यह वर्ष अब खत्म होने को है और मैं इंतजार कर रहा हूं सोशल मीडिया पर उन भाइयों-बहनों के संदेशों का जो बताते हैं कि हमें ईसाई नववर्ष नहीं मनाना चाहिए, बल्कि भारतीय नववर्ष मनाना चाहिए। अच्छी बात यह है कि इस संदेश का सीजन काफी लंबा होता है। मार्च में अमूमन चैत्र शुक्ल प्रतिपदा होती है, तब तक यह चलता रहता है। इस तरह के संदेश देने वाले लोग अमूमन वे ही लोग होते हैं जो बताते हैं कि गोमूत्र से कैंसर ठीक होता है और लाखों साल पहले मक्का में काबा की जगह शिव मंदिर था। ये कुछ लोग हैं जिनका मानना है कि दुनिया में किसी भी ऐतिहासिक इमारत के नीचे कोई मंदिर जरूर था। इनका मानना है कि दुनिया के बाकी लोगों के पास जमीन की कमी थी, इसलिए सबने मंदिर तोड़कर ही इमारतें बनवाईं।
ऐसे लोगों के लिए इस साल की सबसे बड़ी उपलब्धि यह रही कि अयोध्या में जहां बाबरी मस्जिद गिराई गई थी, वहां राममंदिर बनाने का रास्ता साफ हो गया। सुना है कि यह मंदिर आसमान से ऊंचा होगा। मैंने सुना है कि इस मंदिर के कलश के ऊपर झंडा लगाने के लिए इसरो की मदद ली जाएगी। इसरो का यान मंदिर पर झंडा फहराएगा और फिर वहीं से मंगल की ओर चल देगा। मंदिर आसमान से ऊंचा और हमारी अर्थव्यवस्था पाताल से नीचे, इस तरह अगले वर्ष तीनों लोकों में हमारा राज रहेगा। जहां तक विकास का सवाल है, मैंने सुना है कि वह राममंदिर के निर्माण की राह देख रहा है, ताकि उसके बाहर भिक्षा मांग कर जीवनयापन कर सके। राममंदिर में दर्शनार्थियों की भीड़ तो लगेगी ही, सो अच्छी भिक्षा मिलने की संभावना होगी। इसलिए विकास को उम्मीद है कि अगले साल से उसके अच्छे दिन आएंगे।
दूसरा बड़ा काम जो अगले वर्ष होगा, वह देश में नागरिकता की नोटबंदी है। एनआरसी और सीएए के लागू होने से यह बड़ा काम हो जाएगा। जैसे नोटबंदी के वक्त काला पैसा निकालने के कथित उद्देश्य से सरकार ने देश की 85 प्रतिशत मुद्रा को अवैध घोषित कर दिया, वैसे ही अब कथित घुसपैठियों को खोजने के लिए सरकार देश के सारे नागरिकों की पुरानी नागरिकता को स्थगित करने वाली है। अब सबको नए सिरे से यह साबित करना पड़ेगा कि वे देश के नागरिक हैं। भाजपा वालों का दावा है कि सन 2024 तक वे सारे कथित घुसपैठियों को बाहर कर देंगे। उनका यह भी दावा है कि ऐसे घुसपैठियों की तादाद दो करोड़ है। सच ही होगा, वे झूठ क्यों बोलेंगे। अब समस्या सिर्फ इतनी है कि फिलहाल हम हर साल करीब 650 ऐसे लोगों को बांग्लादेश भिजवा पाते हैं। यह तब है जब बांग्लादेश से हमारे संबंध अच्छे हैं। एनआरसी और सीएए को लेकर बांग्लादेश से संबंध जैसे खराब हो रहे हैं उसे देखकर यह कहा जा सकता है कि यह तादाद बढ़ तो नहीं सकती। फिर भी अगर हम मान लें कि हम हर साल 650 बांग्लादेशी लोगों को बांग्लादेश भिजवा सकें, तो दो करोड़ लोगों को भिजवाने में लगभग तीस हजार साल लगेंगे। यह बड़ी अच्छी बात है कि आकाश से पाताल तक राज करने के लिए हमारे पास तीस हजार साल का कार्यक्रम तैयार है। दूरदृष्टि इसे कहते हैं।
बाकी सब चंगा सी!
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2019 के अकादेमी विजेता
साहित्य की दुनिया में अकादेमी पुरस्कारों का अपना ही स्थान है। हर साल 23 भारतीय भाषाओं में ये पुरस्कार दिए जाते हैं। साल 2019 के लिए इस बार हिंदी के लिए यह पुरस्कार राजस्थान के वरिष्ठ लेखक नंदकिशोर आचार्य को उनके कविता संग्रह छीलते हुए अपने को के लिए दिया जाएगा। जबकि इस बार अंग्रेजी के लिए शशि थरूर को उनकी पुस्तक ऐरा ऑफ डार्कनेस के लिए यह प्रतिष्ठित पुरस्कार मिलेगा। थरूर कांग्रेस नेता हैं और केरल की तिरुअनंतपुरम सीट से लोकसभा सदस्य हैं। साहित्य अकादेमी के सचिव के. श्रीनिवासराव ने बताया कि इस बार सात कविता-संग्रह, चार उपन्यास, छह कहानी-संग्रह, तीन निबंध संग्रह, एक-एक कथेतर गद्य, आत्मकथा और जीवनी के लिए पुरस्कार घोषित किए गए हैं।
इस क्रम में पुरस्कार निर्णायक समिति ने उर्दू के लिए प्रो. शाफे किदवई और पंजाबी भाषा के लिए किरपाल कजाक को चुना है। अकादेमी के अध्यक्ष डॉ. चंद्रशेखर कंबार की अध्यक्षता में अकादेमी के कार्यकारी मंडल ने इन पुरस्कारों पर सर्वसम्मति से सहमति दी।
असमिया में जयश्री गोस्वामी महंत को चाणक्य, मणिपुरी में बेरिल थंगा (एल. बिरमंगल सिंह) को ई अमादी अदुनगीगी ईठत, तमिल में चो. धर्मन को सूल, तेलुगु में बंदि नारायणा स्वामी को सेप्ताभूमि, बोडो में फुकन चंद्र बसुमतारी को आखाइ आथुमनिफ्राय, मैथिली में कुमार मनीष अरविंद को जिनगीक ओरिआओन करैत, मलयालम में वी. मधुसूदनन नायर को अचन पिरन्ना वीदु, मराठी में अनुराधा पाटील को कदाचित अजूनही, कश्मीरी में अब्दुल अहद हाजिनी को अख याद अख कयामत, ओड़िया में तरुण कांति मिश्र को भास्वती, राजस्थानी में रामस्वरूप किसान को बारीक बात के लिए घोषित पुरस्कार 25 फरवरी 2020 को दिल्ली में अकादेमी के साहित्योत्सव में दिए जाएंगे।
आउटलुक डेस्क