ऐसे दिन की कल्पना कीजिए जो ज्यादा दूर नहीं, जब आप दोस्तों के साथ डिनर का लुत्फ उठाएंगे, देर रात फिल्में देखेंगे, या जब आप जन्मदिन, शादी या ग्रेजुएशन समारोह अपने करीबी लोगों के साथ मना सकते हैं। हम उस स्थिति में पहुंच सकते है, एक दूसरे के साथ।
जो बाइडेन, अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में डेमोक्रेट उम्मीदवार
घाटी में विवाद और झटका
जम्मू-कश्मीर राज्य को तोड़कर बनाए गए जम्मू-कश्मीर और लद्दाख दोनों ही केंद्र शासित प्रदेशों में फिजा बदली-बदली-सी है। जम्मू-कश्मीर, खासकर घाटी में पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती की रिहाई के बाद सियासी पारा चढ़ने लगा है। उन्होंने हाल में गुपकार बैठक के बाद प्रेस कॉन्फेंस में कहा, “मैं तब तक कोई दूसरा झंडा नहीं उठाऊंगी, जब तक राज्य का अपना झंडा नहीं लहराया जाता।” उनके बयान का जाहिर मतलब यही लगाया गया कि वे तिरंगा न लहराने की बात कह रही हैं। इसे भाजपा ने “देश विरोधी” बताया और जम्मू में इसके खिलाफ प्रदर्शन कर रही है। 26 अक्टूबर को कश्मीर विलय दिवस के मौके पर श्रीनगर के लाल चौक पर तिरंगा फहराने की भी भाजपा के तीन कार्यकर्ताओं ने कोशिश की, मगर पुलिस ने रोक लिया। उधर, लद्दाख में स्वायत्त पर्वतीय विकास परिषद के चुनाव में भाजपा को झटका लगा। उसे 26 सदस्यीय परिषद में पिछली बार से तीन सीटें कम, 15 ही मिल पाईं, जबकि उम्मीदें 'अबकी बार 24 पार' की थीं। सो, उसके सात केंद्रीय मंत्रियों सहित राम माधव और जम्मू के वरिष्ठ नेता वहां पहुंचे थे। उसके पूर्व परिषद प्रमुख भी कांग्रेस के हाथों हार गए। कांग्रेस को पिछली बार से चार अधिक, नौ सीटें हासिल हुईं। नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी ने बॉयकाट किया।
घाटी में छह पार्टियों नेशनल कॉन्फ्रेंस, पीडीपी, पीपुल्स कॉन्फ्रेंस, माकपा, पीपुल्स मूवमेंट और अवामी नेशनल कॉन्फ्रेंस ने एलायंस फॉर गुपकार डिक्लेरेशन बनाया है। अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला और उपाध्यक्ष महबूबा मुफ्ती हैं। मकसद राज्य में 5 अगस्त 2019 की स्थिति बहाल करना है। केंद्र ने 26 अक्टूबर को जम्मू-कश्मीर में जमीन खरीदने के नियमों को बदलकर बाहरी लोगों को इजाजत दे दी है। इससे विवाद और भड़का।
पाकिस्तान में निशाने पर फौज
जम्हूरियत की नई लहर कई देशों में कुछ-कुछ 'अरब वसंत' की तरह आकार लेने लगी है। हांगकांग, थाइलैंड, नाइजीरिया में फैलता यह आंदोलन पाकिस्तान में पुरजोर दस्तक देने लगा है। पाकिस्तान में शायद पहली दफा सर्वशक्तिमान फौज सीधे निशाने पर है और वह झुकती जान पड़ती है। फौज की मेहरबानी से सत्तारूढ़ वजीरे आजम इमरान खान की पाकिस्तान तहरीके इंसाफ के अलावा लगभग सभी राजनैतिक पार्टियां नवाज शरीफ की पाकिस्तान मुस्लिम लीग, बिलावल भुट्टो की पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी, बलूचिस्तान नेशनलिस्ट पार्टी और अन्य छोटी पार्टियां पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट के बैनर तले एक मंच पर आ गईं। इसका पहला जलसा पंजाब के गुजरांवाला में हुआ, जिसमें लाखों लोग जुटे। यह इसलिए अहम है कि फौज की ज्यादातर भर्तियां पंजाब में होती हैं और गुजरांवाला के आसपास से ज्यादातर फौजी हुक्मरान आते हैं। फौज में एक मायने में पंजाब का दबदबा है, इसलिए वहां फौजी हुक्मरानों के नाम लेकर सीधे हमला करना बेशक महत्वपूर्ण है। उस जलसे में नवाज शरीफ ने लंदन से घंटे भर के वीडियो भाषण में सीधे फौज के आला हुक्मरान जनरल कमर जावेद बाजवा और आइएसआइ प्रमुख जनरल फैज हमीद का नाम लेकर आरोप लगाए और कहा कि इन लोगों ने नालायक इमरान को वजीरे आजम बना दिया।
दूसरा जलसा कराची में और बड़ा हुआ, जहां के सिंध प्रांत में पीपीपी की सरकार है। उसमें भी सीधे फौज पर निशाना साधा गया। इस जलसे के बाद ऐसा घटनाक्रम हुआ जैसा पाकिस्तान में पहले कभी नहीं देखा गया था। जलसे के अगले दिन नवाज शरीफ की बेटी मरियम और उनके पति कैप्टन मुहम्मद सफदर अवान जिस होटल में ठहरे हुए थे, वहां आधी रात को कथित तौर पर पाकिस्तान रेंजर्स के जवान दरवाजा तोड़कर कैप्टन को उठा ले गए। फिर कथित तौर पर सिंध प्रांत के आइजी को बंधक बनाकर उनसे एफआइआर पर दस्तखत करवाया। कैप्टन पर आरोप था कि उन्होंने कायदे आजम जिन्ना की मजार के वर्जित क्षेत्र में जाकर नारे लगाए और उसे अपवित्र किया। बाद में उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया गया। लेकिन मामला यहीं नहीं रुका। आइजी को बंधक बनाने और जबरन दस्तखत करवाने के विरोध में सिंध प्रांत के लगभग पूरे पुलिस महकमे ने एक महीने की छुट्टी का आवेदन दे दिया। इससे जनरल बाजवा को झुकना पड़ा। उन्होंने इस पूरी घटना की जांच और दोषियों को सजा देने का वादा किया। इससे सिंध के पुलिसवाले अपनी अर्जी पर दस दिन बाद अमल करने पर राजी हो गए।
पोलैंड की मधुशाला
पोलैंड में एक चौराहे का नाम लोकप्रिय कवि और लेखक हरिवंश राय बच्चन के नाम पर कर दिया गया है। जाहिर है, यह उनके अभिनेता पुत्र अमिताभ बच्चन और पूरे परिवार के लिए गौरव का विषय है। इसकी एक फोटो शेयर करते हुए अमिताभ बच्चन लिखते हैं, ‘‘व्रोकला शहर की सिटी काउंसिल ने एक स्क्वायर का नाम मेरे पिता के नाम पर रखने का फैसला किया है। दशहरा पर यह एक आशीर्वाद की तरह है। मेरे परिवार के लिए, व्रोकला के भारतीयों के लिए और भारत के लिए यह एक गर्व का क्षण है। जय हिंद।’’ इसके साथ उन्होंने रामचरित मानस की एक चौपाई और उसका अर्थ भी ट्वीट किया। ‘‘प्रबिसि नगर कीजे सब काजा, हृदयराखि कोसलपुर राजा।। 9 रामचरितमानस, सुंदर कांड, भावार्थः अयोध्यापुरी के राजा श्री रघुनाथजी को हृदय में रखे हुए नगर में प्रवेश करके सब काम कीजिए।’’ पिछले साल दिसंबर में पोलैंड के एक चर्च में डॉ. हरिवंश राय बच्चन के लिए प्रार्थना रखी गई थी। उस वक्त अमिताभ पोलैंड में अपनी फिल्म चेहरे की शूटिंग कर रहे थे। इसी साल जुलाई में पोलैंड के एक कॉलेज के छात्रों ने डॉ. हरिवंश राय बच्चन की ‘मधुशाला’ का गायन किया था। अमिताभ ने ट्विटर पर यह वीडियो शेयर करते हुए लिखा था, ‘‘मेरे आंसू बह निकले।’’
मुरली के बॉयोपिक पर गुगली
दक्षिण भारत के चर्चित अभिनेता विजय सेतुपति ने श्रीलंका के पूर्व स्पिनर मुतैया मुरलीधरन की बॉयोपिक 800 से अपना नाम वापस ले लिया है, जिसमें वे टेस्ट क्रिकेट में सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले क्रिकेटर का किरदार निभाने वाले थे। दरअसल इस फिल्म को लेकर भारत में विरोध शुरू हो गया। कहा जा रहा है कि मुरली ने श्रीलंका में सिविल वॉर के दौरान तत्कालीन सरकार का समर्थन और तमिल आतंकवादी संगठन एलटीटीई का विरोध किया था। मुरली का कहना है कि उन्होंने कभी तमिल नरसंहार का समर्थन नहीं किया। ‘‘मेरे ऊपर आरोप लगाए गए हैं कि मैंने नरसंहार का समर्थन किया है। पहली बात, जब मैंने 2009 में एक बयान दिया था तो वह मेरी जिंदगी का सबसे अच्छा साल था। यह गलत अंदाजा लगाया गया कि मैं तमिल नरसंहार का जश्न मना रहा हूं। वॉर जोन में जीने वाले के लिए युद्ध खत्म होना अच्छी खबर थी।’’
प्रमोद मित्तल
2013 में बेटी सृष्टि की शादी में लगभग 485 करोड़ रुपये खर्च कर सुर्खियां बटोर चुके ‘स्टील किंग’ लक्ष्मी मित्तल के छोटे भाई और उद्योगपति प्रमोद मित्तल अब ब्रिटेन में सबसे बड़े दिवालिया हैं। खबरों के अनुसार, प्रमोद पर 254 करोड़ पाउंड का कर्ज है।
एकनाथ खड़से
भाजपा के वरिष्ठ नेता एकनाथ खड़से ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) का दामन थाम लिया है। अब वे भाजपा को दिखा देना चाहते हैं कि ‘‘खड़से क्या चीज है?’’ वे कहते हैं, ‘‘संघर्ष मेरा स्थायी भाव है और इसी संघर्ष के बल पर मैंने अपनी जगह बनाई।’’
दिलीप रॉय
कोयला घोटाला मामले में सीबीआइ की विशेष अदालत ने पूर्व केंद्रीय मंत्री दिलीप रॉय को तीन साल की सजा सुनाई है। उन्हें बाद में जमानत मिल गई। दिलीप पर 1999 में झारखंड के गिरिडीह स्थित ब्रह्मडिहा कोयला खदान आवंटन में भ्रष्टाचार का आरोप लगा