तुर्की और सीरिया में 6 फरवरी की सुबह आफत आसमान से नहीं, पाताल से निकली। जलजले से धरती ने ऐसी करवट ली कि महज हफ्ते भर के भीतर 37,000 से ज्यादा जिंदगियों को निगल गई। इतिहास के सबसे विनाशक भूकंपों में गिने जाने वाली इस आपदा में अभी तक की जानकारी के मुताबिक, कोई छह हजार के आसपास जानें सीरिया में गईं, जबकि बाकी तुर्की में। बेशक, दुनिया भर से राहत आई और चमत्कार भी हुए। भारी बर्फबारी के बीच 13 फरवरी को जब राहत और बचाव अभियान आखिरी चरण में था, चमत्कारिक ढंग से मलबे में दबे कुछ जिंदा लोग मिले। एक बच्ची, एक बुजुर्ग महिला भी।
यह भूकंप रिक्टर पैमाने पर 7.8 तीव्रता वाला था। इस पहले झटके के नौ घंटे बाद 7.7 तीव्रता का दूसरा झटका लगा। उसके बाद से अब तक 2100 से ज्यादा छोटे-बड़े झटके लग चुके हैं। इससे पहले तुर्की के सिलिसिया में 1268 में इतना भयावह भूकंप आया था। सीरिया के अलेपो में 1822 में इतना तगड़ा झटका लगा था। पूरी दुनिया में बीते एक दशक में आए भूकंपों में यह 2010 के हैती भूकंप के बाद सबसे विनाशक साबित हुआ है। माना जा रहा है कि इस भूकंप से 84 अरब डॉलर का नुकसान हुआ है और यह चौथा सबसे नुकसानदेह भूकंप है।
जिस क्षेत्र में यह भूकंप आया है, उसे भूगर्भीय हलचलों की दृष्टि से आम तौर से शांत माना जाता है। यह अनातोलिया, अरब और अफ्रीकी प्लेटों के बीच का इलाका है जहां 6.0 से ज्यादा तीव्रता वाले केवल पांच भूकंप आज तक आए हैं। भूगर्भविज्ञान की शब्दावली में इसे अब तक का सबसे बड़ा ‘स्ट्राइक-स्लिप रप्चर’ कहा जा रहा है, जिससे धरती के भीतर 300 किलोमीटर से ज्यादा चौड़ी दरार खुल गई है। इस भयावह त्रासदी के बाद कुछ अहम घटनाएं भी हुई हैं।
जैसे, तुर्की की एक जेल में 9 फरवरी को दंगा भड़क गया। गोलीबारी में तीन कैदी मारे गए। ये कैदी भूकंप की खबर पाकर अपने परिवारों से मिलने की मांग कर रहे थे। भूकंप के चलते कुर्दिस्तान वर्कर्स पार्टी ने तुर्की की सरकार के साथ संघर्ष विराम की घोषणा की।
तुर्की में करीब एक लाख लोग जख्मी हुए हैं। इतनी भारी इंसानी तबाही की वजह उन इमारतों को माना जा रहा है जिनमें भूकंपरोधी तकनीक नहीं थी। तुर्की की सरकार ने तत्काल 1300 बिल्डरों को हिरासत में ले लिया, हालांकि इस भ्रष्टाचार के लिए राष्ट्रपति एर्दोगन को जिम्मेदार माना जा रहा है। आपदा प्रबंधन का पैसा सड़क निर्माण में लगा देने के आरोप भी उन पर हैं। तीन महीने बाद यहां चुनाव होने हैं। माना जा रहा है कि चुनाव टल भी सकते हैं।
त्रासदी की पैदाइशः सीरिया में एक पांच मंजिला इमारत के मलबे में दबी औरत ने बच्ची को जन्म दिया। अलेपो के आफरीन प्रांत में लोगों को मलबे के भीतर से बच्चे के रोने की आवाज आई थी
नाउम्मीद जिंदगीः 6 फरवरी को आए भयावह भूकंप के बाद तुर्की के मलात्या में मलबे के ढेर पर ठंड में ठिठुरते बैठे हुए लोग और दबी हुई लाशें तलाश रहे राहतकर्मी
राहत का आसराः दक्षिण-पूर्वी तुर्की के एक आश्रय स्थल पर जुटे सीरियाई राहतकर्मी। भूकंप के ठीक बाद सीरिया के राहतकर्मियों की एक टीम मोल्हाम ने इसे स्थापित किया था
दुख और डरः दक्षिणी तुर्की के काहरामनमरास में भूकंप से सबसे ज्यादा लोग मारे गए हैं। तलाशी अभियान के दौरान अपनों के बचे होने की उम्मीद और मारे जाने के डर के बीच रोती दो औरतें