अमेरिका के वाणिज्य-सचिव ने एक संवाद में कहा कि चीन में कोरोना वायरस के प्रकोप का फायदा अमेरिका को हो सकता है। तमाम अमेरिकन कंपनियां अपना काम धंधा चीन से उठाकर वापस अमेरिका में लाएंगी, काम धंधा वापस अमेरिका में आएगा, तो अमेरिका में नई नौकरियां बनेंगी। इससे अमेरिका को फायदा होगा, ऐसी उम्मीद अमेरिका के वाणिज्य-सचिव को है।
वायरस को भी उम्मीद भरी निगाहों से देखने के लिए परम वायरस होना पड़ता है, आसान काम नहीं है यह।
कोई मसला कितनी बड़ी समस्या है, यह तय करने के लिए मैं चेक करता हूं कि बाबा मूसा बंगाली उस समस्या के समाधान का दावा करने लगे हैं या नहीं। शादी, तलाक, लव अफेयर, पासपोर्ट, वीसा, डेंगू, चिकनगुनिया, बच्चे का एडमीशन, सास-बहू अनबन, सुंदरी वशीकरण, उचित पार्किंग स्पेस की प्राप्ति आदि विषयों पर बाबा मूसा बंगाली काम करते रहे हैं। एक पोस्टर में बाबाजी ने बताया कि कोरोना वायरस का निदान भी उनके पास है।
मैंने बाबा से कहा- बड़े साइंटिस्ट, डॉक्टर ना तलाश पाए कोरोना वायरस का इलाज, आप कहां से ले लाए।
बाबा के स्मार्ट चेले ने जो मुझे समझाया, वह यह था कि हम समस्याओं के हल का नहीं, समस्याओं का कारोबार करते हैं। अब होने को तो बाबा जी अपनी सुंदरी को ही वश में न रख पाए, इनकी पत्नी ने इनकी हरकतों की वजह से इन्हें घर से बाहर निकाल दिया था, पर इससे क्या। बाबाजी जमाने भर की सुंदरियों को वश में करवा रहे हैं। बाबा रकम लेकर तंतर तावीज देते हैं। जिसकी सुंदरी यूं ही खुद आटोमेटिक बस में हो जाती है, वह बाबा की जय जयकार करता हुआ वापस आता है, जिसकी सुंदरी बस में ना होती, वह आगे किसी और नए बाबा की तरफ निकलता है।
ना सुंदरियों की कमी है, ना क्लाइंट की कमी है और ना बाबाओं की।
कोरोना वायरस भी कुछ देकर ही जाएगा बाबा को।
कोरोना वायरस बाबाजी को ही क्यों अमेरिका को भी कुछ देकर जाए, ऐसी उम्मीद अमेरिका के वाणिज्य सचिव को है। वायरस कीटाणु हरेक के लिए समस्या ना होते। मेरे मुहल्ले के एक डॉक्टर ने चिकनगुनिया से अपनी कार की साइज को बढ़ा लिया था। चिकनगुनिया पूर्व युग में वह एल्टो पर चलते थे, चिकनगुनिया ने ऐसी चिकनाई पैदा की उन डॉक्टर के लिए कि अब फॉर्च्यूनर आ गई है। उस दिन परेशान थे कि चिकनगुनिया एक ही बार आकर रह गया, फिर उस लेवल पर ना आया, वरना बीवी को भी फॉर्च्यूनर दिलवा देता।
चिकनगुनिया का भी इंतजार रहता है जी।
चिकनगुनिया कइयों की चिकनाई बढ़ाकर जाता है।
मुझे कभी-कभी ऐसे चिकनगुनियाबाज बंदों को देखकर शमशान के बाहर अंतिम संस्कार की दुकान पर लिखा ‘शुभ लाभ’ याद आता है। अगर लोभी निगाह लाभ पर हो, तो मौतें भी शुभ हो जाती हैं। चिकनगुनियाबाज बंदे सिर्फ भारत में ही नहीं हैं, अमेरिका में भी बहुतेरे हैं।
कोरोना से बहुतों को राहत मिल रही है। कोरोना वायरस से बहुतों को बहुत राहत मिलने की उम्मीद है। कल एक टीवी चैनल के एक दोस्त ने पूछा-कोरोना वायरस को क्या हम भानगढ़ के किले के भूतों से जोड़ सकते हैं।
मैंने उसे डपटा- नीच भूतों और वायरस से भी तू टीआरपी कमाने की सोचता है, तो तू परम भूत और परम वायरस है।
दोस्त ने मुस्कुराकर जवाब दिया- परम भूत हो जाना तो इन दिनों सुपर स्टार हो जाना है। नार्मल टाइप के भूत दिखा-दिखाकर हम पक गए, कुछ स्मार्ट टाइप के बड़े भूत परम भूत दिख जाएं, तो बहुतै टीआरपी बनेगी।
किसी की टीआरपी बनेगी, अमेरिका के यहां नई- नई नौकरियां बनेंगी। नई नौकरियां बनीं, तो फिर ट्रंप को राष्ट्रपति पद की नौकरी दोबारा मिल जाएगी।
कोरोना वायरस से कितनों को कैसी-कैसी उम्मीदें हैं।
खैर, कोरोना वायरस कितना बड़ा है इसका अंदाजा इस बात से लगता है कि पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था का जितना साइज है- करीब 300 अरब डॉलर, उससे ज्यादा रकम तो कोरोना वायरस से डरे चीन के शंघाई स्टॉक बाजार में डूब चुकी है।
पर इस वायरस से भी जिसे उम्मीदें हैं, उसके परम वायरस होने में कोई शक ना होना चाहिए।
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संस्कृति, साहित्य और देश की करीब दो दर्जन भाषाओं के प्रोत्साहन में जुटी, आलोचना से परे राह बनाती साहित्य अकादेमी के साहित्योत्सव-2020 में इस बार जिज्ञासुओं को करीब ढाई सौ लेखकों/विद्वानों से ज्ञानार्जन का सुयोग है। इस छह दिवसीय (24-29 फरवरी) सांस्कृतिक उत्सव को जहां आरंभ में मशहूर रचनाकार वयोवृद्ध मन्नू भंडारी का सान्निध्य मिलेगा, वहीं ‘प्रादेशिकता, पर्यावरण और साहित्य’ विषयक राष्ट्रीय संगोष्ठी में 27 फरवरी को पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का संवत्सर व्याख्यान विशेष आकर्षण होगा। अकादेमी के सचिव के. श्रीनिवासराव के मुताबिक, आदिवासी सम्मिलन, युवा साहिती, आमने-सामने, पूर्वोत्तरी, अनुवाद, नाट्य लेखन, आओ कहानी सुनें के साथ ही गत वर्ष की तरह एलजीबीटीक्यू कवि सम्मेलन इस बार भी आयोजित है। नई दिल्ली के फीरोजशाह रोड स्थित रवींद्र भवन परिसर के इस उत्सव में अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ ही कर्नाटक के लोकापुर की विशेष प्रस्तुति का आनंद भी संस्कृति-प्रेमी उठाएंगे। उत्सव का एक अन्य विशेष आकर्षण कमानी सभागार में 25 की शाम को साहित्य अकादेमी पुरस्कार समारोह होगा। इसके मुख्य अतिथि प्रतिष्ठित कवि-कथाकार, निर्देशक गुलजार की नज्मों के लुत्फ का भी यह एक सुअवसर होगा। अनुवाद कला, मीडिया और साहित्य वगैरह मौजूं विषयों पर परिचर्चा के साथ ही मशहूर कथाकार/ वाचक महमूद फारूकी की दास्तानगोई और नई फसल कार्यक्रम, उम्मीद है कुछ नया रंग बिखेरेंगे।
आउटलुक डेस्क