साल 2008 में शुरू होने के बाद इंडियन प्रीमियर लीग (आइपीएल) ने अनेक खिलाड़ियों की किस्मत बदल दी है। इसने उभरते खिलाड़ियों को अपना कौशल निखारने के लिए एक मजबूत प्लेटफॉर्म तो दिया ही है, आइपीएल में होने वाली नीलामी ने अचानक जैसे उन पर पैसों की बारिश कर दी है। चाहे वे मजदूर के बेटे नाथू सिंह हों, ऑटो रिक्शा ड्राइवर के बेटे मोहम्मद सिराज हों या फिर रिंकू सिंह जो स्वीपर की नौकरी शुरू ही करने वाले थे। आइपीएल की फ्रेंचाइजी टीमों में चयन के बाद इन सभी प्रतिभाओं की किस्मत बदल गई है। पंड्या बंधुओं के बारे में आज कौन नहीं जानता। आइपीएल 2022 भी इस लिहाज से अलग नहीं रहा। इस वर्ष भी गरीब परिवार से आने वाले कई खिलाड़ी बड़ी रकम लेकर गए हैं। यहां हम ऐसे ही पांच खिलाड़ियों के बारे में बता रहे हैं।
वैभव अरोड़ा
(पंजाब किंग्स, 2 करोड़ रुपये)
छोटी-मोटी नौकरी तलाशने से लेकर आइपीएल में शुरुआत करने तक 24 साल के वैभव अरोड़ा की राह मुश्किल रही। हरियाणा के अंबाला में उनके पिता का दूध का व्यापार था। व्यापार में नुकसान हुआ तो एक समय ऐसा भी आया जब दाहिने हाथ के तेज गेंदबाज ने क्रिकेट छोड़ने का फैसला कर लिया। लेकिन उनके कोच रवि वर्मा ने आर्थिक मदद की ताकि वे खेलना जारी रख सकें। वैभव को पंजाब की अंडर-19 टीम में जगह नहीं मिली तो कोच रवि ने उन्हें हिमाचल प्रदेश की तरफ से खेलने में मदद की। घरेलू क्रिकेट में वैभव हिमाचल की तरफ से ही खेलते हैं।
रणजी ट्रॉफी में अपना पहला मैच खेलते हुए 2019 में जब उन्होंने सौराष्ट्र टीम के खिलाड़ी और भारतीय टेस्ट टीम के विशेषज्ञ बल्लेबाज चेतेश्वर पुजारा का मिडिल स्टंप उड़ाया, तो नजर उन पर पड़ी। उस समय पंजाब किंग्स (तब किंग्स इलेवन पंजाब) ने आइपीएल 2020 के लिए उन्हें नेट बॉलर के तौर पर रखा। अगले सीजन से पहले कोलकाता नाइट राइडर्स ने 20 लाख रुपये में खरीदा लेकिन उन्हें आखिरी 11 खिलाड़ियों में जगह नहीं मिल सकी।
आइपीएल 2022 में पंजाब किंग्स ने उन्हें दो करोड़ रुपये में खरीदा। चेन्नई सुपर किंग्स के खिलाफ पहले मैच में उन्होंने प्रदर्शन से सबको प्रभावित किया। 3 अप्रैल को खेले गए उस मैच में उन्होंने चार ओवर में 21 रन देकर रोबिन उथप्पा और मोईन अली के विकेट लिए थे। खास बात यह रही कि उन्होंने 14 डॉट गेंदें डालीं। आइपीएल के इस सीजन में पांच मैचों में वैभव ने तीन विकेट लिए। गेंद को दोनों तरफ स्विंग कराना उनकी खासियत है।
कुमार कार्तिकेय सिंह
(मुंबई इंडियंस, 20 लाख रुपये)
मुंबई इंडियंस ने मोहम्मद अरशद खान के रिप्लेसमेंट गेंदबाज के तौर पर कुमार कार्तिकेय सिंह को 20 लाख रुपये में खरीदा था।
कार्तिकेय के पिता उत्तर प्रदेश पुलिस में कांस्टेबल हैं। वे 15 वर्ष की उम्र में कानपुर से दिल्ली आ गए थे। उन्होंने परिवार से वादा किया कि अपना लक्ष्य हासिल करने तथा जरूरतें पूरी करने के लिए वे परिवार पर बोझ नहीं डालेंगे। वे रात में मजदूरी करते थे। उन्होंने एक साल दिन का भोजन नहीं किया था। इन सबके बीच हर सुबह प्रैक्टिस के लिए जाना उन्होंने बंद नहीं किया।
24 साल के कार्तिकेय लेफ्ट आर्म रिस्ट स्पिन, फिंगर स्पिन और कैरम बॉल फेंक सकते हैं। कोच संजय भारद्वाज ने भी उनकी काफी मदद की और मुफ्त में उन्हें प्रशिक्षण दिया। कार्तिकेय की कहानी सुनकर भारद्वाज ने उन्हें दिल्ली अकादमी में काम करने वाले रसोइयों के साथ रहने की अनुमति दे दी थी। लेफ्ट आर्म चाइनामैन विशेषज्ञ नौ साल से अधिक समय से अपने गृह नगर नहीं गए। जीवन में कुछ हासिल करने के बाद ही वहां जाना चाहते हैं। मुंबई इंडियंस की तरफ से अपना पहला आइपीएल खेलते हुए कार्तिकेय ने चार मैच में पांच विकेट लिए।
कुलदीप सेन
(राजस्थान रॉयल्स, 20 लाख रुपये)
दाएं हाथ के तेज गेंदबाज और मध्य प्रदेश के रहने वाले कुलदीप के पिता नाई हैं। उन्हें भी प्रशिक्षण के दौरान पैसे की दिक्कतों का सामना करना पड़ा। मुश्किल दिनों में मध्य प्रदेश के ही पूर्व अंडर-19 तेज गेंदबाज एरिल एंथनी ने उनकी मदद की। उन्होंने कुलदीप को प्रशिक्षण में लगने वाले संसाधनों के साथ खाने-पीने का भी इंतजाम किया। राजस्थान रॉयल्स ने उन्हें 20 लाख रुपये में खरीदा जो उनकी बेस प्राइस थी।
25 साल के तेज गेंदबाज कुलदीप तब काफी चर्चा में आए जब लीग के शुरुआती मैचों में लखनऊ सुपर जायंट्स के खिलाफ एक रोमांचक मैच के आखिरी ओवर में राजस्थान रॉयल्स को जिता दिया। लखनऊ सुपर जायंट्स को जीत के लिए उस ओवर में 15 रनों की जरूरत थी लेकिन कुलदीप में उन्हें इतने रन बनाने का मौका ही नहीं दिया। उन्होंने राजस्थान रॉयल्स के लिए सात मैचों में आठ विकेट लिए। उनका इकोनॉमी रेट 9.42 रहा। उनके पिता आज भी नाई का काम करते हैं जहां उन्हें प्रतिमाह 8000 रुपये पगार मिलती है।
तिलक वर्मा
(मुंबई इंडियंस, 1.7 करोड़ रुपये)
बाएं हाथ के इस बल्लेबाज का हैदराबाद के एक मध्यमवर्गीय परिवार में जन्म हुआ। पिता इलेक्ट्रीशियन हैं। तिलक के लिए प्रोफेशनल क्रिकेटर बनने का खर्च उठाना बहुत मुश्किल था। ऐसे समय में कोच सलाम बायस ने उनकी मदद की और इस बात का ख्याल रखा कि उनकी प्रैक्टिस चलती रहे। उन्हें अच्छा खाना खिलाने से लेकर अपने घर में रखने तक, बायस ने हर मुमकिन तरीके से उनकी मदद की ताकि वर्मा की ट्रेनिंग चलती रहे। उनके इस प्रयास का फल तब मिला जब 19 साल के तिलक वर्मा को मुंबई इंडियंस ने आइपीएल 2022 के लिए 1.7 करोड़ रुपये में खरीद लिया।
तिलक वर्मा के लिए यह आइपीएल का पहला सीजन था। इसमें 14 मैचों में उन्होंने 397 रन बनाए। मुंबई इंडियंस की तरफ से ईशान किशन (418 रन) के बाद वे सबसे अधिक रन बनाने वाले खिलाड़ी हैं। वे दाहिने हाथ से ऑफ स्पिन गेंद भी फेंकते हैं। तिलक का परिवार अभी एक किराए के घर में रहता है। उनकी ख्वाहिश है कि आइपीएल में मिली रकम से माता-पिता के लिए एक घर खरीदें।
अभिनव मनोहर
(गुजरात टाइटंस, 2.6 करोड़ रुपये)
कर्नाटक के बल्लेबाज अभिनव शुरुआत में क्रिकेट को लेकर गंभीर नहीं थे। हालात तब बदले जब पिता को बिजनेस में नुकसान हुआ। किशोरवय अभिनव के लिए पहले क्रिकेट शौक था जो बाद में उनका पैशन बन गया। स्लॉग यानी आखिरी ओवरों में उन्हें बेहद खतरनाक बल्लेबाज माना जाता है। उनके टी20 करियर का स्ट्राइक रेट 150 से अधिक है। उन्होंने 2021-22 की सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी में चार पारियों में 150 की औसत से 162 रन बनाए।
गुजरात टाइटंस ने अभिनव को टीम में शामिल करने के लिए आइपीएल की नीलामी में 2.6 करोड़ रुपये खर्च किए। सीजन की शुरूआत उनके लिए काफी जोरदार रही। लखनऊ सुपर जायंट्स के खिलाफ गुजरात टाइटंस के पहले मैच में उन्होंने 7 गेंदों में नाबाद 15 रन बनाए और अपनी टीम को जीत दिलाई।
मैच के बाद गुजरात टाइटंस के कप्तान हार्दिक पंड्या ने कहा, मनोहर की प्रतिभा निखारने की जरूरत है। उनके बारे में आप भविष्य में सुनेंगे। अभिनव प्रोफेशनल क्रिकेट खेलने वाले अपने परिवार के दूसरे सदस्य हैं। उनकी चचेरी बहन शरण्य सदरंगनी जर्मनी की राष्ट्रीय महिला टीम की तरफ से खेलती हैं।