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शहरनामाः सारण

गंगा, गंडक और घाघरा से घिरा शहर
यादों में शहर

हिरण वन

सारण बिहार का एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और पर्यटन स्थल है। तीन नदियों गंगा, गंडक और घाघरा से घिरे इस शहर के नाम में ही इतिहास और संस्कृति की झलक है। सारण सारंग अरण्य या सारंग वन का अपभ्रंस माना जाता है, जिसका अर्थ है ‘हिरण का वन।’ इसके नाम से अनेक कथाएं, घटनाएं और पहचान जुड़ी हुई है।

 समृद्ध इतिहास

यह जिला इतिहास के विभिन्न युगों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता आया है। मौर्य और गुप्त काल से लेकर मुगल और अंग्रेजी शासन तक, इस जिले ने विभिन्न शासकों का प्रभाव देखा है। इसका उल्लेख प्राचीन ग्रंथों में भी मिलता है, जो इसके ऐतिहासिक महत्व को और भी उजागर करता है। इसका 1857 के स्वतंत्रता संग्राम का उल्लेखनीय स्थान है। इस संघर्ष में सारण के क्रांतिकारियों ने अद्वितीय साहस और बलिदान का परिचय दिया। स्वतंत्रता संग्राम के बाद, सारण जिले ने स्वतंत्र भारत में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, विशेष रूप से कृषि, शिक्षा और सामाजिक सुधार के क्षेत्रों में।

भोजपुरी संस्कृति

यहां की संस्कृति उसके ऐतिहासिक धरोहर, लोक कला, संगीत, नृत्य, और धार्मिक मान्यताओं में रची-बसी है। यहां भोजपुरी भाषा और संगीत का विशेष स्थान है। लोग अपनी संस्कृति से अत्यधिक जुड़े हुए हैं और सांस्कृतिक धरोहर को संजोए रखने में उनका योगदान अद्वितीय है। यहां की धार्मिक मान्यताओं में वैष्णव, शैव और बौद्ध धर्म का प्रभाव स्पष्ट रूप से दिखाई देता है। छठ पूजा यहां का प्रमुख त्योहार है। यहां की लोक परंपराओं में गीत, नृत्य और नाटकों का विशेष महत्व है। भोजपुरी गीत-संगीत और नाट्य कला यहां की संस्कृति का हिस्सा हैं।

पुरातात्विक महत्व

चिरांद प्रमुख पुरातात्विक स्थल है, जो छपरा जिले में स्थित है। यह मानव सभ्यता के प्रारंभिक काल से जुड़ा हुआ है और यहां की खुदाई में प्राप्त हुए अवशेष इस क्षेत्र के प्राचीन इतिहास की गवाही देते हैं। यहां से प्राप्त होने वाले प्राचीन अवशेषों में मिट्टी के बर्तन, धातु के उपकरण और अन्य वस्तुएं शामिल हैं, जो लगभग 2500 ईसा पूर्व की हैं।

सोनपुर मेला

सोनपुर मेला, जिसे हरिहर क्षेत्र मेला भी कहा जाता है, दुनिया के सबसे बड़े पशु मेलों में एक है। यह मेला छपरा जिले के सोनपुर में गंगा और घाघरा नदियों के संगम पर लगता है। हर साल कार्तिक पूर्णिमा के समय यहां लाखों लोग देश और विदेश से आते हैं। इस मेले में हाथियों, घोड़ों, और अन्य पशुओं का व्यापार होता है और यह मेला सांस्कृतिक गतिविधियों, प्रदर्शनियों और धार्मिक कार्यक्रमों के लिए भी जाना जाता है। सोनपुर मेला छपरा जिले की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर का प्रतिनिधित्व करता है।

आश्रम भी, मंदिर भी

गौतम ऋषि आश्रम छपरा जिले के रिविलगंज ब्लॉक के चिरांद गांव में स्थित है। यह पौराणिक महर्षि गौतम का तपस्थली माना जाता है। यह भक्तों और इतिहास प्रेमियों के लिए एक महत्वपूर्ण स्थल है। यहां महर्षि गौतम की प्रतिमा और अन्य पवित्र स्थलों का दर्शन किया जा सकता है। यहीं है आमी देवी मंदिर। इसे मां दुर्गा का निवास माना जाता है। यहां प्रति वर्ष नवरात्रि के समय लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। यहीं पर पास में ही लहलादपुर प्रखंड के जनता बाजार में महाधिदेव महादेव का श्री ढोंढनाथ मंदिर है। मंदिर के उत्तरी छोर पर गंडकी नदी बहती है। इसी गंडकी नदी से सत्रहवीं शताब्दी में शिवलिंग की प्राप्ति हुई थी। कहते हैं, चौदहवीं शताब्दी में ही मंदिर को विदेशी आक्रांताओं ने ध्वस्त कर दिया था, जिसके अवशेष सत्रहवीं शताब्दी में गंडकी नदी से प्राप्त हुआ था। वर्तमान में यह मंदिर 74 फुट ऊंचा है।

सांस्कृतिक धरोहर का संग्रहालय

छपरा शहर में स्थित यह प्रमुख संग्रहालय है, जिसमें जिले के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर का प्रदर्शन किया गया है। यहां विभिन्न प्रकार की प्राचीन वस्तुएं, मूर्तियां, और अन्य ऐतिहासिक वस्तुएं संग्रहित की गई हैं, जो छपरा और आसपास के क्षेत्र के इतिहास को समझने में मदद करती हैं। यह संग्रहालय छात्रों, शोधकर्ताओं और इतिहास प्रेमियों के लिए एक महत्वपूर्ण स्थल है।

गंगा नदी के किनारे

छपरा जिले के विभिन्न स्थानों से गंगा नदी का अद्भुत दृश्य देखा जा सकता है। यह नदी न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व रखती है, बल्कि इसके किनारे की प्राकृतिक सुंदरता भी पर्यटकों को आकर्षित करती है। शाम के समय गंगा आरती विशेष रूप से ध्यान आकर्षित करती है। यहां के गंगा घाट धार्मिक कार्यक्रमों के साथ-साथ पर्यटन के लिए भी प्रसिद्ध हैं।

यहां की सांस्कृतिक धरोहर, ऐतिहासिक घटनाएं, धार्मिक स्थल और प्राकृतिक सौंदर्य इसे एक विशिष्ट पहचान देते हैं। इसके प्रमुख पर्यटन स्थल, जैसे सोनपुर मेला, आमी देवी का मंदिर और गौतम स्थान, इसे धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण बनाते हैं। सारण की यह विशिष्टता ही इसे बिहार के अन्य जिलों से अलग करती है और इसे एक प्रमुख पर्यटन स्थल के रूप में प्रतिष्ठित करती है।

नृपेन्द्र अभिषेक नृप

(युवा लेखक और शोधार्थी)

 

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