाटा पर बढ़ती निर्भरता
ग्राहकों के ऑनलाइन व्यवहार का विश्लेषण करने के लिए बैंक बिग डाटा का इस्तेमाल करते हैं। इससे बैंक को यह पता करने में सहूलियत होती है कि ग्राहक कब अकाउंट ऑनलाइन चेक करता है या किस इलाके से ज्यादातर अपने अकाउंट को ऑपरेट करता है। इससे उन्हें धोखाधड़ी के खतरे को पहले से भांपने में मदद मिलती है। धोखाधड़ी के खतरे को भांपने के लिए रुझानों पर आधारित बिग डाटा पर बैंकों की निर्भरता लगातार बढ़ रही है।
कोटक महिंद्रा बैंक के वरिष्ठ कार्यकारी उपाध्यक्ष पुनीत कपूर कहते हैं, “हम दो तरीके से विश्लेषण करते हैं। पहला, जोखिम के नजरिए से। कार्ड से किसी भी तरह की असामान्य लेनदेन होने पर एसएमएस से ग्राहकों को अलर्ट करने के लिए हमारे पास वॉल्यूम-वेलोसिटी लिंक्ड अल्गोरिदम होता है। दूसरा, ग्राहकों के सीधे संपर्क में रहने के लिहाज से।”
प्वाइंट ऑफ सेल्स टर्मिनल (पीओएस) पर जब भी कोई ग्राहक लेनदेन करता है, उसके स्थान का खुद-ब-खुद पता चल जाता है। एचडीएफसी बैंक के कार्ड्स और मर्चेंट एक्वायरिंग बिजनेस के कंट्री हेड पराग राव कहते हैं, “पीओएस पर जब कोई ग्राहक भुगतान करता है तो उसके सत्यापन के लिए पिन की जरूरत पड़ती है। एम्बेडेड चिप में इंक्रिप्टेड फॉरमेट में डाटा स्टोर होने पर कार्डधारक के डाटा का दुरुपयोग या क्लोनिंग होने की आशंका नहीं होती।”
ग्राहकों की जवाबदेही सीमित
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआइ) ने जुलाई 2017 में धोखाधड़ी के मामलों में ग्राहकों की जवाबदेही सीमित करने और बैंकों पर इसका दायित्व डालने के लिए संशोधित दिशा-निर्देश जारी किए थे। एसएमएस अलर्ट के लिए सभी ग्राहकों का रजिस्ट्रेशन करना आरबीआइ ने बैंकों के लिए अनिवार्य कर दिया है। फोन बैंकिंग, एसएमएस, ई-मेल, वेबसाइट, कॉल सेंटर सहित अन्य तरीकों से अनधिकृत लेनदेन की सूचना ग्राहकों को देना भी बैंकों के लिए जरूरी कर दिया है। आरबीआइ सर्कुलर के मुताबिक, “किसी भी अनधिकृत ऑनलाइन लेनदेन की सूचना ग्राहकों को जल्द से जल्द अपने बैंक को देनी चाहिए। सूचना देने में जितनी ज्यादा देरी होगी बैंक या ग्राहक के लिए जोखिम उतना बढ़ जाएगा।”
यात्रा के दौरान सुरक्षा उपाय
अपनी यात्रा की पूर्व सूचना बैंक को देकर भी कार्ड के दुरुपयोग की आशंका कम की जा सकती है। इससे यात्रा के दौरान बैंकों को कार्ड को ह्वाइटलिस्ट में शामिल करने की सहूलियत मिल जाती है। बैंकिंग लेनदेन से जरूरी जानकारी जिस फोन नंबर पर आपको मिलती है उसे भी यात्रा के दौरान बंद नहीं करना चाहिए। इससे किसी भी प्रकार का लेनदेन होने पर आपको समय से सूचना मिल जाएगी। जिस कंपनी का कार्ड इस्तेमाल करते हैं उसके कस्टमर सर्विस/हॉटलाइन का नंबर अपने फोन में सेव रखें।
एसबीआइ जनरल इंश्योरेंस के प्रोडक्ट डेवलपमेंट के हेड पुनीत साहनी बताते हैं, “अपने ऑनलाइन खाते में लॉगइन करते रहें, क्योंकि इससे आपको गतिविधियों की जानकारी मिलती रहती है। कार्ड से किए गए भुगतानों पर भी निगाह रखें। ऐसा करने पर किसी तरह की गड़बड़ी होने पर वह नजर में आ जाती है।”
यात्रा बीमा विदेश में किसी असहज स्थिति में फंसने पर आपको मदद मुहैया कराती है। चोरी होने या पैसा नहीं होने पर ग्राहकों के लिए बीमा कंपनियों के पास इमरजेंसी सर्विसेस होती हैं। ऐसी स्थिति में फंसने वाले यात्रियों को बीमा कंपनियां ट्रैवल पॉलिसी में बताई गई सीमा तक नकदी देती हैं। एचडीएफसी एर्गो जनरल इंश्योरेंस के एक्जीक्यूटिव मैनेजमेंट के सदस्य अनुराग रस्तोगी बताते हैं, “इमरजेंसी सर्विसेस के तहत बीमा कंपनियां यात्रियों को बटुआ (वॉलेट) या क्रेडिट अथवा डेबिट कार्ड चोरी होने पर मदद मुहैया कराती हैं।”
ट्रैवल इंश्योरेंस करने वाली ज्यादातर कंपनियां ग्राहक या उसके रिश्तेदार से पेमेंट सिक्योरिटी मिलते ही नकद मुहैया करा देती हैं। गुम या चोरी हुआ बटुआ, यात्रा दस्तावेज और डेबिट या क्रेडिट कार्ड की रिइंबर्समेंट कॉस्ट भी इसके दायरे में आती है। साहनी बताते हैं, “यात्रा दस्तावेज की कॉपी और पेमेंट कार्ड दोबारा हासिल करने के लिए लगने वाली एप्लीकेशन फीस भी इसमें कवर होती है।”
इस तरह के छोटे-छोटे तरीकों से ग्राहक प्लास्टिक मनी का दुरुपयोग रोक सकते हैं। इनका ध्यान रखने पर कार्ड के साथ धोखाधड़ी का जोखिम कम होता है।
इनका रखें ध्यान
-जिस कंपनी का कार्ड इस्तेमाल करते हैं उसे अपनी यात्रा के बारे में सूचना दें ताकि वे कार्ड के इस्तेमाल पर नजर रख सकें
-कार्ड के इस्तेमाल से जुड़ी जानकारी हासिल करने के लिए फोन पर एसएमएस/ई-मेल अलर्ट सेवा एक्टिवेट रखें
-कार्ड के इस्तेमाल से जुड़ी जानकारी समय पर पाने के लिए फोन बंद करने से बचें
-मोबाइल बैंकिंग ऐप के जरिए भी ग्राहक अपने डेबिट कार्ड को डिएक्टिवेट कर सकते हैं
-अनधिकृत लेनदेन होने पर किसी भी वक्त नेट बैंकिंग और फोन बैंकिंग के जरिए कार्ड ब्लॉक कराया जा सकता है
-ऑनलाइन अकाउंट चेक करते रहें। यह खर्चों के साथ-साथ फर्जी चार्जेज पर भी नजर रखने में मददगार होता है
-जिस कंपनी का कार्ड इस्तेमाल करते हों उसके कस्टमर सर्विस और हॉटलाइन का नंबर अपने फोन में अपडेट रखें
-खरीदारी के लिए फोरेक्स कार्ड का इस्तेमाल करें