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रोहिणी आचार्य

‘‘कल से रमजान का पाक महीना शुरू हो रहा है! इस साल हमने भी फैसला किया है कि पूरे महीने अपने पापा की सेहतयाबी और सलामती के लिए रोजे रखूंगी! पापा की हालत में सुधार हो और जल्दी न्याय मिल सके, इसकी भी दुआ करूंगी! साथ ही मुल्क में अमन चैन हो इसके लिए ईश्वर/अल्लाह से कामना करूंगी’’

रोहिणी आचार्य, राष्ट्रीय जनता दल अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव की पुत्री

कहां है हनुमान जन्मस्थान?

भगवान हनुमान के जन्मस्थान को लेकर कर्नाटक और आंध्र प्रदेश आपस में भिड़ गए हैं। दोनों दक्षिण भारतीय प्रान्त अपने-अपने यहां हनुमान जी का जन्मस्थान होने के दावे कर रहे हैं। कर्नाटक में शिवमोगा के एक धार्मिक नेता के दावे को मानें तो भगवान हनुमान का जन्म कर्नाटक के उत्तर कन्नड़ जिले के गोकर्णा में हुआ था। दिलचस्प यह है कि पहले कर्नाटक ने ही दावा किया था कि उनका जन्म कोप्पल जिले के किष्किंधा में अंजनाद्रि पहाड़ी पर हुआ था। दूसरी ओर, आंध्र प्रदेश का दावा है कि हनुमान जी की जन्मभूमि तिरुपति की सात पहाड़ियों में से एक अंजनाद्रि पर है। दरअसल विवाद तब शुरू हुआ जब शिवमोगा में रामचंद्रपुर मठ के प्रमुख राघवेश्वर भारती ने रामायण के हवाले से कहा कि भगवान हनुमान ने सीता से स्वयं कहा था कि उनका जन्मस्थान समुद्र के पार गोकर्ण में है। राघवेश्वर भारती ने कहा, ‘‘रामायण में जो प्रमाण मिले हैं, उसके मुताबिक हम कह सकते हैं कि गोकर्ण हनुमान की जन्मभूमि है और किष्किंधा में अंजनाद्रि उनकी कर्मभूमि थी।’’

अब इस गुत्थी को सुलझाने के लिए तिरुमला तिरुपति देवस्थानम ने विशेषज्ञों की एक कमेटी बनाई है, जो 21 अप्रैल तक अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। इस कमेटी में वैदिक मामलों के जानकार, पुरातत्व विज्ञानी और इसरो के एक वैज्ञानिक हैं। इस बीच मंदिर प्रशासन एक दस्तावेज जारी कर रहा है, जिससे यह साबित किया जा सके कि तिरुमला की सात पहाड़ियों में से एक, अंजनाद्रि को भगवान हनुमान का जन्मस्थान कहा जाता है। ट्रस्ट के अनुसार उनके पास पौराणिक और पुरातात्विक प्रमाण हैं, जिनके आधार पर साबित कर सकते हैं कि तिरुपति के अंजनाद्रि पर्वत पर ही हनुमान जी का जन्म हुआ था।

 

सैलानियों की पौ बारह

कोरोनावायरस का असर दुनिया पर कितना पड़ा है, यह इससे पता चलता है। कभी सैलानियों का स्वर्ग समझा जाने वाला यूरोपीय देश माल्टा अब पर्यटकों को लुभाने के लिए पैसे दे रहा है। कोविड-19 के चलते चौपट हुए टूरिज्म में नई जान फूंकने के मकसद से वहां की सरकार ने अपने यहां आने वाले प्रत्येक विदेशी पर्यटक को 200 यूरो यानी भारतीय मुद्रा में करीब 18,000 रुपये देने की घोषणा की है। हालांकि इसके लिए एक शर्त भी है। इस रकम को पाने के लिए पर्यटकों को गर्मी के मौसम में कम से कम तीन दिन इस मेडिटेरियन टापू पर बिताने होंगे। माल्टा के पर्यटन मंत्री क्लेटॉन बारटोलो ने कहा कि आगामी 1 जून तक देश में लगे ज्यादातर कोविड प्रतिबंध हटा लिए जाएंगे। इसके बाद गर्मियों में स्थानीय होटलों के जरिए बुकिंग शुरू हो जाएगी। उनके अनुसार, पर्यटकों के लिए फाइव स्टार होटल में रहने की बुकिंग माल्टा की टूरिज्म अथॉरिटी की तरफ से होगी। अथॉरिटी की तरफ से इसके लिए 100 यूरो दिए जाएंगे। होटल की तरफ से बाकी के 100 यूरो का योगदान होगा। इसी तरह  फोर स्टार होटल के लिए 150 यूरो और 3 स्टार होटल के लिए 100 यूरो की रकम अथॉरिटीज की तरफ से दी जाएगी।

 गूगल मैप्स ने रास्ता भटकाया

गूगल मैप्स ने रास्ता ढूंढ़ना भले आसान कर दिया हो लेकिन कभी-कभी इस पर आंख मूंद कर भरोसा कर लेना धोखा दे सकता है। हाल ही इंडोनेशिया में गूगल मैप की सहायता से एक दूल्हा बारात लेकर लड़की वालों के यहां पहुंच तो गया, उनकी अच्छी-खासी खातिरदारी भी हुई लेकिन बाद में पता चला कि बारात वहां पहुंची ही नहीं, जहां उसे पहुंचना था। दरअसल, एक ही गांव में दो समारोह होने थे, एक शादी और एक सगाई। इसके कारण भ्रम हुआ और दूल्हे की शादी दूसरी लड़की से होते-होते बच गई। जिस लड़की की सगाई होने वाली थी, उसने बताया कि शुरू में उनके परिवार को पता नहीं चला कि जो लड़का उनके यहां आया है वह उसका होने वाला पति नहीं है। उनकी काफी खातिरदारी और उपहारों का आदान-प्रदान होने के बाद बारात के ही एक सदस्य को एहसास हुआ कि वे गलत घर में घुस आए हैं। इसके बाद पता चला कि सारी गलती तो गूगल मैप की है। इसके बाद देर तक माफियों को सिलसिला चला, लेकिन यह नहीं पता चला की उपहार वापस किए गए या नहीं।

 बाबरी पर फैसला देने वाले जज यादव बने उप लोकायुक्त

अयोध्या के बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में फैसला सुनाने वाले सीबीआइ स्पेशल कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायधीश एस.के. यादव को उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य का नया उप लोकायुक्त बनाया है। सेवानिवृत्त सीबीआइ न्यायधीश एस. के. यादव की अदालत ने 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में हुए बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले पर सुनवाई की थी। मामले पर फैसला देते हुए न्यायधीश यादव ने इस मामले में सभी 32 आरोपियों को बरी कर दिया था। बरी किए गए लोगों में भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी, भाजपा के पूर्व अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री मुरली मनोहर जोशी, मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती, उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह, भाजपा के वरिष्ठ नेता विनय कटियार समेत कुल 32 लोग शामिल थे।

 पटना में जिंदा ही मौत

बिहार के सबसे बड़े और पुराने अस्पताल पटना मेडिकल कॉलेज ऐंड हॉस्पीटल (पीएमसीएच) से अजीबोगरीब कहानियां तो वर्षों से आती रही हैं, लेकिन इस बार के अजूबे ने पिछला सब रिकॉर्ड तोड़ दिया। यहां के प्रशासन ने न सिर्फ एक जिंदा आदमी को मृत घोषित कर दिया, बल्कि उसके परिजनों को मृत्यु प्रमाणपत्र भी दे दिया। मामले का पता तब चला जब मृत घोषित किए गए व्यक्ति की पत्नी ने श्मशान घाट में एक अजनबी की लाश देखी। दरअसल, बाढ़ के रहने वाले चुन्नू कुमार को ब्रेन हेमरेज के बाद पीएमसीएच में भर्ती कराया गया था, जहां जांच के बाद उसे कोरोना पॉजिटिव पाया गया। उसके बाद मरीज से किसी को मिलने नहीं दिया गया। बाद में उनके परिजनों को सूचित किया गया कि उनकी मृत्यु हो गई है। इस सूचना के बाद शव को पैक कर परिजनों को सौंप दिया गया। अंतिम संस्कार के समय परिजनों ने मुखाग्नि देने के पहले मृतक का चेहरा दिखाने का अनुरोध किया, तो यह गड़बड़झाला सामने आया। बाद में यह भी पता चला कि जिसे अस्पताल प्रशासन ने मृत घोषित कर दिया था, वे अभी जिंदा हैं। इस घटना के कारण हुई किरकिरी के बाद पीएमसीएच के अधीक्षक ने वहां की हेल्थ मैनेजर अंजली कुमारी को बर्खास्त कर दिया है।

 

 

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