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20 फरवरी 2023 · FEB 20 , 2023

उत्तर प्रदेश: निवेश बुलाओ यात्रा

उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्रियों ने ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के लिए किए विदेशी दौरे और किए ढेर सारे दावे, मगर सवाल भी कई
जर्मनी के फ्रांकफुर्त में मंत्री नंदी और जितिन प्रसाद

वाकई नजारे और दावे तो भव्य हैं। हाल ही में उत्तर प्रदेश सरकार के कई मंत्रियों ने प्रदेश में विदेशी निवेश लाने के लिए स्वीडन, हॉलैंड, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) सहित कई देशों की यात्राएं ही नहीं, वहां रोड शो भी किए। राज्य सरकार के मंत्रियों और अधिकारियों का दावा है कि वहां के कॉरपोरेट घरानों से 149 एमओयू साइन हुए और 7 लाख 12 हजार करोड़ रुपये के निवेश के लिए कई कंपनियों को राजी कर लिया गया है। उनके मुताबिक, ब्रिटेन और अमेरिका से ही चार लाख करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव मिले हैं। मंत्रियों ने इतने कम समय में कथित तौर पर 269 बैठकें कीं और इस तरह अपने राज्य में 7,02,415 रोजगार के अवसर भी तलाश लिए है।

विपक्ष को हालांकि इसमें कुछ खास नजर नहीं आ रहा है। योगी सरकार के विदेशी निवेश लाने के प्रयासों पर सवालिया निशान लगाते हुए समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव का कहना है कि दिखावटी निवेश से उत्तर प्रदेश का विकास नहीं होगा। उन्होंने ट्वीट किया, "कागज पर छपी मोमबत्ती दिखाने से उजाला नहीं होता। इन लोगों ने पहले भी कंपनियों से एमओयू कर इन्वेस्ट करने का ढिंढोरा पीटा था, परंतु धरातल पर दिखा कुछ भी नहीं।"

पहली बार उत्तर प्रदेश सरकार की एक टीम बड़े लक्ष्य के साथ दुनिया भर के निवेशकों को आमंत्रित करने वैश्विक भ्रमण पर गई थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विकास की रफ्तार तेज करने के लिए ‘ट्रिपल टी’- ट्रेड, टेक्नोलॉजी और टूरिज्म का मंत्र दिया था। उत्तर प्रदेश इसी मंत्र को आत्मसात कर लगातार आगे बढ़ रहा है। उम्मीद की जा रही है कि विदेश में मंत्रियों के रोड शो उत्तर प्रदेश में होने वाला आगामी ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट 2023 को ऐतिहासिक बना देंगे। दावा है कि यह समिट 2023 प्रदेश को एक ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का भी आधार बनेगी।

अमेरिका में सुरेश खन्ना

अमेरिका में सुरेश खन्ना 

लखनऊ में प्रस्तावित ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट से पहले की गई समीक्षा में कहा गया कि 10 लाख करोड़ रुपये के निवेश का लक्ष्य रखा गया है, यह वैश्विक पटल पर ‘ब्रांड यूपी’ को मजबूत बनाने वाला होगा। राज्य सरकार का कहना है कि विदेश में जिन कंपनियों/संस्थाओं, औद्योगिक समूहों के साथ एमओयू हुआ है, उनसे लगातार संपर्क के लिए वरिष्ठ अधिकारी को नोडल अधिकारी नामित किया जाएगा, ताकि वे सुचारु रूप से क्रियान्वयन करा सकें। सरकार निवेशकों की जरूरत के अनुसार हर संसाधन उपलब्ध कराएगी। विदेश में जी2जी और बी2बी (बिजनेस टू बिजनेस) बैठकों के दौरान पश्चिमी उत्तर प्रदेश के नोएडा, ग्रेटर नोएडा आदि क्षेत्रों के साथ-साथ अनेक औद्योगिक समूहों ने गोरखपुर, वाराणसी, प्रयागराज, अलीगढ़, लखनऊ, कानपुर आदि शहरों में भी निवेश के लिए उत्सुकता दिखाई है।

हॉस्पेटिलिटी, फूड प्रोसेसिंग, ड्रग्स और फार्मा, मेडिकल डिवाइस, केमिकल, टूरिज्म, लॉजिस्टिक्स-वेयरहाउसिंग, ग्रीन हाइड्रोजन, ईवी बैटरी विनिर्माण, एमएसएमई, दुग्ध, शिक्षा, डिफेंस एंड एयरोस्पेस, सेमीकंडक्टर, ड्रोन विनिर्माण, कृषि, टेक्सटाइल, स्टील मेन्युफैक्चरिंग, हॉर्टिकल्चर, वेस्ट वॉटर ट्रीटमेंट, डेटा सेंटर, रिवर बेसिन मैनेजमेंट, आदि सेक्टर में निवेश के लिए विभिन्न औद्योगिक समूहों ने अपने निवेश के प्रस्ताव दिए हैं। दसॉ, सैफरॉन, एयर लिक्विड, थॉमसन, सैंमीना कॉर्पोरेशन, कम्प्यूटिंग, सिलास, एचएमआई ग्रुप, सामसुंग, आइकिया, एरिक्सन, मदरसन, एनटीटी ग्लोबल, मित्सुई, जैसी कंपनियों ने उत्साह दिखाया है। विदेश दौरे से लौटे सभी समूहों ने समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री के समक्ष अपने दौरों की विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत कर वैश्विक भ्रमण को लगातार जारी रखने की आवश्यकता बताई है।

नीदरलैंड और फ्रांस दौरे से लौटे उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने बताया कि दोनों देशों में निवेशकों के मन में भारत के प्रति बहुत विश्वास है और भारत में भी उनकी प्राथमिकता सूची में उत्तर प्रदेश है। नीदरलैंड में बड़ी आबादी पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार के प्रवासियों की है। ये लोग करीब डेढ़ शताब्दी पहले गिरमिटिया मजदूर के रूप में सूरीनाम पहुंचे थे और अब वे नीदरलैंड में हैं। आगामी फरवरी में इनके प्रवासन के भी 150 वर्ष पूरे हो रहे हैं। उन्होंने बताया कि फ्रांस के इत्र विश्व में प्रतिष्ठित हैं इसलिए कन्नौज के इत्र के लिए भी यहां बड़ा बाजार है।

ऑस्ट्रेलिया और सिंगापुर से लौटे मंत्री स्वतंत्र देव सिंह ने बताया कि रोड शो के दौरान हुई सकारात्मक वार्ता में नए भारत और नए उत्तर प्रदेश की तस्वीर से सभी निवेशक प्रभावित दिखे। सिडनी में हुई बी2जी मीटिंग में अक्षय ऊर्जा, शहरी विकास, एग्रो टेक, फूड प्रोसेसिंग के क्षेत्र में बड़े निवेश पर चर्चा हुई। उन्होंने कहा, "हाल ही में भारत-ऑस्ट्रेलिया के बीच हुए मुक्त व्यापार समझौते का लाभ भी हमें मिलेगा। सिंगापुर जीआईएस में पार्टनर कंट्री है, यहां से कई कंपनियां डेटा सेंटर के सेक्टर में आने को इच्छुक हैं।"

दौरे से लौटे मंत्रियों का उत्साह देखते ही बनता है। कनाडा-अमेरिका दौरे पर गए कैबिनेट मंत्री धर्मपाल सिंह का कहना है कि "विदेश में लोगों के मन में मुख्यमंत्री की कार्यशैली, विजन के प्रति आदर है। निवेशक यहां की सुरक्षा व्यवस्था, निवेश अनुकूल माहौल से काफी प्रभावित हैं।" अमेरिका और ब्रिटेन के तीन शहरों से लौटे मंत्री सुरेश खन्ना भी कहते हैं, "इन बड़े देशों में उत्तर प्रदेश की बदलती परिस्थितियां निवेशकों के लिए चर्चा का विषय है।" उनके अनुसार हिंदुजा ग्रुप और रॉल्स रॉयस से भी बड़े निवेश के लिए चर्चा हुई है।

लंदन में हीरानंदानी समूह ने यूपी के साथ अपने अच्छे अनुभव साझा किए। इसके अलावा, सैन फ्रांसिस्को से सलोनी हार्ट फाउंडेशन ने एसजीपीजीआई लखनऊ को 415 करोड़ रुपये का सीएसआर अनुदान देने का निर्णय लिया है। इसी तरह, जियो थर्मल पॉवर तकनीक के लिए 41000 करोड़ के निवेश का एमओयू हुआ है। सिफी इंटरनेशनल 8300 करोड़ का निवेश करेगी।

उत्तर प्रदेश के विदेशी निवेश के दावों के बीच कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू राज्य की दूसरी तस्वीर दिखाते हैं। वे कहते, "एक तरफ योगी सरकार इन्वेस्टर्स समिट के जरिये निवेश तलाश रही है, वहीं पुराने कल-कारखाने दम तोड़ रहे हैं। नया निवेश या उद्योग लगाने से पहले सरकार को मर रहे उद्योगों को संरक्षित करने की जरूरत है।" उन्होंने पूर्वांचल में लगातार बंद हो रही चीनी मिलों, मैनचेस्टर ऑफ ईस्ट और चमड़ा उद्योग के लिए मशहूर कानपुर की बदहाली पर भी ध्यान दिलाया। उनका कहना है कि मर रहे बनारस के हथकरघा उद्योग के बारे में कौन नहीं जानता।

प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव रिटायर्ड आइएएस आलोक रंजन सुझाव देते हैं, "राज्य के लिए निवेश लाना अच्छा विचार है क्योंकि यहां औद्योगिकीकरण की जरूरत है, लेकिन यह समय ठीक नहीं है क्योंकि पश्चिमी देशों में मंदी की प्रबल संभावना है। सरकार को वर्तमान समय में चल रही औद्योगिक परेशानियों पर ध्यान देना चाहिए। खासतौर पर एसएमई क्षेत्र के लिए। वैसे यह भी देखना होगा कि पहले कितने एमओयू हुए हैं उनके मामले में जमीनी स्तर पर कितना काम हुआ है।"

इन सब के बीच दक्षिण कोरिया और जापान के दौरे से लौटे मंत्री जयवीर सिंह और मंत्री आशीष पटेल इस यात्रा के नतीजों से बहुत आशान्वित हैं। उनका कहना है कि इन देशों की ज्यादातर तकनीकी कंपनियां दक्षिण भारत में निवेश करती रही हैं। उत्तर प्रदेश की टीम से मिलने-जुलने का उनका यह पहला अवसर था और अनुभव अच्छा रहा। जर्मनी, बेल्जियम और स्वीडन से लौटे नंद गोपाल गुप्ता 'नंदी' भी यह दोहराते हुए कहते हैं, "उत्तर प्रदेश की टीम पहली बार इस तरह के वैश्विक दौरे पर गई थी। निवेशकों से बातचीत उत्साहवर्धक रही और नियमित अंतराल पर ऐसे दौरे करने चाहिए।" 

मैक्सिको, ब्राजील और अर्जेंटीना से लौटे उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक और संजय निषाद फूड प्रोसेसिंग, एग्रो और डेयरी सेक्टर में निवेश की बड़ी संभावनाएं देख रहे हैं।

निवेश के लिए ऐसे दौरे से इत्तेफाक न रखते हुए विधानसभा में विपक्ष के मुख्य सचेतक और पूर्व मंत्री मनोज पांडेय का कहना है, "भाजपा सरकार झूठ का पुलिंदा है। पहले भी लखनऊ और आगरा में इन्वेस्टर्स समिट हुआ पर कहीं कुछ नहीं हुआ।" रालोद के राष्ट्रीय प्रवक्ता अनिल दुबे भी इसे भाजपा का शिगूफा ही मानते हैं क्योंकि धरातल पर कोई काम नहीं हुआ है। उनका कहना है, "रही बात इन्वेस्टर्स समिट के लिए निवेश लाने और एमओयू करने की तो, बता दूं कि यह सरकारी अमले का महज विदेश भ्रमण साबित हुआ है।"

चाहे जो भी हो, एक बात तो तय है कि विदेश दौरे से राज्य सरकार के मंत्रियों में काफी उत्साह है।

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