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शहरनामाः इटारसी

ईंटा और रस्सी का गांव
यादों में शहर

ईंटा और रस्सी

बनने से पहले हर जगह गांव ही होती है, सो यह भी गांव ही था। तब यहां मिट्टी से ईंटें बनाने का काम जोरों पर किया जाता था। आसपास सैंकड़ों ईंट के भट्टे हुआ करते थे, जो लगातार सुलगते रहते थे। ईंट भट्टे इतने थे कि इटारसी से लगा हुआ एक गांव आज भी ‘नागपुर भट्टा’ के नाम से मौजूद है। दूसरा यहां बहुतायत में रस्सी बनाई जाती थी। रस्सी बनाकर बेचना लोगों का आजीविका का साधन था। इस तरह ईंटा और रस्सी का गांव बन गया, इटारसी नगर।

रेल की रेलमपेल

मध्य प्रदेश का सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण जंक्शन है, इटारसी रेलवे स्टेशन। देश के किसी भी शहर जाने के लिए यहां से रेल मिलेगी ही मिलेगी। 24 घंटे में इटारसी स्टेशन पर 250 से ज्यादा रेलगाड़ी आती-जाती हैं। भारतेंदु हरिश्चंद्र भी इलाहबाद से इटारसी स्टेशन आ चुके हैं। दिलचस्प तो यह कि वरिष्ठ लेखक और सरस्वती पत्रिका के संपादक महावीर प्रसाद द्ववेदी तो इस स्टेशन पर तार बाबू के रूप में पदस्थ रह चुके हैं।

गुदड़ी के लाल

साहित्यकार विनय कुमार भारती, अल्प आयु में ही इतने प्रसिद्ध हो गए थे कि माखनलाल चतुर्वेदी, मुक्तिबोध, पुरुषोत्तम दास टंडन और राष्ट्रपति पद पर रहते हुए डॉ. राजेन्द्र प्रसाद विनय भारती से मिलने इटारसी आ चुके हैं। भारती जी के गीतों की गूंज पूरे देश में थी। यही कारण है निराला रचनावली में भारती जी का उल्लेख मिलता है। अपने व्यंग्यों के लिए प्रसिद्ध हरिशंकर परसाई का जन्म स्थान भी यहां से महज 12 कि.मी. दूरी ग्राम जमानी का है। 

नर्मदा जयंती

केवल 17 किलोमीटर की दूरी पर नर्मदापुरम जिला (पुराना नाम होशंगाबाद) मुख्यालय है। यहां हर साल बड़े पैमाने पर नर्मदा जयंती का पर्व मनाया जाता है। नर्मदा नदी की बीच धारा में, नाव के ऊपर मंच बनाया जाता है। हजारों की संख्या में श्रद्धालु दीपदान करते हैं, जिसकी रोशनी से प्रसिद्ध सेठानी घाट जगमगा उठता है। दशकों पूर्व यह जगह बौद्धिक विरासत के रूप में, पहचान बना रही थी। नर्मदा के जल मंच से महादेवी वर्मा ऐतिहासिक भाषण दे चुकी हैं। अब केवल जल मंच पर मुख्यमंत्री या मंत्रियों के ही भाषण से कार्यक्रम की इतिश्री हो जाती है।

अधूरा संगम

चार-पांच किलोमीटर की दूरी पर बांद्राभान स्थल है। यहां नर्मदा नदी में सतपुड़ा के पहाड़ों से निकलने वाली तवा नदी संगम करती है। दोनों नदी के मिलने के बाद भी बहुत दूर तक, दोनों नदियों की अलग धाराओं को देखा जा सकता है  पानी का रंग भी दोनों का अलग दिखाई देता है। इसी कारण एक लोककथा प्रचलित है कि, तवा पुरुष रूप का नद है, जिसने नर्मदा से मिलते समय उससे विवाह का प्रस्ताव रखा था लेकिन नर्मदा ने तवा के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया।   

शेर देखो

नर्मदापुरम जिले में और इटारसी से लगभग 40 किलोमीटर की दूरी पर मढ़ई टाइगर रिजर्व जंगल सफारी है। यहां पर्यटकों को जंगल के अंदर टाइगर, जंगली भैंस, (बायसन) हिरन, भालू, नीलगाय, जंगली कुत्ते,  लोमड़ी, जंगली सुअर, बंदर और अनेक प्रकार के पक्षी देखने को मिल जाएंगे। 

आयुध कारखाना

इटारसी अब एक लाख की जनसंख्या से अधिक का नगर बन चुका है। कृषि आज भी इटारसी की रीढ़ है। परंतु रेलवे का बड़ा जंक्शन होने के नाते यहां वर्षों पहले ही, भीलाखेड़ी रेलवे यार्ड का विकास किया गया है। इसी तरह पच्चीस वर्ष पूर्व तवा तथा सतपुड़ा के पास कुछ गांवों को विस्थापित कर, ‘आयुध निर्माण’ की स्थापना की गई। यहां थल सेना एवं वायु सेना के लिए मिसाइलों के प्रोपलेंट बनते हैं। पिनाक और नाग मिसाइल पर यहां काम हुआ है। भारतीय सेना में उपयोग होने वाला गोला, बारूद, टैंक और आधुनिक हथियारों का निर्माण करने वाली आयुध निर्माण के उत्पादन तब तक सेना उपयोग नहीं करती, जब तक केंद्रीय परीक्षण संस्थान, इटारसी की अंतिम मोहर नहीं लग जाती। एशिया का सबसे बड़ा प्रूफ रेंज सीपीई इटारसी के नजदीक है। यहां 9 वज्र, टी-90 टैंक, धनुष, सारंग जैसी गन की गुणवत्ता परीक्षण होता है। पोखरण में उपयोग हुए पिनाक राकेट का परीक्षण भी यहीं हुआ है।

खेल नर्सरी

इटारसी खेल की नर्सरी भी रही है। विशेषकर हॉकी के खेल में वर्षों से यहां बच्चों की रुचि रही है। उन्हें निरंतर प्रोत्साहन तथा प्रशिक्षण मिलता रहा है। सीलोन और बर्मा जैसे देशों की हॉकी टीम इटारसी के मैदान पर खेल चुकी है। पिछले वर्ष के ओलंपिक में इटारसी के खिलाड़ी विवेक सागर ने एक गोल किया था, जिससे भारतीय टीम विजयी रही थी। इस वर्ष भी ओलंपिक में विवेक सागर उपकप्तान के रूप में शामिल हुए थे।

डॉ. श्रीराम

(निवारिया सेवानिवृत्त प्राध्यापक तथा कवि)

 

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