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प्रणब मुखर्जी के बेटे अभिजीत टीएमसी में हुए शामिल

प्रणब मुखर्जी के बेटे ने थामा ममता का दामन 

पश्चिम बंगाल में सियासी करवट कई स्तरों पर जारी है। हाल में पूर्व राष्ट्रपति तथा दिवंगत कांग्रेस नेता प्रणब मुखर्जी के बेटे अभिजित मुखर्जी ने कांग्रेस को छोड़ सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस का दामन थाम लिया। टीएमसी में शामिल होने के बाद अभिजित मुखर्जी ने कहा, ‘‘ममता बनर्जी ने जिस तरह भाजपा की सांप्रदायिक लहर को रोका, मुझे विश्वास है कि भविष्य में वे दूसरों के समर्थन से पूरे देश में ऐसा कर पाएंगी।’’

अभिजित के पाला बदल की वजह पहली नजर में जंगीपुर में विधानसभा उपचुनाव लगती है, जहां एक प्रत्याशी की मौत के बाद चुनाव मुल्तवी हो गए थे। मुर्शिदाबाद जिले के जंगीपुर संसदीय क्षेत्र से प्रणब मुखर्जी दो बार और अभिजित 2012 में हुए उपचुनाव और 2014 में कांग्रेस सांसद रह चुके हैं। लेकिन 2019 में वे टीएमसी के खलीलुर रहमान से हार गए थे।

हालांकि अभिजित ने तो यही कहा, ‘‘मैं एक सैनिक के रूप में तृणमूल कांग्रेस में शामिल हुआ हूं और पार्टी के निर्देशों के अनुसार काम करूंगा।’’ कयास यही लगाए जा रहे हैं कि तृणमूल उन्हें जंगीपुर उपचुनाव में अपना प्रत्याशी बना सकती है। वैसे भी, बंगाल में हालिया चुनावों में कांग्रेस और वाम मोर्चा का सफाया हो गया था और उनका जनाधार भी तृणमूल की ओर खिसकता दिखा। वहां कांग्रेस में और भी कई तरह के फेरबदल की अटकलें जारी हैं। बेशक, इससे तृणमूल और ममता को मजबूती मिलती दिख रही है। वहां पार्टी से भाजपा में गए नेताओं और जमीनी कार्यकर्ताओं की घर वापसी का सिलसिला भी जारी है। यह खासकर मुकुल रॉय और उनके बेटे शुभ्रांशु के भाजपा से तृणमूल में वापसी के बाद जोर पकड़ गया। कहा जा रहा है कि भाजपा ने इसी सिलसिले को रोकने की कोशिश में चुनाव बाद हिंसा का मुद्दा इतने जोर से उठाया। राज्यपाल जगदीश धनखड़ ने भी उन इलाकों का दौरा किया और राज्य सरकार से रिपोर्ट तलब की। इसकी जांच के लिए केंद्रीय टीम भी भेजी गई और फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में भी एक याचिका लंबित है। जहां तक कांग्रेस की बात है, तो उत्तर प्रदेश में जितिन प्रसाद के बाद अभिजित का पार्टी छोड़ना भी एक झटका है।

निमित्त मात्र हूं मैं

महामहिम की जीवनी का फंडा

राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र की जीवनी निमित्त मात्र हूं मैं विवाद का विषय बन गई। राजभवन में राज्यपाल की 80वीं वर्षगांठ पर 1 जुलाई को इसके विमोचन समारोह में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला,  मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी के अलावा राज्य के सभी 27 विश्वविद्यालयों के कुलपति भी बुलाए गए थे। कुलपतियों ने बाहर निकल कर पाया कि उनकी गाड़ी में 29 हार्डबाउंड किताबों का बंडल और उसके साथ 68,383 रु. का बिल रखा हुआ है। जब खबर उजागर हुई तो राजभवन से खंडन जारी किया गया कि राजभवन का किताब की मार्केटिंग से कोई लेनादेना नहीं है। यह पूरी तरह प्रकाशक और संस्थाओं के बीच का मामला है। राजभवन के अधिकारियों का कहना है कि राजभवन तो बस विमोचन ‘स्थल’ था और निमंत्रण पत्र इंटरनेशलन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट ऐंड आंत्रपेन्योरशिप (आइआइएमई), जयपुर ने भेजा था। कांग्रेस ने भी इस मुद्दे पर राज्यपाल से सफाई देने की मांग की है। हालांकि मुख्यमंत्री की शिरकत पर कांग्रेस में भी सवाल उठने शुरू हो गए हैं। दरअसल इस किताब में एक जगह न सिर्फ भाजपा से जुड़ने की अपील की गई है बल्कि लिखा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के समन्वय से देश के सामाजिक और आर्थिक विकास को नई गति मिली है।

तुषार मेहता

अनैतिक’ मुलाकात पर घिरे तुषार

भाजपा नेता और नारद घोटाले के आरोपी शुभेंदु अधिकारी से कथित मुलाकात ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को मुसीबत में डाल दिया है। तृणमूल कांग्रेस के तीन सांसदों, डेरेक ओ’ब्रायन, महुआ मोइत्रा और सुखेंदु शेखर रॉय ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिख कर मेहता को पद से हटाने की मांग की है। आरोप है कि वे शुभेंदु अधिकारी से 1 जुलाई को मिले, जो नारद घोटाले के आरोपी हैं। तृणमूल सांसदों ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से भी मुलाकात कर यह मांग दोहराई। हालांकि मेहता ने मुलाकात से इनकार किया है। उनका कहना है, ‘‘अधिकारी लगभग तीन बजे बिना पूर्व सूचना के मेरे कार्यालय में आए। मैं पहले से निर्धारित बैठकों में व्यस्त था। मेरे स्टाफ ने उनसे इंतजार करने को कहा। बैठक समाप्त होने पर मुझे पता चला कि अधिकारी बैठे हैं। मैंने उन्हें कहलवाया कि क्षमा करें, मैं नहीं मिल सकता। इसमें मुलाकात जैसा कुछ नहीं है।’’

राफेल सौदा जांच

फिर छिड़ा राफेल राग

राफेल विमान सौदे में कथित गड़बड़झाले का विवाद रह-रहकर सिर उठा लेता है। सुप्रीम कोर्ट के 2019 में फैसले और सीएजी की रिपोर्ट के बाद तो विवाद ठंडा पड़ गया था लेकिन फ्रांस से इस सौदे में कथित भ्रष्टाचार की खबरें रह-रहकर सुर्खियां बन जाती हैं। फ्रांस की प्रमुख जांच एजेंसी पीएनएफ ने इसकी जांच एक जज से कराने की सिफारिश की है। फ्रांस के न्यूज पोर्टल मीडियापार्ट में भ्रष्टाचार की खबरें छपने और एनजीओ शेरपा की नई शिकायत पर एजेंसी के नए प्रमुख ने जांच का फैसला किया है। मीडियापार्ट ने बताया है कि 25 मार्च 2016 को पेरिस में विमान निर्माता कंपनी दैसो के सीईओ के भारतीय कंपनी एचएएल के अधिकारियों की मौजूदगी में ऐलान किया कि सौदा आखिरी चरण में है। लेकिन अगले ही दिन दैसो का अनिल अंबानी की कंपनी से साझा उपक्रम का करार हो गया। इसके मुताबिक 95 फीसदी रकम दैसो की मगर 51 फीसदी हिस्सेदारी अंबानी की कंपनी की होगी। इसी के बाद नई जांच शुरू हुई है। 

कदमों के निशां

बीच बहस में

डॉ. हर्षवर्धन

सोशल मीडिया आज जूनून से ज्यादा जरूरत बन गया है। वक्त के साथ इसका दुरुपयोग भी बढ़ा है। कोरोना वैक्सीनेशन को लेकर कुछ भी शेयर करने से पहले सोचिए, किसने बनाया? स्रोत क्या है? कहां से आया? क्यों शेयर कर रहे हैं? कब प्रकाशित हुआ? जागरूकता फैलाएं, भ्रम नहीं!

डॉ. हर्षवर्धन, पूर्व केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री

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