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11 नवंबर 2024 · NOV 11 , 2024

मध्य प्रदेश: नशे का नया ठिकाना

कीटनाशक के नाम पर नशीली दवा बनाने वाले कारखाने का भंडाफोड़
गोरखधंधाः नशे का सामान बनाने वाली फैक्ट्री में छापा

राजधानी भोपाल के बगरोदा गांव का इंडस्ट्रियल एरिया में एक फैक्ट्री छापे के बाद से सुर्खियों में है। कीटनाशक बनाने वाली उस फैक्ट्री में कीटनाशक के बजाय नशीला पदार्थ मेफेड्रोन (एमडी) बनाया जा रहा था। चौंकाने वाला पहलू यह है कि छापे और आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद वहां काम कर रहे कर्मचारियों को पता चला कि वे कीटनाशक नहीं, बल्कि करोड़ों रुपये से भी ज्यादा मूल्य का नशीला पदार्थ बना रहे थे।

अक्टूबर की 5 तारीख को शनिवार था। उस दिन भोपाल के नजदीक बगरोदा गांव के इंडस्ट्रियल एरिया में सन्‍नाटा छाया था। दोपहर में नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) और एटीएस, गुजरात की एक संयुक्त टुकड़ी भोपाल के कटारा हिल्स पुलिस के साथ इंडस्ट्रियल एरिया में पहुंच चुकी थी। उन्‍होंने प्लॉट नंबर एफ-63 में बनी शेडनुमा फैक्ट्री को चारों तरफ से घेर कर फैक्ट्री पर छापा मारा।

एटीएस, गुजरात के डीएसपी एस.एल. चौधरी ने मीडिया को बताया कि कीटनाशक की आड़ में नशीला पदार्थ बनाए जाने की गुप्त सूचना के आधार पर छापे की रणनीति तैयार की गई थी। सूचना है कि शुरू में छापे की कार्रवाई थोड़ी देर के लिए रोकनी पड़ी थी क्‍योंकि उपकरणों और कच्चे माल के पास पहुंचते ही जांच टीम के कई सदस्यों को सांस लेने में दिक्कत होने लगी थी। दोबारा कार्रवाई शुरू करने से पहले केमिकल रेजिस्टेंट मास्क मंगवाए गए और फिर दोबारा काम शुरू हुआ। देर रात तक चले छापे में कई चौंकाने वाली जानकारियां निकल कर सामने आई हैं।

तलाशी में कुल 907.09 किलोग्राम मेफेड्रोन (ठोस और तरल दोनों रूप में) मिला। अंतरराष्ट्रीय बाजार में उसकी अनुमानित कीमत करीब लगभग 1814.18 करोड़ रुपये तक बताई जा रही है। मुख्य आरोपी सान्याल प्रकाश बाने (उम्र 40 वर्ष) और अमित चतुर्वेदी (उम्र 57 वर्ष) को गिरफ्तार करने में पुलिस को कामयाबी मिली। बाने महाराष्ट्र के नासिक का रहने वाला है और पुलिस के मुताबिक 2017 में अक्टूबर महाराष्ट्र के अंबोली पुलिस स्टेशन इलाके में एक किलो एमडी ड्रग्स के साथ गिरफ्तार किया गया था। उस मामले में उसे पांच साल की जेल भी हुई थी। जेल से बाहर आने के बाद उसने भोपाल के रहने वाले अपने दोस्त अमित चतुर्वेदी से संपर्क किया और एमडी ड्रग्स बनाने और बेचने का प्लान बनाया। जांच दल ने तीन कर्मचारियों को भी हिरासत में लिया था। लेकिन इन तीनों को जरा-सा भी एहसास नहीं था कि वे कीटनाशक के बजाय एमडी ड्रग्स तैयार करते हैं। दो दिन की पूछताछ के बाद टीम ने तीनों को छोड़ दिया।

फैक्ट्री में केमिकल की जांच करते अधिकारी

फैक्ट्री में केमिकल की जांच करते अधिकारी

बताया जा रहा है कि आरोपियों ने फैक्ट्री को छह महीने पहले ही किराये पर लिया था। नशीला पदार्थ बनाने के लिए उन्होंने आधुनिक और उच्च क्षमता वाली मशीनें और सिस्टम लगा रखे थे। इनमें ग्राइंडर, मोटर, ग्लास फ्लास्क, हीटर जैसे अन्य उपकरण भी शामिल हैं। इतना ही नहीं, पूछताछ में पता चला कि एमडी ड्रग्स बनाने के लिए पूरी मशीन खरीदने की जगह उसके पार्ट्स खरीदकर कारखाने में ही असेंबल कराया गया था, ताकि गोपनीयता बनी रहे। बताया जा रहा है कि ये मशीनें आम तौर पर रासायनिक उर्वरक बनाने के काम आती हैं। जांच एजेंसियों का अनुमान है कि मशीनरी में 40 से 50 लाख रुपये लगे होंगे।

इन उपकरणों की मदद से फैक्ट्री में रोजाना अनुमानित 25-30 किलो एमडी ड्रग्स तैयार किया जा रहा था। छापे में एमडी बनाने में इस्तेमाल किए जाने वाले उपकरण और करीब पांच हजार किलोग्राम का कच्चा माल भी मिला। एमडी ड्रग को तैयार करने में लगने वाले केमिकल और कच्चा माल खरीदने के लिए एक आरोपी के पास पहले से लाइसेंस था, इसलिए उसे आसानी से सामग्री मिल जाती थी। इसमें अधिकतर सामग्री इंदौर की केमिकल दुकानों से खरीदी जा रही थी।

बहरहाल, छापे के बाद इस मामले में अब कई अन्य पहलुओं पर खोजबीन का दौर चल रहा है। माना तो यह जा रहा है कि आने वाले समय में इस मामले में परदे के पीछे छुपे कुछ लोगों को लेकर चौंकाने वाले खुलासे हो सकते हैं। आशंका है कि इस काम से कई बड़े और रसूख वाले लोग शामिल हो सकते हैं। संभव है किसी को राजनैतिक संरक्षण भी प्राप्त हो। हालांकि इस पर राजनैतिक आरोप-प्रत्‍यारोप भी जारी है।

 

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