आइपीएल जबर्दस्त बदलाव के दौर से गुजर रहा है। यहां बहुत कुछ बदल गया है। नामी खिलाड़ी महेंद्र सिंह धोनी, विराट कोहली और भारतीय स्किपर रोहित शर्मा आइपीएल की किसी भी टीम के कप्तान नहीं हैं। एक सीजन में गुजरात को ट्रॉफी जिताने वाले और दूसरे सीजन में टीम को फाइनल तक ले जाने वाले हार्दिक पांड्या मुंबई इंडियंस में चले गए हैं। शुभमन गिल, ऋतुराज गायकवाड़ और विश्व कप विजेता पैट कमिंस पहली बार आइपीएल कप्तानी का अनुभव ले रहे हैं। भीषण सड़क दुर्घटना के बाद ऋषभ पंत वापसी कर गए हैं। लेकिन इन कहानियों के बीच टीमों के कोचिंग स्टाफ में म्यूजिकल चेयर्स का अलग ही खेल चल रहा है। शायद इसलिए आइपीएल के 17वें सीजन का नाम ही ‘बदलाव का सीजन’ पड़ गया है।
गौर किया जाए, तो बदलाव इस पीढ़ी को सबसे ज्यादा पसंद है। यही वजह है कि आइपीएल के इस सीजन को 2008 के पहले सीजन की तरह नयापन दे दिया है। यह नयापन कुछ को लुभा रहा है, तो कुछ को अखर भी रहा है। लेकिन जो भी हो, आइपीएल का रोमांच आज भी सिर चढ़ कर बोल रहा है। भले ही इसमें बहुत सी बातें पहली बार हो रही हैं।
आइपीएल में सबसे लंबे समय तक कप्तान रहने वाले और वर्षों से इसके ब्रांड एंबेसडर एमएस धोनी ने लीग के ट्रांजिशन फेज का मार्ग प्रशस्त किया। प्रथम मुकाबले के कुछ घंटों पहले एमएस धोनी ने कप्तानी छोड़ने का ऐलान किया और अपना हाथ बल्लेबाज ऋतुराज के कंधे पर रख दिया। सीएसके टीम और उनके फैंस के लिए ही नहीं बल्कि यह पूरे आइपीएल के लिए बड़ा झटका था। लोगों को भरोसा नहीं हो रहा था कि माही ने येलो आर्मी की कमान छोड़ दी है। 2008 में आइपीएल की शुरुआत के बाद पहली बार विराट कोहली, एमएस धोनी या रोहित शर्मा बतौर कप्तान किसी टीम का हिस्सा नहीं हैं। क्या इसे एक युग का समापन समझा जाए? इन्हीं घटनाओं के साथ आइपीएल में परिवर्तन काल की शुरुआत हुई। पिछले कुछ वर्षों में एमएस धोनी, रोहित शर्मा और विराट कोहली आइपीएल के सबसे बड़े चेहरे रहे हैं। नेतृत्व में बदलाव होना ही था, लेकिन 2025 के मेगा ऑक्शन से पहले कुछ बड़े बदलावों का एक सीजन में आना बड़े परिवर्तन से कम नहीं था।
येलो आर्मी के लिए इस सीजन की शुरुआत बड़े झटके के साथ हुई। सुपर किंग्स के प्रशंसकों के लिए यह दृश्य अजीब था। मैदान पर एमएस थे लेकिन टॉस या पोस्ट मैच प्रेजेंटेशन पर नहीं। गायकवाड़ ने बहुत हद तक धोनी की तरह ही कप्तानी करने की कोशिश की। उनके पद संभालने के बारे में बहुत कुछ कहा गया। कुछ लोगों का मानना था कि एमएस धोनी ने पिछले साल के शुरुआत में ही कप्तानी में बदलाव के संकेत दिए थे। 2022 में उत्तराधिकार योजना विफल होने के बाद, यह देखना दिलचस्प होगा कि सुपर किंग्स 2024 में कहां फिनिश करते हैं। क्या डिफेंडिंग चैंपियंस दूसरी बार अपने खिताब को सफलतापूर्वक डिफेंड कर पाएंगे या नहीं, ये वक्त बताएगा। वहीं, दूसरी टीम मुंबई, भी अपने छठे खिताब की ओर दौड़ लगा रही है। लेकिन इस यात्रा में अवरोधक बनने का काम उनके खुद के प्रदर्शन और एक बड़े बदलाव ने किया है। हार्दिक पांड्या और रोहित शर्मा की कप्तानी से जुड़े मसले को ठीक तरह से न संभालना मुंबई के लिए भारी पड़ सकता है। पांच बार ट्रॉफी जिताने वाले रोहित शर्मा को हार्दिक पांड्या से रिप्लेस करने पर फैंस में खुशी की कोई लहर नहीं है। लेकिन मुंबई का खेमा इस फैसले को पीढ़ीगत परिवर्तन के चश्मे से देखना चाहता है।
बदलाव में एक बदलाव यह भी है कि हार्दिक पांड्या के ट्रेड और मोहम्मद शमी की चोट से जुझ रही गुजरात टाइटंस ने आने वाले दस सालों की तैयारी देखते हुए पार्ट टाइम नहीं फुल टाइम कप्तान में निवेश किया। इसी तरह यहां शुभमन गिल की ताजपोशी निश्चित हुई। आज की तारीख में भारत के सबसे युवा ऑल फॉर्मेट खिलाड़ी गिल भविष्य में राष्ट्रीय स्तर पर कप्तानी के मैटेरियल हैं। यही देखते हुए गुजरात का यह दांव सही समय पर आया। इस सीजन में कमिंस के रूप में एक और नए कप्तान की एंट्री हुई। हैदराबाद की टीम ने जब कमिंस को 20.5 करोड़ रुपये में खरीदा था, तभी उन्हें कप्तान बनाए जाने की योजना जोर पकड़ने लगी थी। हालांकि, एसए 20 (दक्षिण अफ्रीकी लीग) में लगातार दो बार हैदराबाद को खिताब दिला चुके मार्करम को हटाना भी समझ से परे था। बहरहाल, ऑरेंज आर्मी ने अपने जर्सी के रंग को तो नहीं लेकिन टीम के खेलने के अंदाज को बदला है। यह उनके रिकॉर्ड तोड़ बल्लेबाजी में साफ दिखता है। 2024 के बदलाव भरे सीजन में हैदराबाद टीम ने एक मजबूत कोर बनाया है, जिस पहलू से वे लंबे समय से जूझ रहे थे।
यह सीजन गौतम गंभीर की केकेआर में वापसी के लिए याद रखा जाएगा। इस बार मुंबई इंडियंस ने हार्दिक पांड्या के अलावा भी ट्रेड सिस्टम को अलग स्तर पर पहुंचाया। शेन बॉन्ड मुंबई से हटकर राजस्थान के बॉलिंग कोच बने तो लसिथ मलिंगा को मुंबई ने राजस्थान से बुलाकर अपना गेंदबाजी कोच नियुक्त कर दिया। संजय बांगड़ आरसीबी से पंजाब चले गए तो एंडी फ्लावर लखनऊ से बेंगलुरु आ गए। इसी बीच जस्टिन लैंगर लखनऊ के कोच भी बने। हालांकि, कोचिंग स्टाफ के बदलाव की यह हवा चेन्नई नहीं पहुंची। स्टीफन फ्लेमिंग का कद और पद, दोनों उसी तरह अब भी बरकरार है। बदलते ट्रेंड के इस सीजन ने भारत के युवा खिलाड़ियों पर भी काफी फोकस डाला है। गति के सौदागर मयंक यादव अब तक इस सीजन की सबसे बड़ी खोज माने जा रहे हैं। शशांक सिंह, अंगकृष रघुवंशी आदि कुछ अन्य उभरते सितारे हैं। प्रतिभा को मंच देने वाले आईपीएल के इस सीजन ने ऋषभ पंत की दमदार वापसी भी देख ली। अब यह बस कुछ ही समय की बात है कि ऋषभ पंत नीली जर्सी में वापस आएं।
लेकिन सवाल वही है। धोनी, कोहली, रोहित आईपीएल की ब्रांड का बड़ा हिस्सा हैं। इसे देखने वालों के साथ मुनाफा कमाने वालों को यह सीजन कितना पसंद आएगा, यह कहा नहीं जा सकता। गौरतलब है कि आइपीएल का आर्थिक प्रभाव क्रिकेट के मैदान से आगे तक फैला हुआ है, जो विभिन्न क्षेत्रों को प्रोत्साहित करता है और भारत में आजीविका का समर्थन करता है। इस साल आइपीएल नए युग में प्रवेश कर गया है। 2008 में यह लीग उन खिलाड़ियों के भरोसे शुरू की गई थी, जिन्हें वनडे से टी20 में खुद को ढालना पड़ा। आज के खिलाड़ियों के लिए टी20 सबसे नैचुरल फॉर्मेट है। लीग के नए हीरोज की तलाश शुरू हो गई है, नई कहानियों को ढूंढना जारी है। बीसीसीआइ को इसके आर्थिक पक्ष के लिए भी नए चेहरों की जरूरत पड़ेगी। सबसे टेढ़ी खीर भी यही होने वाली है। सच है कि यह सीजन कभी न कभी तो आना ही था। ऐसे में मेगा ऑक्शन से ठीक पहले इसका अर्थ और भी बढ़ जाता है। कहा जाता है कि विकास के लिए परिवर्तन अनिवार्य है और इससे पहले कि परिवर्तन मजबूरी बन जाए, बदलाव कर लेना चाहिए। अब किसी भी एंगल से देखा जाए, बदलते युग और बदलते ट्रेंड ने आईपीएल में नएपन का तड़का जरूर लगाया है।