बॉलीवुड चंद भारतीय चीजों में से एक है जो बेहतर काम करता है। यह राजस्व, कर, रोजगार और बहुत सारी खुशियां पैदा करता है। नशे से निजात बहुत अच्छा है, लेकिन अगर इस प्रक्रिया में हम बॉलीवुड को नष्ट कर देते हैं तो हम कुछ अच्छी भारतीय चीजों में से एक को नष्ट कर देंगे।
चेतन भगत, लेखक
भाजपा की नई टीम
बिहार चुनाव के ठीक पहले भाजपा ने संगठन में बड़ा फेरबदल किया है। पार्टी अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा की नई राष्ट्रीय टीम में 12 उपाध्यक्ष हैं, जिसमें राजस्थान, झारखंड और छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री, वसुंधरा राजे, रघुवर दास और रमन सिंह जैसे दिग्गज शामिल हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री राधा मोहन सिंह भी उपाध्यक्ष बनाये गए है। नए उपाध्यक्षों में ओडिशा के जय पांडा और झारखंड की अन्नपूर्णा देवी भी हैं, जो कभी अपने राज्य में लालू प्रसाद यादव की पार्टी का चेहरा थीं। पुराने उपाध्यक्षों में उमा भारती, प्रभात झा, विनय सहस्त्रबुद्धे, रेणु देवी, ओम माथुर, श्याम जाजू, अविनाश राय खन्ना को जगह नहीं मिली है। बिहार चुनाव प्रभारी भूपेंद्र यादव सहित केवल चार महासचिव ही अपना पद बरकरार रखने में सफल हुए हैं। टीम में महिलाओं और युवाओं को तरजीह दी गई है। महिला पदाधिकारियों की संख्या आठ से बढ़ा कर तेरह कर दी गई है, जिनमें पांच उपाध्यक्ष और तीन राष्ट्रीय सचिव हैं। इस टीम की एक और खास बात यह है कि पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ताओं की संख्या दोगुनी कर दी गई है। चार महिलाओं सहित पार्टी में 23 राष्ट्रीय प्रवक्ता हैं। नए प्रवक्ताओं में पूर्व केंद्रीय मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौर और राजीव चंद्रशेखर शामिल हैं।
परदे के पीछे की गुफ्तगू
इसमें कोई शक नहीं कि सियासत में कोई स्थाई मित्र या शत्रु नहीं होता। पिछले दिनों जब शिवसेना नेता संजय राउत और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस की मुंबई के एक होटल में मुलाकात हुई, तो चर्चाओं क बाजार गर्म हो गया। ऐसा कहा जाने लगा कि भाजपा और शिवसेना पुरानी बातों को भूलकर फिर से सरकार बनाने की कवायद में जुट गए हैं। कुछ लोगों ने इसे अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत की सीबीआइ जांच से भी जोड़ कर देखा। लेकिन दो घंटे चली मीटिंग के बाद फड़नवीस और संजय राउत दोनों ने इसका कोई सियासी मतलब होने से इनकार किया। राउत ने कहा कि वे भाजपा नेता तथा पूर्व मुख्यमंत्री से अपनी पार्टी के अखबार सामना के लिए एक इंटरव्यू के सिलसिले में मिलने गए थे। फड़नवीस ने भी कहा कि वे चाहते थे कि उनका साक्षात्कार बिना किसी काटछांट के छपे। राज्य के राजनैतिक टिप्पणीकार हालांकि इसे आसानी से स्वीकार करने के मूड में नहीं हैं। उनका माना है कि भाजपा और शिवसेना में परदे के पीछे कोई खिचड़ी पक गई है। पिछले वर्ष विधानसभा चुनाव के बाद शिवसेना ने भाजपा से अपने संबंध विच्छेद कर कांग्रेस और राकांपा के साथ साझा सरकार बना लिया था। सत्ता के गलियारों में अब यह चर्चा आम है कि मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे वही कर सकते हैं, जो नीतीश कुमार ने बिहार में 2017 में किया था।
अलविदा हार्ले डेविडसन
विश्वविख्यात अमेरिकी बाइक कंपनी हार्ले डेविडसन भारत में अपना कारोबार समेट रही है। कंपनी के अनुसार, वह अब लाभ देने वाले बाजार अमेरिका पर ध्यान केंद्रित करने वाली है और भारत जैसे घाटे वाले बाजार छोड़ रही है। कंपनी ने अपने खर्चों में 7.5 करोड़ डॉलर की कटौती की योजना बनाई है। हरियाणा के बावल में कंपनी की असेंबलिंग यूनिट है। पिछले वित्त वर्ष में भारत में हार्ले बाइक की बिक्री 22 फीसदी से घटकर 2676 यूनिट रही। भारत में हार्ले की 65 फीसदी बाइक 750 सीसी से कम की थी। हार्ले डेविडसन के भारत छोड़ने के पीछे मुख्य कारण कोविड-19 से हुए भारी नुकसान को भी माना जा रहा है। यह बाइक अपनी मजबूती और स्टाइल के लिए सारी दुनिया में चर्चित रही है। क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी को अक्सर रांची की सड़कों पर हार्ले डेविडसन चलाते हुए देखा जा सकता है। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश के साथ इसकी एक तस्वीर चर्चित हुई थी।
जसवंत सिंह: एक दिग्गज का जाना
लंबे समय तक कोमा में रहने के बाद पूर्व केंद्रीय मंत्री जसवंत सिंह का 82 वर्ष की उम्र में देहांत हो गया। अपने समय के भाजपा के कद्दावर नेता ने अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में विदेश, वित्त और रक्षा जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालय का भार संभाला था। पोखरण परमाणु विस्फोट के बाद अमेरिका से रिश्ते सुधारने में उन्होंने बतौर विदेश मंत्री अहम भूमिका निभाई थी। सेना में मेजर रहे जसवंत उस वक्त वाजपेयी और लालकृष्ण अडवाणी के विश्वस्त नेताओं में से एक थे। वे चार बार लोकसभा और पांच बार राज्यसभा के लिए चुने गए। 2014 में लोकसभा चुनाव में टिकट नहीं मिलने के कारण उन्होंने पार्टी छोड़ दी और निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ा, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली। भाजपा के संस्थापक सदस्यों में से एक, जसवंत को 2009 में मोहम्मद अली जिन्ना पर एक किताब लिखने के कारण पार्टी से निकाल दिया गया था। हालांकि कुछ ही महीनों के बाद उनकी वापसी भी हो गई थी। लेकिन, बाद के वर्षों में पार्टी में वाजपेयी और आडवाणी के दौर के खत्म होने के साथ उनकी पूछ कम हो गई। 2014 में राजस्थान के बाड़मेर से चुनाव हारने के बाद उनकी तबीयत खराब हुई, जिससे वे कभी उबर नहीं पाए।
दीपिका पादुकोण
अभिनेत्री दीपिका पादुकोण को अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मृत्यु के बाद चल रही जांच के सिलसिले में नारकोटिक्स ब्यूरो के सामने पेश होना पड़ा है। उन पर आरोप है कि उन्होंने अपने मैनेजर से प्रतिबंधित ड्रग्स की मांग की थी, जिससे उन्होंने इनकार किया है।
अवनि दोशी
भारतीय मूल की लेखिका का नाम 2020 के बुकर पुरस्कार की दौड़ में शामिल अंतिम छह लोगों की सूची में है। उनको उपन्यास बर्न्ट शुगर के लिये यह पुरस्कार मिल सकता है। भारत में इस किताब का गर्ल इन व्हाइट कॉटन के नाम से विमोचन हुआ था।
हरिवंश
राज्यसभा में कृषि विधेयकों को ध्वनिमत से पास कराए जाने को लेकर उप-सभापति हरिवंश चर्चा में हैं। पत्रकारिता में नाम-धाम कमाने वाले हरिवंश जदयू से दोबारा राज्यसभा में पहुंचे हैं। उन पर पहले कार्यकाल में भी सरकार का पक्ष लेने के आरोप उछले थे।
आशालता वबगांवकर
प्रसद्धि अभिनेत्री और मराठी थिएटर कलाकार आशालता वबगांवकर का कोविड-19 की वजह से निधन हो गया। वे 74 साल की थीं। उन्होंने 100 से ज्यादा हिंदी और मराठी फिल्मों में काम किया था। नमक हलाल और वाहीनिची माया फिल्मों में उनके अभिनय को विशेष रूप से सराहा गया। मराठी रंगमंच में उनकी भूमिकाएं काफी चर्चित रही हैं।
इशर जज अहलूवालिया
चर्चित अर्थशास्त्री और पद्मभूषण से सम्मानित इशर जज अहलूवालिया का 74 वर्ष की आयु में निधन हो गया। खराब स्वास्थ्य के कारण पिछले महीने उन्होंने भारतीय अनुसंधान परिषद के चेयरमैन पद से इस्तीफा दे दिया था। उनका शोध भारत में शहरी विकास, वृहद-आर्थिक सुधार, औद्योगिक विकास और सामाजिक क्षेत्र के विकास के मुद्दों पर केंद्रित था।
हेरोल्ड इवांस
ब्रिटेन के मशहूर पत्रकार हेरोल्ड इवांस का न्यूयॉर्क में 92 साल की उम्र में निधन हो गया। खोजी पत्रकारिता के दिग्गज के रूप में ख्याति प्राप्त इवांस ने संपादक के रूप में संडे टाइम्स अखबार को शीर्ष पर स्थापित किया था। वे पत्रकारिता को अपना जुनून कहा करते थे। उनके नाम खोजी पत्रकारिता की कई चर्चित कहानियां दर्ज हैं।
सैयदा अनवरा तैमूर
असम की पहली महिला मुख्यमंत्री सैयदा अनवरा तैमूर का देहांत हो गया। वे 84 बरस की थीं। वे पिछले चार साल से अपने बेटे के साथ ऑस्ट्रेलिया में रह रही थीं। चार बार की कांग्रेस विधायक अनवरा छह दिसंबर 1980 से लेकर 30 जून 1981 तक असम की मुख्यमंत्री थीं। असम में उनके कार्यकाल की आज भी चर्चाएं होती हैं और उन्हें गर्व से याद किया जाता है।