वेलेंटाइन डे होता था पहले, अब वेलेंटाइन वीक हो लिया है। धंधा तो रोज करना होता है। एकाध दिन के धंधे से काम नहीं चलता। बाजार का उसूल है, धंधा चाहे वेलेंटाइन डे से आए चाहे ब्रेकअप से धंधा आना चाहिए। वेलेंटाइन वीक के बाद कारोबार मंदा-सा होने लगता है, तो कारोबारी चिंतित हो जाते हैं। वेलेंटाइन के बाद भी धंधा चकाचक कैसे चले, इस पर एक बड़ी कंपनी के मार्केटिंग डेवलपमेंट डिपार्टमेंट ने नए उत्पाद, ‘ब्रेकेश्वर कथा’ की प्रोजेक्ट रिपोर्ट फाइल की है-‘वक्त बदला तो कष्ट भी बदले हैं। लेकिन व्रत-कथाएं नहीं बदलीं। शक रहता है कि पता नहीं ऊपरवाले को आज की समस्या समझ में आ रही है या नहीं। मतलब ऊपरवाला अपडेट होता भी है या नहीं। ऊपरवाला जाने समस्याएं निपटा भी रहा है या नहीं।’
पहले के नौजवानों की समस्याएं दूसरी थीं, अब दूसरी हैं। शहरों में नौजवानों से पूछो, “तुम्हारी समस्या क्या है?” अधिकांश युवा नौकरी, रोजगार की बात नहीं करते, अफेयर की समस्या पर बात करते हैं। कुछ हैं कि अफेयर चला नहीं पा रहे, चलाना क्या, शुरू नहीं कर पा रहे हैं। कुछ का अफेयर चले जा रहा है, टूट नहीं रहा। टूटे तो नए सिरे से कहीं मामला जमाएं।
अगर 20 से 25 साल के लड़कों से बात की जाए तो अफेयर होना और ब्रेकअप होना या न होना बड़ी आफत है। जिसका अफेयर हो लिया वह इस चक्कर में है, “हाय कुछ बेहतर हो सकता था।” जिसका नहीं हुआ उसका हाल बिना स्टार्ट हुई बाइक-सा है। बस किक पर किक पड़ रही है। इस मुल्क की पचास परसेंट से ज्यादा आबादी 25 साल से नीचे वालों की है। इतने बड़े मार्केट को ध्यान में रखकर कुछ नए व्रत, कुछ नई कथाएं विकसित की जा सकती हैं। एक कथा इस प्रकार है।
ब्रेकेश्वर की कथा
जंबूद्वीपे भरतखंडे नामक देश में एक नौजवान फास्टनाथ रहता था, उसका सच्चा प्रेम पांच-सात सुंदरियों से हो चुका था। एक सुंदरी, जो जूडो-कराटे में निष्णात थी ने फास्टनाथ की विकट ठुकाई करके उसे एकदम सच्चा प्यार करने को मजबूर कर दिया। फास्टनाथ एकदमै झटका खा गया। फास्टनाथ ने नए जमाने के चलन के साथ कई सुंदरियों से अफेयर तो शुरू कर दिया था, पर यह भूल गया था कि सुंदरियां अब गांव की गोरी टाइप नहीं जूडो-कराटेबाज होती हैं।
फास्टनाथ दुखी भाव में जगह-जगह भटकने लगा। एक दिन पिट-पिटाकर जब फास्टनाथ पार्क की बेंच पर सो रहा था, तब ब्रेकेश्वर उसके सपने में आए और बोले, “बेवकूफ, ब्रेकअप करके निकल ले।”
फास्टनाथ ने रोते हुए कहा, “महाराज काहे और ठुकाई के इंतजाम बता रहे हैं। आप पुराने जमाने के हैं, नया जमाना एकदम नई समस्याओं का है। आपसे न निपट पाएंगी।”
ब्रेकेश्वर बोले, “देख बेटा, तरकीब सुन। तू व्हॉट्सऐप, फेसबुक पर फर्जी प्रोफाइल बना क्रिस्टीना नाम से। इस नाम से खुद को मैसेज भेज, “लव यू, फास्टनाथ,” “थैंक्स फॉर वंडरफुल इवनिंग विद यू,” “तुम्हारी इवनिंग का पेमेंट मैंने तुम्हारे बैंक खाते में भेज दिया है।” फिर इस तरह के मैसेज व्हॉट्सऐप और फेसबुक में इस तरह दिखा कि तेरी जूडो-कराटेवाली सुंदरी देख ले। वो इस तरह के मैसेज देखकर तेरी बहुत ठुकाई करेगी। तुझे छोड़ने को तत्पर हो जाएगी। तब तू उसे बता देना कि तू इवनिंग पर किसी से पैसे लेकर प्यार की सप्लाई करता है। तू प्यार का होलसेल डीलर है। बिना पैसे के प्यार नहीं होता तुझसे। तेरे कारोबार का ऐसा उत्थान देखकर तेरी जूडो-कराटे सुंदरी तुझे त्याग देगी, तेरा ब्रेकअप हो जाएगा।
जल्दी ब्रेकअप का आकांक्षी हर नौजवान इस कथा को ग्यारह हफ्ते तक रोज पढ़े तो उसे मनोवांछित ब्रेकअप की प्राप्ति होगी। ब्रेकेश्वर की मूर्तियों का, ब्रेकेश्वर की कथाओं का व्यापक कारोबार इस मुल्क में संभव है। नौजवानों के इस मुल्क में इससे बेहतर कारोबार कुछ नहीं हो सकता।
नोट : यह प्रोजेक्ट रिपोर्ट देखकर मैं हिल गया हूं। ब्रेकेश्वर जल्दी बाजार में आने वाले हैं। अगले वेलेंटाइन डे पर ब्रेकेश्वर लॉन्च हो सकते हैं। इनके हिट होने में मुझे तो कोई शंका नहीं है।