भाजपा आलाकमान की निगाहें क्या अब पूर्व मुख्यमंत्री तथा राज्य में पार्टी की निर्विवाद नेता वसुंधरा राजे पर ज्यादा ही तीखी होने लगी हैं? यह सवाल हाल में ‘जन आशीर्वाद यात्रा’ के दौरान केंद्रीय मंत्री तथा पार्टी के महासचिव भूपेंद्र यादव के भाषण से नए सिरे से उठ खड़ा हुआ है। भूपेंद्र यादव राजस्थान के हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की करीबी टोली के सदस्य हैं। लेकिन, वसुंधरा राजे गुट की तरफ से भी मुकाबले की पुख्ता तैयारी के संकेत उभर रहे हैं।
दरअसल, यादव ने पिछले दिनों एक रैली में कहा था, “मैं पूरे विश्वास के साथ कह रहा हूं कि 2023 में सतीश पूनिया के नेतृत्व में तीन चौथाई बहुमत से भाजपा की सरकार बनेगी और मुख्यमंत्री के चेहरे का फैसला पार्टी का संसदीय बोर्ड करेगा।” उसके बाद वसुंधरा समर्थकों की भौंहें तन गई हैं। वसुंधरा के कट्टर समर्थक, राज्य के पूर्व मंत्री भवानी सिंह राजावत आउटलुक से कहते हैं, “राज्य में तालमेल अच्छा नहीं है। लेकिन, आलाकमान को झुकना पड़ेगा। राजे की लोकप्रियता का भाजपा में कोई विकल्प नहीं है। हम सही वक्त का इंतजार कर रहे हैं। पूनिया के नेतृत्व में पार्टी का क्या हाल है, यह सभी ने उपचुनाव, पंचायत चुनाव और नगर पालिका चुनाव में देख लिया है।”
दरअसल, अरसे से राजे गुट को मलाल है कि उनकी नेता को नजरअंदाज किया जा रहा है और 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव में शायद नए चेहरे को मौका दिया जाए। इसमें प्रमुख दावेदार मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया और भूपेंद्र यादव को माना जा रहा है। यही कारण है कि यादव ने ‘जन आशीर्वाद यात्रा’ के जरिए राजनीतिक नब्ज को टटोलने की कोशिश की है। हालांकि, सतीश पूनिया का मानना है, “राज्य में मौका हर किसी को मिलना चाहिए। पार्टी का सर्वमान्य चेहरा पीएम मोदी हैं और मुख्यमंत्री कौन होगा, इसका फैसला संसदीय बोर्ड करेगा।” पूनिया कहते हैं, “अलग से किसी भी तरह का संगठन बनाने की इजाजत बिल्कुल नहीं है।”
वसुंधरा राजे के खिलाफ राज्य पार्टी में हलचलें बढ़ीं तो उसे आलाकमान की पकड़ बनाने की कोशिश माना गया
लेकिन, राजे समर्थकों ने अब ‘टीम वसुंधरा’ नाम से संगठन बनाने शुरू कर दिए हैं। छोटे-छोटे स्तर पर कार्यालय खोलकर राजे के पक्ष में अभी से माहौल तैयार किया जा रहा है। जनवरी में भी ‘वसुंधरा राजे समर्थक राजस्थान मंच’ के गठन का ऐलान किया गया था। तब आउटलुक से पूनिया ने कहा था, “ये तीर-कमान सोशल मीडिया पर ही चल रहे हैं। संगठन में शामिल कार्यकर्ता भाजपा के नहीं है।” लेकिन, अब ‘टीम वसुंधरा’ ने पार्टी के भीतर की कलह को उजागर कर दिया है। राज्य भाजपा ने इसे संगठन विरोधी गतिविधि बताते हुए प्रदेश प्रभारी अरुण सिंह को रिपोर्ट भेजी है। लेकिन राजावत कहते हैं, “अरुण सिंह जानते हैं कि शक्ति किसके पास है। उम्मीद है, दिल्ली इस बात को जल्द समझेगी।”
पूर्व मंत्री रोहिताश शर्मा ने तो बीते दिनों मंच से ही वसुंधरा राजे को अगला सीएम उम्मीदवार घोषित कर दिया। भाजपा से निष्कासित और राजे के कट्टर समर्थक शर्मा ने अपने जन्मदिन पर जुटी भारी भीड़ के सामने अलवर के बानसूर से ‘मिशन वसुंधरा राजे 2023’ का ऐलान कर दिया। शर्मा को इसी साल जुलाई में पार्टी विरोधी बयान देने के आरोप में 6 साल के लिए निष्कासित कर दिया गया था। शर्मा ने कहा था, “पार्टी के प्रदेश नेता कार्यालय में बैठकर पार्टी चला रहे हैं, वे गांवों में नहीं जा रहे हैं।” उन्होंने तीन सीटों पर हुए उपचुनाव में से दो पर मिली हार के लिए पूनिया को जिम्मेदार ठहराया था।
भाजपा में राजे और पूनिया के समर्थक पोस्टर से एक दूसरे की तस्वीर हटा रहे हैं। पहले पार्टी कार्यालय के बाहर लगे पोस्टर से वसुंधरा को गायब कर दिया गया। उसके बाद वसुंधरा समर्थकों ने राजे के पोस्टर से पूनिया को गायब कर दिया। इस विवाद पर पहली बार खुद वसुधंरा राजे ने झालावाड़ में चुप्पी तोड़ी और कहा, “मेरे लिए सबसे बड़ी बात यह है कि लोग मुझे याद करते हैं। पोस्टर क्या करेगा मेरा?”
अब राजे समर्थकों ने ऐलान कर रखा है कि “दिल्ली में मोदी हैं तो जयपुर में वसुंधरा।” राज्य में मेवाड़ इलाके की वल्लभनगर और धरियावाद में कुछ दिनों बाद चुनाव होने हैं। यहां भाजपा हारती है तो राजे समर्थकों को मौका पूनिया के खिलाफ एक और मिल सकता है।