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पंजाब: मानने के मूड में नहीं किसान

नए कृषि कानूनों के खिलाफ अमरिंदर सरकार के नए विधेयकों के बाद भी किसानों का धरना जारी
पटियाला में रेल पटरी पर धरने पर बैठे किसान

केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों की काट में पंजाब की कैप्टन अमरिंदर सिंह सरकार ने विधानसभा में चार कृषि विधेयकों को सर्वसम्मति से पारित तो करा लिए, सिर्फ भाजपा के दो विधायकों ने बॉयकाट किया, मगर इससे मामला ठंडा नहीं पड़ा। किसान संगठनों को लगता है कि ये विधेयक राजनीतिक मकसद से लाए गए हैं। विधानसभा में 20 अक्टूबर को विधेयक पेश होने के बाद रेलवे ट्रैक पर 25 दिनों से धरने पर बैठे किसान हटने को राजी हो गए, लेकिन दो दिन बाद ही वे फिर मोर्चे पर लौट आए। उनकी 5 नवंबर को राष्ट्रव्यापी चक्का जाम की तैयारी है। उनकी चेतावनी तब तक आंदोलन जारी रखने की है, जब तक केंद्र कृषि कानून वापस नहीं लेता और किसानों को एमएसपी की लिखित गारंटी नहीं देता।

पंजाब विधानसभा में जो विधेयक पारित हुए हैं, उनमें प्रमुख है किसान (सशक्तीकरण और संरक्षण) मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा (विशेष प्रावधान और पंजाब संशोधन) विधेयक। इसमें एमएसपी से कम कीमत पर उपज खरीदने पर कम से कम तीन साल सजा का प्रावधान है। कृषि उत्पादन, व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विशेष प्रावधान और पंजाब संशोधन विधेयक में किसानों को परेशान करने पर सजा का प्रावधान है। आवश्यक वस्तु (विशेष प्रावधान और पंजाब संशोधन) विधेयक कृषि उपज की जमाखोरी और कालाबाजारी के खिलाफ है। यह केंद्र के नए कानून से पहले की स्थिति को बहाल करता है। इसके अलावा कोड ऑफ सिविल प्रोसीजर (पंजाब संशोधन) विधेयक में 2.5 एकड़ से कम जमीन वाले किसानों को कुर्की से राहत दी गई है।

राजनीतिक स्तर पर भी इन विधेयकों का विरोध हो रहा है। विधानसभा में विधेयकों का समर्थन करने वाली आम आदमी पार्टी (आप) और शिरोमणि अकाली दल (शिअद) अब इस पर सवाल उठा रहे हैं। उनका सवाल है कि इन विधेयकों के लागू होने की गुंजाइश कम ही है। एक, ये राजभवन में ही अटक सकते हैं। दूसरे, राजभवन से राष्ट्रपति के पास गया, तब भी गुंजाइश कम ही। हालांकि मुख्यमंत्री का कहना है, “हम राष्ट्रपति से मिलेंगे। नवंबर के पहले हफ्ते में हमें राष्ट्रपति से मुलाकात का समय मिल सकता है।”

किसान संगठनों का सवाल है कि केंद्रीय एजेंसी एफसीआइ ने पंजाब से गेहूं और धान की खरीद का बहिष्कार किया, तो क्या पंजाब सरकार एमएसपी पर खरीद करेगी? इस पर कैप्टन सरकार चुप है। भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) उगरांहा के महासचिव सुखदेव सिंह कोकरीकलां ने आउटलुक से कहा, “राज्य सरकार ने छोटे किसानों की ढाई एकड़ तक जमीन कुर्क करने पर रोक लगाई है, जो अच्छी पहल है। लेकिन कर्ज माफी के लिए सरकार ने खुद पांच एकड़ तक के किसानों को छोटे किसानों की श्रेणी में रखा है। इसलिए जमीन कुर्की से राहत पांच एकड़ तक जमीन वाले किसानों को मिलनी चाहिए।”

तीन साल कैद के प्रावधान पर पंजाब मंडी बोर्ड के पूर्व चेयरमैन और पंजाब आढ़ती एसोसिएशन के अध्यक्ष रविदंर सिंह चीमा ने कहा, “मंडी में आने के बाद भला कौन किसान फसल वापस ले जाएगा, उलटा अपनी फसल बेचने की गुजारिश करेगा।”

शिअद अध्यक्ष सुखबीर बादल ने कहा, “क्या कैप्टन सरकार सभी 23 फसलों की एमएसपी पर खरीद की गारंटी देती है? ऐसे बिल का कोई मतलब नहीं जिससे किसानों की कोई समस्या हल नहीं होती।” इस पर कैप्टन का कहना है, “एनडीए से अलग होने का उनका ड्रामा किसानों ने खारिज कर दिया है। वे जानते हैं कि शिअद की नजर उनके वोट बैंक पर है।”

आप के सर्वेसर्वा और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का कहना है कि 2022 के विधानसभा चुनाव के मद्देनजर कैप्टन सरकार ने किसानों की भावनाओं से खिलवाड़ किया है। ऐसे कानून का क्या मतलब जो लागू ही नहीं होना। उधर, भाजपा को किसानों के विरोध का भी सामना करना पड़ रहा है। पार्टी के जिला प्रधान से लेकर राज्य स्तर तक के नेताओं के घरों के बाहर किसानों के धरने जारी हैं। धरने के चलते थर्मल प्लांटों में कोयले और औद्योगिक इकाइयों में माल की आवाजाही रुक गई है।

अमरिंदर सिंह

हम राष्ट्रपति से मिलेंगे, नवंबर के पहले हफ्ते में मुलाकात का समय मिल सकता है- कैप्टन अमरिंदर सिंह, मुख्यमंत्री, पंजाब

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