तमिलनाडु की राजनीति का उसके पड़ोसी, छोटे से केंद्र शासित प्रदेश पुदुच्चेरी में बहुत कम असर होता है। बीस लाख मतदाताओं वाले इस पूर्व फ्रांसीसी उपनिवेश में कांग्रेस या उससे निकली एनआर कांग्रेस का दबदबा रहा है। इससे अधिक मतदाता तो तमिलनाडु के कई नगर निगमों में हैं। यहां भाजपा की पहली राजनीतिक चाल किरण बेदी को लेफ्टिनेंट गवर्नर नियुक्त करना था, जिनकी कांग्रेस मुख्यमंत्री वी. नारायणसामी के साथ लगातार लड़ाई चली।
आखिरकार कुछ दिनों पहले भाजपा ने आखिरी प्रहार किया। कांग्रेस के कई विधायकों के इस्तीफा देने के बाद नारायणसामी सरकार को इस्तीफा देना पड़ा और यहां राष्ट्रपति शासन लगाया गया। भाजपा को उम्मीद थी कि पूर्व पीडब्लूडी मंत्री ई. नामसिवयम को वह मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में पेश कर सकती है। लेकिन उसे यह उम्मीद नहीं थी कि उसकी सहयोगी एनआर कांग्रेस इसका विरोध करेगी। एनआर कांग्रेस के प्रमुख एन. रंगास्वामी दो बार प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। जब रंगास्वामी ने अकेले चुनाव लड़ने का फैसला किया तब जाकर भाजपा ने सुर बदला, और वह उन्हें मुख्यमंत्री का उम्मीदवार बनाने पर राजी हुई।
कांग्रेस के कमजोर पड़ने और रंगास्वामी की लोकप्रियता को देखते हुए भाजपा को लगता है कि यहां एनडीए की सरकार बन जाएगी। भाजपा पहली बार सरकार का हिस्सा बनेगी। हालांकि यहां अपना मुख्यमंत्री बनाने के लिए उसे अभी इंतजार करना पड़ेगा। तमिलनाडु के एक भाजपा नेता कहते हैं, “तमिलनाडु में बड़ा कदम रखने से पहले पुद्दुचेरी हमारे लिए रिहर्सल की तरह हो सकता है।”