डीयू पाठ्यक्रम से बाहर महाश्वेता देवी
दिल्ली विश्वविद्यालय की ओवरसाइट कमेटी ने महाश्वेता देवी सहित दो तमिल दलित लेखक बामा और सुकरितरणी की रचनाओं को बीए (ऑनर्स) के पाठ्यक्रम से हटा दिया है। महाश्वेता देवी की चर्चित कहानी, ‘द्रौपदी’ के पाठ्यक्रम से हटाए जाने के बाद विश्वविद्यालय की अकादमी परिषद के 15 सदस्यों ने अपना विरोध दर्ज कराया है। कमेटी ने सुकरितरणी के नए लेखों और बामा के नाटक, ‘संगति’ को भी हटाने की अनुशंसा की है। हालांकि विश्वविद्यालय से जुड़े शिक्षकों का मानना है कि साल 2017-2018 में लर्निंग ऑउटकम्स बेस्ड करिकुलम फ्रेमवर्क (एलओसीएफ) के तहत नई व्यवस्था में पाठ्यक्रम में संशोधन किया गया है और नया पाठ्यक्रम लाया गया है। कुछ शिक्षक इसे अलोकतांत्रिक मानते हुए विरोध कर रहे हैं। शिक्षकों का कहना है कि छात्रों को महिलाओं और दलितों से जुड़ी सामग्री से वंचित किया जाना नाइंसाफी है। कुछ शिक्षक इसे दिल्ली विश्वविद्यालय की स्वायत्तता से भी जोड़ कर देख रहे हैं। उनका कहना है कि एक तरफ डीयू की स्वायत्तता की बात की जाती है और दूसरी ओर विशेषाधिकार का उपयोग कर अचानक नई ओवरसाइट कमेटी बना दी गई। विरोध करने वाले धड़े का कहना है कि ये राजनीतिक दबाब के कारण हो रहा है।
सुप्रीम कोर्ट के नए जज
इस बार सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीशों की शपथ कई मायनों में अलग रही। सर्वोच्च न्यायालय के इतिहास में यह पहला मौका था, जब नौ जजों ने एक साथ शपथ ली। नियुक्त नौ नए न्यायाधीशों को प्रधान न्यायाधीश एन.वी. रमन ने मंगलवार को शपथ दिलाई। अमूमन नए जज प्रधान न्यायाधीश के कोर्ट रूम में ही शपथ लेते हैं। लेकिन यह पहली बार था जब इतना बड़ा शपथ समारोह हुआ और उसका डीडी न्यूज, डीडी इंडिया और वेबकास्ट पर सीधा प्रसारण किया गया। शपथ ग्रहण समारोह सर्वोच्च न्यायालय के अतिरिक्त भवन परिसर के सभागार में आयोजित किया गया था। नौ नए जजों की शपथ के बाद शीर्ष अदालत में प्रधान न्यायाधीश रमन समेत जजों की संख्या बढ़कर 33 हो गई है, जबकि स्वीकृत संख्या 34 है। यह भी पहली बार हुआ कि इन नौ नए न्यायाधीशों में तीन महिला न्यायाधीश शामिल हैं। नौ नए जजों में न्यायमूर्ति अभय श्रीनिवास ओका, न्यायमूर्ति विक्रम नाथ, न्यायमूर्ति जितेंद्र कुमार माहेश्वरी, न्यायमूर्ति हिमा कोहली, न्यायमूर्ति बी.वी. नागरत्ना, न्यायमूर्ति सी.टी. रविकुमार, न्यायमूर्ति एम.एम. सुंदरेश, न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी और पीएस नरसिंह शामिल हैं। इनमें जस्टिस नागरत्ना सितंबर 2027 में पहली महिला प्रधान न्यायाधीश बन सकती हैं। उनके साथ जस्टिस नाथ और नरसिंह भी प्रधान न्यायाधीश बनने की दौड़ में हैं।