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24 जून 2024 · JUN 24 , 2024

जनादेश ’24 /हरियाणा: असली परीक्षा बाकी

भाजपा के लिए अभी चुनौतियां बहुत, चार महीने बाद विधानसभा चुनाव के परिणाम तय करेंगे पार्टी की ताकत
मनोहर लाल खट्टर

हरियाणा में लोकसभा की 10 में से पांच सीटों पर मजबूत जीत के साथ कांग्रेस ने चार महीने बाद होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए कमर कस ली है। गुटबाजी, भितरघात, संगठन और संसधनों के अभाव जैसी चुनौतियों के बीच कांग्रेस को हरियाणा में एक दशक बाद इस जीत से संजीवनी मिली है। भाजपा ने पांच सीटों पर जीत दर्ज की है। फूट के शिकार देवीलाल परिवार की इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) और जननायक जनता पार्टी (जजपा) को मतदाताओं ने हरियाणा के सियासी पटल के हाशिये पर धकेल दिया है। परिवार के चार सदस्यों में से एक भी नहीं जीता जबकि तीन जमानत भी नहीं बचा पाए।

पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा का गढ़ रही रोहतक सीट पर उनके राज्यसभा सांसद पुत्र दीपेंद्र हुड्डा ने भाजपा के मौजूदा सांसद अरविंद शर्मा को 3.45 लाख मतों से हराया। हरियाणा में दूसरी बड़ी जीत भी कांग्रेस के नाम है। सिरसा से कुमारी सैलजा ने भाजपा के अशोक तंवर को 2.68 लाख मतों के अंतर से हराया है। 2019 के लोकसभा चुनाव में इसी सीट पर कांग्रेस के उम्मीदवार रहे तंवर ने भाजपा की सुनीता दुग्गल से हार के बाद न केवल हरियाणा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद छोड़ा था बल्कि कांग्रेस से भी किनारा कर लिया था। तीसरी बड़ी जीत पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने करनाल से दर्ज की है। खट्टर ने कांग्रेस के युवा उम्मीदवार दिव्यांशु बुद्धिराजा को 2.32 लाख मतों की मात देकर मजबूत जीत दर्ज की है। उनके सियासी शिष्य मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी भी इसी सीट पर विधानसभा का उपचुनाव जीतने में सफल रहे। चुनाव नतीजों से पहले इस लोकसभा क्षेत्र को लेकर सियासी हलकों में कांग्रेसियों ने ही पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर आरोप लगाए थे कि मनोहर लाल के मुकाबले जान-बूझ कर बुद्धिराजा जैसा अनुभवहीन उम्मीदवार उतार कर भाजपा की जीत आसान की है।

करनाल सीट से मुख्यमंत्री नायब सैनी की जीत के साथ विधानसभा में  भाजपा विधायकों की संख्या 41 हो गई है। अल्पमत की नायब सरकार को बहुमत के लिए छह और विधायकों का समर्थन चाहिए। लोकसभा चुनाव से एक महीना पहले जजपा से गठबंधन तोड़ने के बाद भाजपा की नायब सिंह सैनी सरकार तीन निर्दलियों के समर्थन वापसी व एक निर्दलीय विधायक राकेश दौलताबाद की मृत्यु के बाद अल्पमत में है। हरियाणा लोकहित पार्टी के विधायक गोपाल कांडा और एक निर्दलीय विधायक नयन पाल रावत के समर्थन के बावजूद भाजपा को सरकार बचाने के लिए एक और निर्दलीय के समर्थन की दरकार है।

दीपेंद्र हुड्डा

दीपेंद्र हुड्डा

चौथी बड़ी जीत फरीदाबाद से भाजपा के कृष्णपाल गुर्जर ने दर्ज की है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता महेंद्र प्रताप को 1.72 लाख मतों के अंतर से हराकर गुर्जर ने लगातार तीसरी बार फरीदाबाद सीट अपने नाम की है। मोदी सरकार के दोनों कार्यकाल में मंत्री रहे गुर्जर का प्रदर्शन तीसरी बार भी उन्हें मंत्रीमंडल में स्थान दिलवा सकता है।

पांचवीं बड़ी विजय भी मोदी सरकार में लगातार दो बार के मंत्री रहे गुरुग्राम से चार बार के सांसद राव इंद्रजीत सिंह के नाम है। राव ने कांग्रेस के राज बब्बर को 75,079 मतों से हराकर लगातार तीसरी बार यह सीट अपने नाम की है। भूपेंद्र सिंह हुड्डा की सिफारिश पर उत्तर प्रदेश से हटाकर गुरुग्राम के चुनावी मैदान में उतारे गए राज बब्बर पर यहां के लिए बाहरी होना भारी पड़ा। टिकट कटने से नाराज कैप्टन अजय यादव खेमे की नाराजगी भी बब्बर की जीत में रोड़ा बनी।

हिसार सीट पर भारी विरोध के बावजूद हुड्डा समर्थक जयप्रकाश जेपी ने भाजपा के रणजीत चौटाला को 63,381 वोटों से हराकर तमाम विरोधियों के मुंह बंद किए हैं। 20 साल बाद कांग्रेस ने इस सीट पर जीत दर्ज की है। इससे पहले भी 2004 में जेपी ही इस सीट से कांग्रेस के सांसद चुने गए थे। इस सीट से जननायक जनता पार्टी की उम्मीदवार एवं पूर्व उप-मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला की मां नैना चौटाला और इनेलो की सुनैना चौटाला की जमानत जब्त हुई है। इस सीट से निवर्तमान भाजपा सांसद बृजेंद्र सिंह कांग्रेस की टिकट की चाह में अपने पिता बीरेंद्र सिंह के साथ भाजपा छोड़ कांग्रेस में शामिल हुए पर टिकट न मिलने की नाराजगी के चलते पिता-पुत्र ने चुनाव प्रचार से दूरी बनाए रखी। 

अंबाला से लगातार दो बार के सांसद रहे रतन लाल कटारिया की मौत के बाद इस बार चुनाव में उतरी उनकी पत्नी बंतो कटारिया को मुलाना से कांग्रेस के पहली बार के विधायक वरुण चौधरी मुलाना ने 49,036 मतों से हराकर संसद की राह पकड़ी है। लोकसभा चुनाव से ठीक पहले भाजपा में शामिल हुए कुरुक्षेत्र से दो बार के सांसद रहे उद्योगपति नवीन जिंदल ने आप के सुशील गुप्ता को 29,000 मतों से हराया। इंडिया गठबंधन के तहत कांग्रेस ने यह सीट आप के लिए छोड़ी थी। यहां इनेलो के राष्ट्रीय प्रधान महासचिव अभय चौटाला को 78,000 मत मिले।

अहीर बहुल भिवानी-महेंद्रगढ़ सीट पर कांग्रेस का अहीर समीकरण ठीक नहीं बैठ पाया। इस सीट से भाजपा के दो बार के सांसद धर्मवीर ने कांग्रेस के राव दान सिंह को 41,510 वोटों से हराकर कांग्रेस के तमाम समीकरणों को ध्वस्त कर दिया।

सोनीपत पर भाजपा के ब्राह्राण चेहरे मोहन लाल बडोली के मुकाबले कांग्रेस को उत्तराखंड के हरिद्वार से लाए गए ब्राह्मण सतपाल ब्रह्मचारी को उतारा था। ब्रह्मचारी ने बडोली पर 21,816 मतों से जीत दर्ज की।   चंडीगढ़ भी एक दशक के बाद कांग्रेस के हाथ लगा है। कांग्रेस ने यहां से तीन बार के सांसद पवन बंसल की टिकट काट मनीष तिवारी पर दांव लगाया पर इंडिया गठबंधन के तहत आप के समर्थन से लड़ी गई इस सीट पर कांटे की टक्कर में तिवारी ने भाजपा के संजय टंडन को 2504 मतों से पराजित किया।

चार महीने बाद विधानसभा चुनाव में बराबर की जीत बरकरार रखना भाजपा के लिए कांग्रेस की तुलना में बड़ी चुनौती है क्योंकि दस साल की सत्ता के बाद इनकंबेंसी फैक्टर के अलावा किसान आंदोलन, बेरोजगारी और केंद्र की अग्निवीर योजना भाजपा के गले की फांस बनी है।

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