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27 नवंबर 2023 · NOV 27 , 2023

शहरनामा/सोनपुर

पौराणिक हरिहर नाथ मंदिर और कालीघाट की ऐतिहासिकता
पशु मेेले के लिए प्रसिद्ध शहर

पौराणिकता के साथ आधुनिकता 

पटना से लगभग 25 किलोमीटर दूर सोनपुर नाम की एक नगर पंचायत है। बिहार राज्य के सारण जिले में स्थित, यह शहर गंगा और गंडक के संगम पर बसा हुआ है। सोनपुर शहर पौराणिक हरिहर नाथ मंदिर और कालीघाट के साथ अपने ऐतिहासिक सोनपुर मेला के साथ पवित्र गंगा और गंडक की आरती के लिए देश-विदेश में प्रसिद्ध है। सोनपुर मौर्य काल से ही अपनी उपयोगिता दर्ज कराता रहा है। सोनपुर एशिया के सबसे बड़े पशु मेले के लिए विश्व विख्यात है। इसके अलावा एशिया का सबसे बड़ा, महात्मा गांधी सेतु भी इसी क्षेत्र में है। यह पुल सोनपुर को सीधे पटना से जोड़ता है। इसी सोनपुर शहर की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इस आधुनिकता और वैश्वीकरण के युग में भी यह शहर अपनी पौराणिकता, ऐतिहासिकता की संस्कृति को बचाए हुए है।

बाबा हरिहर नाथ मंदिर

सोनपुर की एक पहचान हरिहर नाथ मंदिर से भी है। इसके बारे में मान्यता है कि भगवान श्रीराम ने खुद इस मंदिर की स्थापना की थी। एक और मान्यता यह है कि ब्रह्मा ने शिव और वैष्णव संप्रदाय को एक-दूसरे को नजदीक लाने के लिए इस मंदिर का निर्माण कराया था। शायद इसलिए बाबा हरिहर नाथ मंदिर ऐसा शिवालय है, जिसके आधे भाग में शिव (हर) और आधे भाग में विष्णु (हरि) की आकृति मौजूद है। हरिहर नाथ मंदिर का जुड़ाव गज-ग्राह कहानी से भी है, जिसका प्रमाण पुराण कथा से भी मिलता है। वैसे तो हरिहर नाथ मंदिर में हमेशा चहल-पहल रहती है लेकिन सावन के महीने में यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। बाबा हरिहर नाथ मंदिर सोनपुर का सबसे प्रमुख और प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है।

पशुओं का भी मेला

जब मेले की बात आती है, तो हमारे जुबां पर पुष्कर मेला, सूरजकुंड मेला का नाम आ जाता है। लेकिन सोनपुर पशु मेला के आगे यह सारे मेले फीके नजर आते हैं। सोनपुर पशु मेला एशिया का सबसे बड़ा पशु मेला है। सोनपुर मेले की शुरुआत चौथी शताब्दी ईसा पूर्व में हुई थी। समय चाहे राजा चंद्रगुप्त मौर्य का रहा हो या फिर मुगल काल का। इन सभी काल में विभिन्न प्रकार के हाथी तथा दूसरे पशुओं को बड़े पैमाने पर इस मेले से खरीदा जाता था। लंबे समय तक सोनपुर का पशु मेला देश दुनिया में प्रसिद्ध रहा और हाथियों की बिक्री के लिए यह मेला देश-विदेश का केंद्र बिंदु बना रहा। लेकिन 1972 में वन्य जीव संरक्षण अधिनियम को सख्ती से लागू होने के बाद हाथियों के व्यापार पर रोक लगा दी गई। हर साल कार्तिक माह में इस मेले की शुरुआत होती है, जिसमें देश-विदेश से लाखों लोग शामिल होते हैं। आज भी यह मेला अपने प्राचीन और आधुनिकता के मिश्रण के साथ सोनपुर की संस्कृति को प्रस्तुत करने में सफल रहता है।

गंगा जी की आरती

हम सभी ने हरिद्वार की हर की पौड़ी तथा काशी के घाट पर मां गंगा की आरती देखी है। लेकिन सोनपुर में गंगा आरती की बात ही निराली है। शाम के समय सोनपुर में गंगा आरती सबसे अच्छी और देखने लायक होती है। यहां की आरती दिल को सुकून पहुंचाने वाले कई अन्य बातों में से एक है। गंडक और गंगा नदी के संगम पर आयोजित की जाने वाली महाआरती तो अपने आप में अद्भुत होती है। शाम के समय आरती और घाट पर दीपों की पंक्ति देखकर मन मंत्रमुग्ध हो जाता है। गंगा जी की आरती यहां शाम के समय के सबसे बड़े आकर्षणों में एक है। घंटियों की आवाज, दीपक की लौ और आरती का गूंजता स्वर मन में शांति भर देते हैं।

पहलेजा घाट

सोनपुर क्षेत्र में ही पहलेजा घाट एक स्थान है। यह घाट गंगा नदी के पास स्थित है। सावन के महीने में, विशेषकर सोमवार को सोनपुर के दक्षिणी वाहिनी पहलेजा घाट स्थित गंगा नदी में स्नान कर लाखों की संख्या में श्रद्धालु लगभग 70 किलोमीटर की यात्रा तय करके गरीब नाथ पहुंचते हैं। वहां पर बाबा का जलाभिषेक करते हैं। सावन के महीने में पहलेजा घाट में बहुत ही रौनक दिखाई देती है। दुल्हन की तरह सजे हुए पहलेजा घाट को देखकर लगता है, मानो शिव भक्त अपने प्रभु को यहां लाने के हर जतन कर लेना चाहते हैं। सावन के महीने में पहलेजा घाट घूमने का जो आनंद है, उसका वर्णन शब्दों में नहीं किया जा सकता। शिवमय यह घाट देख कर शिवशंकर स्वयं सोचते होंगे कि यहीं बस जाएं।

बाजार और व्यंजन

सोनपुर सिर्फ धार्मिक और ऐतिहासिक संदर्भ के लिए ही नहीं बल्कि अपने बाजारों और व्यंजनों के लिए भी काफी प्रसिद्ध है। सोनपुर के प्रमुख बाजारों में रजिस्ट्री बाजार, गोला बाजार आदि आते हैं। इन बाजारों में हमेशा उत्सव जैसा माहौल दिखाई देता है। रक्षाबंधन, दिवाली, छठ आदि त्योहारों में इन बाजारों में भीड़ देखते ही बनती है। कभी-कभी तो खरीदारी को निकले शौकीन जाम में फंस जाते हैं। बावजूद इसके बाजार की रौनक कम नहीं होती। ये बाजार अपने बेहतरीन व्यंजनों के लिए भी प्रसिद्ध हैं। इन बाजारों में लिट्टी-चोखा, समोसा चाट, जलेबी, चमचम की कई नामी दुकानें हैं।

विजय किशोर तिवारी

(शिक्षक)

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