नीतीश कुमार की मुश्किलें थमने का नाम नहीं ले रहीं। नवंबर में लगातार चौथी बार बिहार के मुख्यमंत्री बनने का गौरव हासिल करने के बाद राज्य में अपराध की निरंतर बढ़ती घटनाओं ने राज्य प्रशासन की नींद उड़ा दी है। पुलिस के आला अधिकारियों को उनके सख्त निर्देश के बावजूद क्राइम ग्रॉफ नीचे आने का नाम नहीं ले रहा है। जाहिर है, यह नीतीश के लिए आजकल न सिर्फ चिंता, बल्कि गुस्से का भी सबब है। दरअसल, अपराध नियंत्रण नीतीश के पिछले 15 साल के शासनकाल की बड़ी उपलब्धियों में से एक रहा है। 1990 और 2005 के बीच लालू प्रसाद यादव और राबड़ी देवी के कार्यकाल के दौरान बिहार में कानून-व्यवस्था इतनी लचर हो गई थी कि उन दिनों पटना हाइकोर्ट तक ने एक मामले की सुनवाई के दौरान उसकी तुलना ‘जंगल राज’ से की थी, जो बाद में राष्ट्रीय जनता दल के विरोधियों के लिए चुनाव प्रचार के दौरान सबसे बड़ा हथियार बना। भारतीय जनता पार्टी के साथ गठबंधन का नेतृत्व करते हुए नीतीश ने भी इस मुद्दे को जोरशोर से उठाया। उन्होंने बिहार में सत्ता हासिल की और अपने शासनकाल के दौरान कानून का राज फिर स्थापित करने में सफलता पाई। लेकिन अब, उनकी यही उपलब्धि उनके हाथों से फिसलती हुई लग रही है।
डीजीपी एस. के. सिंघल के साथ पुलिस हेडक्वार्टर में नीतीश
पिछले 12 जनवरी को पटना में इंडिगो एयरलाइंस के स्टेशन मैनेजर रूपेश कुमार सिंह को उनके घर के सामने मौत के घाट उतार दिया गया। यह घटना राजधानी के व्यस्ततम इलाकों में एक, पुनाईचक में उस वक्त हुई, जब वे एअरपोर्ट पर अपनी ड्यूटी समाप्त करके घर लौटे। जैसे ही उनकी गाड़ी अपार्टमेंट के गेट पर पहुंची, हत्यारों ने गोलियों की बौछार कर दी और फरार हो गए। जब तक रूपेश को पास के निजी अस्पताल पहुंचाया जाता, उनकी मृत्यु हो गई।
इस घटना ने सनसनी मचा दी। रूपेश पिछले 13 वर्षों से पटना एअरपोर्ट पर कार्यरत थे और उनकी जान-पहचान राज्य के शीर्ष नेताओं सहित आला अधिकारियों से थी। उनके परिजनों और सहकर्मियों सहित किसी को उनकी किसी से दुश्मनी की जानकारी नहीं थी। पुलिस के लिए यह एक ‘ब्लाइंड केस’ था, जिसे हल करना आसान न था। बिहार पुलिस को इस मामले में कोई सफलता या अहम सुराग नहीं मिला तो मीडियाकर्मियों ने नीतीश से इसका कारण जानना चाहा। नीतीश बहुप्रतीक्षित ‘अटल पथ’ का उद्घाटन करने पहुंचे थे। भाजपा के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नाम से पटना में बनी यह सड़क नीतीश की महत्वाकांक्षी परियोजनाओं में एक है, जिसे दो साल के अंदर ही पूरा कर लिया गया है। इससे राजधानी के व्यस्ततम इलाकों में ट्रैफिक की समस्या से निजात मिलने की उम्मीद है। ऐसे अवसर पर विकास की जगह अपराध की घटना पर मीडियाकर्मियों का सवाल नीतीश के लिए अपेक्षित न था। उन्होंने मीडिया से विकास कार्यों की तुलना अपराध के साथ न करने की गुजारिश की और कहा, “अभी जो घटना घटी है, उस पर सही तरीके से जांच की जा रही है। इस संदर्भ में हमने पुलिस महानिदेशक से बात की है। ये लोग स्पेशल टीम बनाकर कार्य कर रहे हैं।”
मुख्यमंत्री ने कहा कि पुलिस मुस्तैदी से काम कर रही है। उन्होंने लालू-राबड़ी शासनकाल के दौरान की स्थिति याद दिलाई और कहा, “2005 के पहले क्या स्थिति थी, कितनी हिंसा होती थी। पंद्रह साल के पति-पत्नी (लालू-राबड़ी) के राज में जितनी अपराध की घटनाएं होती थीं, वो किसी से छुपी नहीं हैं।”
रूपेश कुमार के रिश्तेदार के साथ तेजस्वी यादव
नीतीश के अनुसार, हर वर्ष पूरे देश के राज्यों के अपराध के आंकड़े प्रकाशित होते हैं और बिहार अभी अपराध के मामले में 23वें स्थान पर है। “इस घटना (रूपेश हत्याकांड) के दोषियों को स्पीडी ट्रायल के माध्यम से जल्द से जल्द सजा दिलाई जाएगी।”
रूपेश हत्याकांड नीतीश के वतर्मान कार्यकाल की एकमात्र बड़ी आपराधिक घटना नहीं है। पिछले दो माह में राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में कई ऐसी घटनाएं हुई हैं, जो बिहार पुलिस के लिए चुनौती लेकर आई है। राज्य सचिवालय और पुलिस मुख्यालय से महज दो-तीन किलोमीटर के दायरे में एक निजी एयरलाइंस के अधिकारी की जघन्य हत्या ने विपक्ष को नीतीश पर हमलावर होने का मौका दे दिया है। बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी प्रसाद यादव कहते हैं कि नीतीश ऐसी घटनाओं के प्रति असंवेदनशील हो गए हैं। वे पूछते हैं, “पता नहीं असंवेदनशील मुख्यमंत्री को प्रतिदिन बिहार में सैकड़ों हत्याएं और गुंडाराज होने के बावजूद नींद कैसे आती है? मुख्यमंत्रीजी से बिहार संभल नहीं रहा। वे पूर्णत: थक-हार चुके हैं। कार्यक्षमता, इच्छाशक्ति ही नहीं, संवेदनशीलता भी खत्म हो चुकी है।”
तेजस्वी ने अपने ट्वीटर हैंडल पर इस संबंध में जनहित में एक अपील भी जारी की। “कृपया सावधानीपूर्वक घर से बाहर निकलिए। बिहार की अनैतिक, असमर्थ सरकार में विधि व्यवस्था समाप्त है। सत्ता संरक्षित अपराधी कभी भी कहीं भी तांडव कर, किसी को भी लूट कर, अपहरण कर गोली मार देते हैं। बलात्कारी सरेआम मां, बहन, बेटियों के साथ सामूहिक दुष्कर्म कर रहे हैं।”
उन्होंने मुख्यमंत्री को इस संबंध में एक पत्र लिखकर कहा कि वे विधि-व्यवस्था को सुदृढ़ कर राज्यवासियों को भयमुक्त करें वरना बिहार की जनता उन्हें कभी माफ नहीं करेगी और इतिहास के फुटनोट में भी उन्हें जगह नहीं मिल पाएगी। बिहार का आम-अवाम कह रहा है कि आपके पंद्रह वर्ष के कुशासन से कहीं ज्यादा सुनहरा अतीत था। आपके अधीन गृह विभाग तो अपराध सृजन का मुख्य केंद्र है।”
तेजस्वी के आरोपों को खारिज करते हुए जद-यू का कहना है कि राजद नेता भूल गए हैं कि लालू-राबड़ी शासनकाल के दौरान बिहार में अपहरण को उद्योग का दर्जा प्राप्त था। पार्टी के प्रदेश मुख्य प्रवक्ता संजय सिंह कहते हैं, “इंजीनियर, डॉक्टर, बिजनेसमैन, किसी को भी दिनदहाड़े उठा लिया जाता था। फिरौती की रकम लेकर भी कई बंधकों को उन दिनों मार दिया गया।”
नीतीश को लिखे गए तेजस्वी के पत्र के जवाब में संजय ने कहा, “आपकी चिट्ठी पढ़ने से आपकी बेशर्मी का पता चल जाता है। आपके माता-पिता के शासनकाल को हमने नहीं, पटना हाइकोर्ट ने जंगल राज कहा था। आप लोगों के कुनबे में मोहम्मद शहाबुद्दीन, राजबल्लभ यादव और अरुण यादव जैसे लोग हैं, जिनके कारनामों से सभी वाकिफ है।”
हालांकि राज्य के पुलिस मुखिया इस बात को सिरे से नकारते हैं कि बिहार में अपराध की घटनाओं में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है। पुलिस महानिदेशक एस.के. सिंघल के अनुसार, मीडिया में राज्य में बढ़ती आपराधिक घटनाओं का तो जिक्र होता है लेकिन इसकी पुष्टि के लिए डाटा नहीं दिया जाता है। उन्होंने पत्रकारों को सलाह दी, “मैं आपको डाटा दे रहा हूं। आधी-अधूरी बात नहीं करनी चाहिए।” सिंघल कहते हैं कि बिहार में 2019 में जरूर अपराध बढ़ा था लेकिन मीडिया उसकी बात नहीं करता। वे कहते हैं, “(बिहार में) 13 करोड़ की आबादी है। हमारे राज्य की प्रत्येक आपराधिक घटना पर होने वाली कार्रवाई का रिकॉर्ड पूरे देश की तुलना में सबसे अच्छा है।”
सिंघल के दावे पर तेजस्वी कहते हैं, “बिहार के डीजीपी कह रहे हैं, मेरे कार्यकाल से अधिक अपराध पूर्व के डीजीपी के कार्यकाल में हुआ था। पिछले 16 वर्ष में अनेक डीजीपी आए-गए। पुलिस के अपने आंकड़ों के अनुसार 2008 से निरंतर अपराध में वृद्धि हुई है, लेकिन मुख्यमंत्री वही हैं।”
अपराध की घटनाओं पर विपक्ष इसलिए भी ज्यादा हमलवार हैं क्योंकि गृह विभाग पिछले 15 वर्ष से स्वयं मुख्यमंत्री के अधीन रहा है। नए कार्यकाल में भी यह विभाग उन्हीं के पास है। पिछले तीन कार्यकाल में बिहार में अपराध, खासकर बड़े संगठित अपराध की घटनाओं में उल्लेखनीय कमी हुई थी, जिसका श्रेय भी उन्हें मिला था। कांग्रेस विधायक दल के नेता अजीत शर्मा का दावा है कि नीतीश के गुस्से और बौखलाहट के पीछे उनके सहयोगी दल भाजपा द्वारा उनसे गृह विभाग की मांग है। उन्होंने कहा, “हम नीतीश से कहना चाहेंगे कि वो भाजपा के दवाब में न आएं और अगर ज्यादा परेशानी हो तो महागठबंधन के साथ आकर मिलजुल कर बिहार का विकास करें।”
शर्मा के वक्तव्य को राजद ने उनकी निजी राय बताया है, लेकिन विधि-व्यवस्था पर उठते नए सवाल बताते हैं कि सियासत में निरंतर बदलती स्थितयों के बावजूद कुछ चीजें हमेशा स्थायी ही रहती हैं।