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6 मार्च 2023 · MAR 06 , 2023

शहरनामा/भागलपुर

अच्छे भाग्य के शहर की सैर
यादों में शहर

अच्छे भाग्य का शहर

यकीन मानिए, आप बिहार के भागलपुर में हैं, तो आप अत्यंत सौभाग्यशाली शहर में हैं। भागलपुर प्राचीनतम शहर है, जिसका पुराना नाम ‘भगदत्तपुरम’ था। यानी ‘अच्छे भाग्य का शहर।’ भागलपुर का जिक्र रामायण और महाभारत में भी वर्णित है। महाभारत काल में इसका नाम चंपा था और यह दानवीर कर्ण की राजधानी थी। यही कारण है कि दान देने में अभी भी भगलपुरवासियों का कोई जोड़ नहीं है।

ईसा पूर्व 770 में यह अंग प्रदेश की राजधानी थी। चूंकि यह गंगा नदी के किनारे स्थित थी, इसलिए व्यापार भी चरम सीमा पर था, क्योंकि उस वक्त व्यापार गंगा नदी के रास्ते ही होता था। यहीं पर विश्व प्रसिद्ध विक्रमशिला विश्वविद्यालय के अवशेष मिले हैं, जिसे नौवीं शताब्दी में पाल वंश के शासक धर्मपाल ने स्थापित किया था। यहां के सुल्तानगंज में प्रसिद्ध अजगैबीनाथ का मंदिर हैं। यहां से कांवड़िये भगवान शिव को अर्पित करने के लिए गंगाजल लेकर बैद्यनाथ धाम और बासुकीनाथ की पैदल यात्रा करते हैं। 

मंदार पर्वत का अमृत काल

विष्णु पुराण की बात करें तो मंदार पर्वत यहां से 43 किलोमीटर की दूरी पर है, जिसको मथनी बनाकर सागर मथा गया था और अमृत की प्राप्ति हुई थी। अभी भी मंदार पर्वत और वासुकी नाग, जिसे मथनी के रूप में प्रयोग किया गया था, देखा जा सकता है। 800 फीट की ऊंचाई वाला यह पर्वत बहुत ही रमणीय स्थल है और इस पर प्राचीन काल की मूर्तियों को देखा जा सकता है। इस पर्वत के नीचे पाप हरणी है। कहावत है कि इस तालाब में स्नान करने से सारे पापों से मुक्ति मिल जाती है। नजदीक ही मधुसूदन भगवान का मंदिर है, जिसमें उनकी काले पत्थर की मनोहारी प्रतिमा विराजमान है।

सिल्क नगर 

भागलपुर शहर के नजदीक चंपानगर है। यह भी एक प्राचीन शहर है, जहां जैन संप्रदाय के 13 वें तीर्थंकर भगवान वासुपूज्य की तीर्थस्थली है। कहते हैं कि चंपानगर एकमात्र जैनियों की तीर्थस्थली है, जहां भगवान वासुपूज्य का जन्म, ज्ञान और मोक्ष तीनों हुआ है। यहां एक भव्य और आलीशान जैन मंदिर है, जहां पूरी दुनिया से तीर्थयात्री आते हैं। चंपानगर पूरी दुनिया में सिल्क के लिए भी प्रसिद्ध है। यहां रेशमी धागे से सिल्क कपड़ा बनते देखा जा सकता है। यहां से मनचाही सिल्क साड़ी और कपड़े खरीद सकते हैं।

कतरनी की खुशबू

भागलपुर शहर खानपान को लेकर भी बहुत मशहूर है। सुबह नाश्ते की शुरुआत आदमपुर चौक पर स्थित बंगाली बाबू की जलेबी, कचौरी से कीजिए। कहा जाता है कि यह अंग्रेजों के समय से ही है और तबसे इसके स्वाद में कोई परिवर्तन नहीं हुआ है। बनारसी चाय वाले की चाय और बाबूलाल कुल्फी वाले की लस्सी और कुल्फी। सच कहूं तो इनकी लस्सी आपको बनारस शहर की जरूर याद दिला देगी। इन सब के अलावे भी पूरे शहर में तमाम छोटे-बड़े रेस्तरां खुले हुए हैं, जो आपकी खाने की हर जरूरत को पूरा करते हैं। चाहे शुद्ध राजस्थानी खाना हो या दक्षिण भारतीय या फिर मांसाहारी भोजन। सब तरह के रेस्टोरेंट आपको शहर में मिल जाएंगे। और हां, यहां का कतरनी चूड़ा और चावल, साहिब एक बार आप खा लें तो सौं रब दी! आपने चाहे लाख बासमती चावल खाएं हों, मुंह में कतरनी की खुशबू ही छाई रहेगी। अब तो हमारे कतरनी चूड़ा और चावल को वैश्विक पहचान भी मिल गई है और विश्व स्तर पर इसकी मांग है।

जर्दालु आम की मिठास

वैसे तो हमारी भूमि पर सौ से ज्यादा आम की वैरायटी हैं, लेकिन ऐसे बंधु जो मधुमेह की बीमारी से गुजर रहें हैं और जिनकी लालसा आम खाने की है, उनके लिए भी जनाब हमारे भागलपुर में ताजा और रसीले जर्दालू आम हैं।

डॉल्फिन की अठखेलियां

भागलपुर पूरे विश्व में एकमात्र ऐसा शहर है, जिसके मीठे पानी में डॉल्फिन पाई जाती है। सुबह और शाम नाव किराए पर लेकर गंगा नदी की सैर करते हुए डॉल्फिन को अठखेलियां करते हुए देख सकते हैं। साथ ही गंगा नदी के किनारे पर आपको विभिन्न प्रजातियों की चिड़िया के दर्शन भी हो सकते हैं। गंगा नदी के किनारे पर ही विश्व प्रसिद्ध कुप्पाघाट और इसकी गुफाएं हैं, जो भीतर ही भीतर मुंगेर तक जाती हैं। कुप्पा घाट बहुत ही पवित्र और रमणीक स्थल है जिसे परम पूज्य महर्षि मेंही द्वारा बनाया गया था। यहां पर बैठकर समाधि में लीन हो सकते हैं या फिर घाट किनारे गंगा नदी की कलकल का आनंद ले सकते हैं।

दादा मोनी, किशोर दा और शरत बाबू!

भागलपुर शहर देवदास के रचयिता शरद चंद्र चट्टोपाध्याय का शहर है, जहां शरद चंद्र ने अपनी जवानी के कई वर्ष बिताए थे। मशहूर अभिनेता अशोक कुमार और मशहूर गायक किशोर कुमार का यह ननिहाल है, जहां आज भी उनके वंशज रहते हैं। सच कहूं तो मेरे पास अपने प्यारे शहर भागलपुर के लिए लिखने के लिए इतना कुछ है कि मैं इस पर पूरा ग्रंथ लिख सकता हूं। लेकिन यह शहर पढ़ने से ज्यादा देखने का है। यहां की मिट्टी की सौंधी खुशबू हर एक को यहां खींच लाती है। एक बार जरूर भागलपुर पधारिए।

प्रदीप कुमार झुनझुनवाला

(कवि, यात्रा वृतांत लेखक)

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