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17 मार्च 2025 · MAR 17 , 2025

प्रयाग महाकुंभ: आध्यात्मिक स्मृतियों का संगम

महाशिवरात्रि, 26 फरवरी 2025 को स्नान के साथ ही “महाकुंभ 2025” का भव्य समापन हो गया
आस्था और विश्वासः संगम पर उमड़ा जनसैलाब

महाशिवरात्रि, 26 फरवरी 2025 को स्नान के साथ ही “महाकुंभ 2025” का भव्य समापन हो गया। उत्तर प्रदेश सरकार के दावों के मुताबिक तकरीबन 60 करोड़ लोगों ने त्रिवेणी संगम में डुबकी लगाई। देश, विदेश से आए श्रद्धालुओं ने भारतीय आध्यात्मिक परंपरा का साक्षात अनुभव प्राप्त किया। हर जबान पर एक ही बात थी, “बेमिसाल कुंभ, लाजवाब कुंभ।” प्रयागराज में 13 जनवरी से 26 फरवरी तक चले कुंभ ने न सिर्फ भीड़ के मामले में, बल्कि बुनियादी ढांचे और नाकाम सुरक्षा उपायों के मामले में भी दुनिया भर का ध्यान खींचा। इस दौरान राज्य सरकार की तैयारी से इतना बड़ा आयोजन संपन्न हुआ।

उत्तर प्रदेश सरकार के लिए भारी भीड़ के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचा उपलब्ध कराना बड़ी चुनौती थी। सरकार का अनुमान था कि 50 करोड़ से अधिक लोग संगम पर स्नान के लिए आ सकते हैं। इसी को ध्यान में रखकर 4,000 हेक्टेयर में अस्थायी शहर का निर्माण किया गया। तीर्थयात्रियों के लिए इसमें 1,50,000 टेंट लगाए गए। त्रिवेणी संगम के किनारे बनाई गई टेंट सिटी में विशिष्ट आगंतुकों के आराम और सुरक्षा का पूरा ध्‍यान रखा गया था। सुविधा के लिए सरकार ने बुनियादी ढांचे का भी विस्तार किया। सड़कें चौड़ी की गईं, नए राजमार्गों का निर्माण हुआ और 1,850 हेक्टेयर में पार्किंग बनाई गई।

कुंभ का कारोबार

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अनुसार महाकुंभ सिर्फ धार्मिक आयोजन नहीं है, यह यूपी का आर्थिक आधार भी है। दावा है कि महाकुंभ 2025 के आयोजन में 7,500 करोड़ रुपये के निवेश से राज्य में पर्यटन और व्यापार को बढ़ावा मिला और राज्य की अर्थव्यवस्था में तीन लाख करोड़ रुपये से अधिक का योगदान मिला।

रुद्राक्ष की माला निहारता साधु

रुद्राक्ष की माला निहारता साधु

मुख्यमंत्री ने बताया कि 2019 के अर्द्धकुंभ से राज्य को 1.2 लाख करोड़ रुपये का अतिरिक्त जीडीपी मिला था। उनका दावा था कि उस मेले में 24 करोड़ लोगों ने हिस्‍सा लिया था, जो 2013 के मेले से दोगुना था इसलिए इस बार 40 करोड़ लोगों की अपेक्षित भागीदारी के चलते चार लाख करोड़ रुपये का आर्थिक प्रभाव स्वाभाविक है। मुख्यमंत्री ने बताया कि सरकार ने इस मेले में 7,500 करोड़ रुपये खर्च किया। इसमें राज्य सरकार का हिस्सा 5,400 करोड़ रुपये और केंद्र सरकार का हिस्सा 2,100 करोड़ रुपये था। अखिल भारतीय व्यापारी परिसंघ (सीएआइएटी) के मुताबिक, कुंभ मेले में पैकेज्ड खाद्य पदार्थों और अन्य खाद्य पदार्थों का लगभग 20,000 करोड़ रुपये का कारोबार होने का अनुमान था। इसके अतिरिक्त धार्मिक वस्‍त्र, तेल, दीपक, गंगाजल, मूर्तियां, अगरबत्तियां, धार्मिक पुस्तकें, प्रसाद और अन्य उत्पादों से भी 20,000 करोड़ रुपये की आय होने की उम्मीद थी। ट्रांसपोर्ट और रसद से 10,000 करोड़ रुपये आने की संभावना थी। इसमें स्थानीय और अंतरराज्यीय सेवाएं, माल ढुलाई और टैक्सी सेवाएं शामिल थीं। अस्थायी चिकित्सा शिविरों, आयुर्वेदिक उत्पादों और दवाइयों से 3,000 करोड़ रुपये का कारोबार होने का अनुमान लगाया गया था।

सुरक्षा के इंतजाम

दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक आयोजन के लिए बड़े स्तर पर सुरक्षा व्यवस्था की गई। सरकार ने 14,000 होमगार्डों की सहायता से 50,000 से अधिक पुलिस बल तैनात किया था। पूरे क्षेत्र में 2,750 प्रभावशाली एल-सक्षम सीसीटीवी कैमरे लगाए गए। किसी भी आपात स्थिति में सहायता के लिए उन्नत आपदा-प्रतिक्रिया वाहन और पानी के नीचे के ड्रोन लगाए गए। इसके बावजूद हादसों को नहीं रोका जा सका।

त्रिवेणी में स्नान

त्रिवेणी में स्नान

स्वच्छता और स्वास्थ्य सेवाएं

तीर्थयात्रियों के लिए सरकार ने 1,50,000 शौचालय और मूत्रालय बनाए। 10,000 से ज्‍यादा सफाई कर्मचारी चौबीसों घंटे ड्यूटी पर रहे। स्वास्थ्य सेवाओं का भी विशेष ध्यान रखा गया। मेला स्थल के प्रमुख स्थानों पर मोबाइल स्वास्थ्य इकाइयां और आपातकालीन चिकित्सा सेवाएं तैनात की गई थीं। डॉक्टर, नर्स किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए तैयार रखे गए।

खास और आम सभी एक रंग में रंगे

आम लोगों के साथ दुनिया के शक्तिशाली लोगों ने भी कुंभ में डुबकी लगाई। उद्योगपति मुकेश अंबानी से लेकर एप्पल कंपनी के सह-संस्‍थापक स्टीव जॉब्स की पत्नी लॉरेन पॉवेल भी यहां आईं। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भी संगम में डुबकी लगाई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव, अभिनेता विकी कौशल जैसी उल्लेखनीय हस्तियां और विभिन्न क्षेत्रों की कई प्रसिद्ध हस्तियों ने कुंभ मेले का दौरा किया। तकरीबन रोज ही दर्जनों वीआइपी शख्सियतों ने कुंभ में स्नान किया। साथ में कुंभ की वीआइपी संस्कृति आलोचकों के निशाने पर भी आई, जिसके चलते लोगों को दिक्कत हुई।

यातायात के प्रबंध

देश के विभिन्न हिस्सों से तीर्थयात्रियों की आवाजाही को सुविधाजनक बनाने के लिए भारतीय रेलवे ने तीर्थयात्रियों को प्रयागराज तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। तीर्थयात्रियों को सुविधापूर्ण ढंग से प्रयाग पहुंचाने के लिए 360 ट्रेनें चलाई गईं, जिनमें 190 विशेष ट्रेनें विशेष रूप से कुंभ मेले के लिए चलाई गईं। इसके अतिरिक्त महाकुंभ के दौरान इलाहाबाद हवाई अड्डे के लिए अतिरिक्त उड़ानों के साथ हवाई यात्रा को सुव्यवस्थित किया गया। लोगों को स्नान घाट तक पहुंचाने के लिए बस, ऑटो और मोटरसाइकिल सेवाओं का इंतजाम किया गया। हाइवे से लेकर रेलवे स्टेशनों पर लगातार भारी जाम, भीड़, भगदड़ और मौतों ने प्रबंध में चुनौती पेश की।

आधुनिक तकनीक का उपयोग

कुंभ मेले को लेकर पुराने वक्त से धारणा चली आ रही है कि यहां की भारी भीड़ में लोग बिछड़ जाते हैं। सरकार ने तकनीक के उपयोग से इस धारणा को बदल दिया। मेले के दौरान बिछड़े 20,000 से अधिक व्यक्तियों को प्रशासन और स्थानीय स्वयंसेवकों के प्रयासों से उनके परिवारों से मिलाया गया। महाकुंभ नगर में जल निगम ने 233 वाटर एटीएम लगाए थे जिनमें एक रुपये का सिक्का डालकर एक लीटर पानी मिल रहा था। इससे आने वाले लोगों को शुद्ध जल मिल सका। अनुमान के मुताबिक करीब 45 लाख लोगों ने इसका उपयोग किया। सोशल मीडिया के माध्यम से देश दुनिया में कुंभ की तस्वीरें, वीडियो वायरल हुए जिन्हें देख कर दूर-दराज में बैठे शहरी भी यहां आने से खुद को रोक नहीं पाए। कुछ एक घटनाओं, हादसों और मौतों को छोड़ दें तो मोटे तौर से कुंभ 2025 का आयोजन सुचारु रूप से हुआ। आगंतुकों के लिए जिस तरह के इंतजाम और प्रचार सरकार ने किया था, मीडिया ने जिस तरह की भव्य कवरेज की, कहा जा सकता है कि आने वाले कई वर्षों तक महाकुंभ 2025 सभी की स्मृतियों में रहेगा, अपनी इंतजामी, हादसों सभी कुछ के लिए।

 

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