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सूट में गांधीजी

नरम-गरम
नरम-गरम

गांधीजी को 30 जनवरी के दिन मारा गया था। इसी तारीख के आसपास भारत प्रेमी यह महान आत्मा देखने आती है कि वे भारतभूमि को जिस हाल में छोड़ गए थे, उसका हाल अब कैसा है।

गांधीजी अब एनजीओ के बहुत काम आते हैं। एनजीओ तरह-तरह से गांधीवाद मचा रहे हैं और संपन्न हो रहे हैं। एनजीओ इस मुल्क में बहुत बड़ा कारोबार है।

गांधीजी सकुचाए बैठे थे कोने में, एक अत्यंत फास्ट अंगरेजी स्पीकवान बालिका उनकी तरफ से हर बात का जवाब दे रही थी। गांधी विचार समारोह था, गांधीजी कोने में थे। मेरे पूछने पर पता चला कि गांधीजी को ताकीद की गई है कि आप शांत रहें, आपके नाम पर चल रहे इवेंट को स्मार्ट ऐंड स्मार्ट पीआर कंपनी हैंडल करेगी। वैचारिक समारोह भव्य दिव्य था, एक शराब कंपनी स्पांसर थी, जो पानी बनाकर इसलिए शराब के ब्रांड-नाम से बेचती थी, क्योंकि सीधे शराब का इश्तिहार कानूनन संभव नहीं था। गांधीजी को बताया गया कि पानी के कारोबारवाली कंपनी ने स्पांसर किया है, पानी तो प्राकृतिक आइटम है।

गांधीजी थे, पर बोलने की मनाही थी। गांधीजी पता नहीं क्या बोल दें, स्पांसर बिदक जाएं, पता नहीं क्या हो जाए। तो गांधीजी से साक्षात्कार यूं हुआ कि मैंने सवाल गांधीजी से किए, जवाब स्मार्ट पीआर बालिका ने दिए।

सवाल: मामला बहुतै दिव्य-भव्य है, चकाचक सेमिनार है। क्या संदेश है गांधीजी का इस सेमिनार में।

पीआर बालिका उर्फ पीआरबी: यू नो गांधीजी पूरी दुनिया के हैं। हमने ऐसे सेमिनार पूरी दुनिया में किए हैं। गांधीजी महान थे, महान हैं, महान रहेंगे। हमने गांधीजी के नाम पर सूट डिजाइन किया है, पचास हजार का है। गांधीजी के नाम से कैलेंडर डिजाइन किया है, पांच हजार में ले सकते हैं। आप भी सूट और कैलेंडर खरीदकर गांधीवाद को फैलाने में मदद दें।

सवाल: गांधीजी की महानता पर किसी को शक नहीं है धुआंधार आइटम बिक रहे हैं गांधीजी के नाम पर। जरा गांधीजी से तो पूछ लीजिए कि क्या उनके नाम से पचास हजार रुपये के सूट और शराब कंपनी की स्पांसरशिप लेना ठीक है।

पीआरबी: देखिए, आप गलतबयानी कर रहे हैं। वो शराब कंपनी नहीं, पानी की कंपनी है। पानी नेचुरल सोर्स है। पानी पर सबका हक है। पचास रुपये की पानी की बोतल पर सबका हक है। गांधी की वैल्यूज फैलाने के लिए फंड चाहिए। पचास रुपये की पानी बोतल खरीदकर आप भी गांधीवाद के प्रचार में अपना योगदान दे सकते हैं।

सवाल: कुछ सवाल अर्थव्यवस्था से जुड़े रखना चाहूंगा। दिसंबर 2019 में आए आंकड़ों के मुताबिक रिटेल महंगाई 7.35 प्रतिशत पर पहुंच गई। गहराई से जाकर आंकड़े देखें, तो पता लगता है कि दिसंबर 2018 से दिसंबर 2019 के बीच सब्जियों के भाव 60.5 प्रतिशत बढ़ गए हैं। गांधीजी कैसे देखते हैं इसे।

पीआरबी: यू नो, खेती किसानी बढ़ रही है। किसानों को सब्जियों के भाव ज्यादा मिल रहे हैं। यह तो खुशी की बात है कि गांधीजी का सपना पूरा हो रहा है। गांधीजी के किसान को बहुत पैसे मिल रहे हैं।

सवाल: बुरा न मानें हमने तो सब्जी के थोक कारोबारियों की गाड़ियों का साइज बड़ा होते देखा, उनको तो कार मयस्सर होना भी आसान नहीं है।

पीआरबी: ऐसे हम अलग-अलग करके नहीं देख सकते। कारोबारी को मिला, तो हमें समझना चाहिए कि किसान को मिल गया। सब एक हैं, कोई अलग नहीं है। यही तो गांधीवादी नजरिया है।

सवाल: तो मैं यह मानूं कि सब्जी के थोक कारोबारी ज्यादा कमा जाएं, यह गांधीवाद है। पचास हजार का सूट गांधीवाद है, गांधी के नाम पर बिकता एयर प्यूरीफायर गांधीवाद है। इतना गांधीवाद चल रहा है देश में, फिर हमें बिलकुल नहीं चिंतित होना चाहिए कि गांधीजी को कोई याद नहीं करता।

पीआरबी: जी आप गांधी को बिलकुल ठीक समझे।

मैंने देखा गांधीजी कुछ कहने की कोशिश कर रहे थे, पर पीआरबी ने उन्हें डपटकर बैठा दिया।

 

 

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नाटकों का रंगारंग महोत्सव

नाटक प्रेमियों के सबसे बड़ा उत्सव ‘भारंगम यानी भारतीय रंग महोत्सव’ का आगाज हो गया है। दिल्ली के कमानी ऑडिटोरियम में महोत्सव का शुभारंभ अमोल पालेकर के नाटक कुसूर से हुआ। अपने 20वें संस्करण में इस बार महोत्सव में 91 भारतीय और 10 विदेशी नाटक होंगे। 21 दिनों तक चलने वाले इस उत्सव में पहली बार भोजपुरी भाषा के नाटक का भी मंचन होगा। इस महोत्सव के तहत दिल्ली के अलावा भारत के पांच अन्य जगहों पर भी नाटकों का मंचन होगा। दिल्ली के अलावा शिलॉन्ग, देहरादून, नागपुर, पुदुच्चेरी और वेल्लूपुरम में भी नाटकों का मंचन होगा। दिल्ली में 72 नाटकों का मंचन होगा। इनमें 18 हिंदी, 11 बांग्ला, 6 असमिया और 4 नाटक अंग्रेजी भाषा के होंगे।

राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के कार्यवाहक उपाध्यक्ष अर्जुन देव चरण और निदेशक सुरेश शर्मा ने बताया कि इस बार 795 प्रविष्टियां मिली थीं, जिसमें 71 विदेशी नाटकों की थी। कमेटी के सदस्यों ने कई चरणों में इन नाटकों को देखा और फिर ‘भारंगम’ के लिए 91 भारतीय और 10 विदेशी नाटकों का चयन किया।

‘भारंगम’ की खास बात यह है कि यहां हर शाम नाटकों के अलावा कला-संस्कृति प्रेमी राष्ट्रीय नाट्‍य विद्यालय परिसर में दूसरे कई कार्यक्रमों का भी हिस्सा बन सकते हैं। रानावि ने इस बार परिसर में नुक्कड़ नाटक की भी व्यवस्था की है। इसके अलावा, मीट द डायरेक्टर, लिविंग लीजेंड, मास्टर क्लासेज ऐसे कार्यक्रम हैं, जिनसे दर्शक सीधे जुड़ सकते हैं। एक और महत्वपूर्ण कार्यक्रम यूथ फोरम भी होगा, जिसमें दिल्ली के करीब 50 कॉलेजों की नाट्य समितियों के प्रदर्शन होंगे।

आउटलुक डेस्क

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