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3 फरवरी 2025 · FEB 03 , 2025

छत्तीसगढ़ः लिखने की सजा

एक पत्रकार को सिस्टम से लड़ना और भ्रष्टाचार उजागर करना जान पर भारी पड़ा
ईमान का ईनामः मारे गए पत्रकार मुकेश

नए साल में लापता हुए स्वतंत्र पत्रकार मुकेश चंद्राकर का शव तीन दिन बाद एक सेप्टिक टैंक से मिला। वे माओवाद प्रभावित बीजापुर के टीवी पत्रकार और यूट्यूब पर लोकप्रिय चैनल बस्तर जंक्शन चलाते थे। वे बस्तर की अंदरूनी खबरें प्रसारित करने, माओवादियों  द्वारा अपह्रत पुलिसकर्मियों या ग्रामीणों की रिहाई में अहम भूमिका निभाते थे।

मुकेश के बड़े भाई और टीवी पत्रकार यूकेश चंद्राकर के मुताबिक, उनके भाई ने ठेकेदार सुरेश चंद्राकर की बनाई सड़क निर्माण में भ्रष्टाचार की खबर एक प्रतिष्ठित टीवी न्यूज चैनल लिए की थी। खबर आने के बाद राज्य सरकार ने इस मामले की जांच की घोषणा की थी। उन्होंने मीडिया को बताया, कि नए साल की पहली तारीख की शाम उनकी मुकेश से अंतिम मुलाकात हुई। अगले दिन सुबह जब मुकेश घर नहीं पंहुचा और उसका फोन भी बंद आ रहा था। पूछताछ में बता चला कि मुकेश 1 जनवरी की शाम ठेकेदार सुरेश चंद्राकर से मिलने जाने वाले थे। 

इस बीच भाई के लापता होने के बाद यूकेश ने मुकेश के मोबाइल की अंतिम लोकेशन देखी। लोकेशन ठेकेदार दिनेश चंद्राकर, सुरेश चंद्राकर और रितेश चंद्राकर के मजदूरों के लिए बनाए गए कैंपस में नजर आ रही थी। शाम यूकेश ने पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई और रिपोर्ट में ठेकेदार दिनेश चंद्राकर, सुरेश चंद्राकर और रितेश चंद्राकर की ओर से मुकेश को नुकसान पहुंचाने की आशंका जताई।

गिरफ्त में सुरेश

गिरफ्त में हत्या का आरोपी ठेकेदार सुरेश चंद्राकर

बाद में पुलिस ने चट्टान पारा बस्ती में ठेकेदार सुरेश चंद्राकर के परिसर में बने एक सेप्टिक टैंक से मुकेश चंद्राकर का शव बरामद किया। पुलिस ने मजदूरों के लिए बनाए गए आवासीय परिसर में खोजबीन शुरू की, तो वहां ताजे कंक्रीट से बना एक ढांचा नजर आया। पुराने सेप्टिक टैंक का ढक्कन बंद कर दो दिन पहले ही उस पर कंक्रीट का नया काम किया गया था। पुलिस ने सेप्टिक टैंक के ऊपरी हिस्से को तोड़ा तो पानी के भीतर पत्रकार मुकेश चंद्राकर का शव मिला। शव पर चोट के कई निशान थे। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में आया कि मुकेश के सिर पर चोट के 15 निशान थे। साथ ही लिवर के 4 टुकड़े हो गए थे और गर्दन टूट जाने के साथ दिल को बहुत नुकसान पहुंचा था। उनका शव देख कर लग रहा था कि उन्हें बहुत योजनाबद्ध तरीके से बेरहमी के साथ मारा गया था।

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कहा कि बीजापुर के पत्रकार की नृशंस हत्या में शामिल किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा। अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक आइपीएस मयंक गुर्जर के नेतृत्व में 11 सदस्यीय विशेष जांच दल (एसआइटी) का गठन किया गया।

प्रेस क्लब ऑफ इंडिया ने बयान जारी करके मुकेश चंद्राकर की हत्या की निंदा की है और मांग की है कि निश्चित समय के भीतर मामले की जांच पूरी की जाए और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए। प्रेस क्लब ने अपने बयान में प्रेस काउंसिल से गुजारिश की है कि वह मामले का संज्ञान ले और राज्य सरकार को उचित कदम उठाने के लिए कहे। कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी इस मामले में सख्त और त्वरित कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, ‘‘खबरों के मुताबिक, मुकेश ने अपनी रिपोर्ट में भ्रष्टाचार का खुलासा किया था जिसके बाद उनकी बेरहमी से हत्या कर दी गई। राज्य सरकार सख्त कार्रवाई करे, दोषियों को कड़ी सजा दे और परिजनों को उचित मुआवजा दे। उनके परिजन को नौकरी देने पर भी विचार किया जाए।’’

सहयोगी

सुरेश चंद्राकर के साथ हत्या में सहयोग करने वाले अन्य आरोपी

सुरेश चंद्राकर की लोकेशन हैदराबाद मिलने पर पुलिस ने रास्तों में घेराबंदी की। हैदराबाद से कुछ दूर एक गाड़ी रोकने पर उसमें सुरेश चंद्राकर की पत्नी और ड्राइवर मिले। हालांकि सुरेश इस गाड़ी को छोड़कर भाग चुका था, लेकिन पत्नी से पूछताछ में उसने सुरेश के बारे में बताया जिसके बाद सुरेश को भी पकड़ लिया गया।

पुलिस ने जिस ठेकेदार सुरेश चंद्राकर के परिसर में बने सेप्टिक टैंक से मुकेश चंद्राकर का शव बरामद किया है, बस्तर में उसका सरकारी निर्माण कार्यों और माइनिंग से जुड़े बड़े ठेकेदारों में नाम लिया जाता है। बताया जाता है कि वह बेहद गरीब परिवार में पैदा हुआ लेकिन पिछले कुछ साल में ही माओवाद प्रभावित इलाकों में सरकारी निर्माण कार्यों का ठेका लेकर बस्तर के शीर्ष ठेकेदारों में उसकी गिनती होने लगी। यही नहीं, कुछ महीने पहले हुए महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव में एक राजनैतिक दल ने उसे नवापुर विधानसभा का आब्जर्वर का दायित्व भी सौंपा था।

 

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