बॉलीवुड में जश्न का माहौल है। पिछले कई महीनों में एक के बाद एक बड़े बजट की फिल्मों के फ्लॉप होने के कारण मंदी झेल रहे हिंदी फिल्म उद्योग में नए जोश का संचार हुआ है। वह भी ऐसे कलाकार के कारण जिसके बारे में इंडस्ट्री के भीतर और बाहर अधिकतर लोग सोच रहे थे कि उसका दौर अब बीत चुका हैः शाहरुख खान, जिनकी अब धमाकेदार वापसी हो गई है। शाहरुख की नई फिल्म पठान के बॉक्स ऑफिस पर धमाल मचाने से न सिर्फ बॉलीवुड में, बल्कि समूचे भारतीय सिनेमा उद्योग में जबरदस्त उत्साह का माहौल दिख रहा है। 25 जनवरी को प्रदर्शित होने के बाद पहले ही पांच दिनों में पठान ने दुनिया भर में 542 करोड़ रुपये की कमाई कर ली है। इसमें सिर्फ भारतीय टिकट खिड़कियों से हासिल 280 करोड़ रुपये शामिल हैं। देश में सिर्फ पांच दिनों में इसके हिंदी संस्करण ने 250 करोड़ रुपये का आंकड़ा पार कर लिया है, जो अपने आप में एक रिकॉर्ड हैं।
पठान यशराज फिल्म्स की बहुप्रचारित स्पाई यूनिवर्स कड़ी की लगातार चौथी ब्लॉकबस्टर फिल्म है। इससे पहले सलमान खान की एक था टाइगर (2012), टाइगर जिंदा है (2017) और ह्रितिक रोशन, टाइगर श्रॉफ की वॉर (2019) ने जबरदस्त कमाई की थी। जाहिर है, पठान के प्रदर्शन को लेकर निर्माता, यशराज फिल्म्स के आदित्य चोपड़ा पर जबरदस्त दबाव था। इस बार फिल्म में शाहरुख खान मुख्य भूमिका में थे, जिनकी पिछली कई फिल्में बॉक्स ऑफिस पर आशातीत प्रदर्शन नहीं कर पाई थीं। स्वयं यशराज की कई बड़े बजट की फिल्में भी सिनेमाघरों में धराशायी हो गई थीं, जिनमें अक्षय कुमार की पृथ्वीराज (2022) और रणबीर कपूर की शमशेरा (2022) शामिल हैं। यही नहीं, बॉलीवुड में द कश्मीर फाइल्स और दृश्यम 2 (2022) जैसी इक्का-दुक्का फिल्मों को छोड़ अधिकतर फिल्में बॉक्स ऑफिस पर औंधे मुंह गिर गई थीं।
विरोध के बावजूद खूब चल रही है पठान
इसके अलावा, देश में बॉलीवुड का बहिष्कार करने की एक मुहिम जोरों पर थी। पठान के प्रदर्शन के पहले इस फिल्म का बहिष्कार करने की भी अपील की जा रही थी। इसलिए इस फिल्म के सामने चुनौतियों का पहाड़ था, जिसे पार कराने का जिम्मा शाहरुख के कंधों पर था।
खुद शाहरुख के लिए यह आसान न था। पिछले चार वर्षों में वे किसी फिल्म की मुख्य भूमिका में परदे पर नहीं देखे गए थे। उनकी आखिरी फिल्म जीरो दिसंबर 2018 में प्रदर्शित हुई थी, जो फ्लॉप हो गई। दरअसल, उनकी पिछली कई फिल्में जैसे फैन (2016), डियर जिंदगी (2016) और जब हैरी मेट सजल (2017) भी असफल रही थीं। देखा जाए तो रोहित शेट्टी की चेन्नई एक्सप्रेस (2013) के बाद शाहरुख की कोई ब्लॉकबस्टर फिल्म नहीं आई थी। उनकी हैप्पी न्यू इयर (2014) और रईस (2017) भी 100 करोड़ रुपये से अधिक का व्यवसाय करने के बावजूद अपने भारी बजट के कारण हिट फिल्मों में नाम शुमार नहीं करवा पाई थीं। इसलिए इस बार सारी निगाहें शाहरुख पर थीं क्योंकि पठान पर बहुत हद तक उनका करियर निर्भर कर रहा था।
लेकिन, शाहरुख ने उन लोगों को करारा जवाब दिया जो उन्हें ‘फुंका हुआ कारतूस’ समझ रहे थे। उम्र के 58वें वर्ष में एक्शन भूमिका निभाने का जोखिम उठाकर उन्होंने सिद्ध कर दिया कि उनमें अभी भी दमखम बाकी है। इस फिल्म की सफलता ने यह भी साबित किया कि जिस करिश्मे और स्टारडम के बल पर शाहरुख ने बॉलीवुड पर तीस वर्ष तक राज किया, उसका जादू अभी भी बरकरार है।
यह भी उल्लेखनीय है कि पठान की सफलता उस दौर में आई, जब कई बड़ी बॉलीवुड फिल्मों के खिलाफ किसी न किसी वजह से बहिष्कार करने की मुहिम चलाई गई, जिसका प्रतिकूल असर उनके व्यवसाय पर हुआ। पठान के खिलाफ भी शुरुआत में प्रदर्शन हुए और फिल्म के एक गाने, ‘बेशर्म रंग’ में अभिनेत्री दीपिका पादुकोण के गेरुए रंग की बिकिनी को लेकर भारी विवाद हुआ। सेंसर बोर्ड ने भी फिल्म के निर्माता को कुछ दृश्य हटाने का निर्देश दिया। हालांकि, बाद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी पार्टी के नेताओं को किसी फिल्म पर अनावश्यक वक्तव्य न देने के निर्देश दिए, तो फिल्म के खिलाफ बहिष्कार मुहिम ठंडी पड़ गई, जिसका फायदा निश्चित रूप से फिल्म को मिला।
पठान की अपार सफलता से अब सारी निगाहें शाहरुख की इस साल रिलीज होने वाली दो और फिल्मों पर है। इसी साल एटली के निर्देशन में शाहरुख की जवान और राज कुमार हिरानी की फिल्म डंकी आने वाली है। इंडस्ट्री को उम्मीद है कि ये दोनों फिल्में पठान जैसी व्यावसायिक सफलता पाकर हिंदी सिनेमा को वापस उसी मुकाम पर ले जाएंगी, जहां यह कोविड महामारी के पहले थी। मशहूर फिल्मकार करण जौहर का मानना है कि पठान की सफलता ने एक ही साथ बॉलीवुड से संबंधित कई मिथक को एक झटके में खत्म कर दिया है। उनका कहना है कि शाहरुख की फिल्म की सफलता ने यह सिद्ध कर दिया है कि किसी फिल्म का जोरशोर से प्रचार-प्रसार, ट्रोल का भय और बहिष्कार की अपील मिथक भर है, जिनका खात्मा पठान ने कर दिया है। अब बस यही मायने रखता है कि यह ‘महान फिल्म’ है।
तमाम विरोध के बावजूद पठान ने छप्पर फाड़ कमाई की, पोस्टर फटे लेकिन निकला उसमें से हीरो ही
हालांकि पठान की जबरदस्त सफलता का यह मतलब नहीं है कि इस फिल्म के कंटेंट को हर कोने से वाहवाही मिली है। कई दर्शकों और समीक्षकों ने फिल्म को घिसे-पिटे फार्मूले वाली बताया है। उन्होंने यह भी कहा है कि बॉलीवुड अभी भी नए कंटेंट के साथ प्रयोग करने से झिझकता है। इससे सवाल उठता है कि क्या शाहरुख अपनी उम्र और करियर के इस पड़ाव पर सिर्फ एक्शन फिल्में करेंगे या अपने उम्र के मुताबिक संजीदा फिल्में करना भी जारी रखेंगे।
यह निर्णय लेना निस्संदेह शाहरुख के लिए मुश्किल हो सकता है क्योंकि पिछले कुछ वर्षों में उन्होंने जब फैन और जब हैरी मेट सेजल जैसी फिल्मों में लीक से हटकर कुछ करने के कोशिशें की तो असफलता मिली। आनंद एल. राय की जीरो में उन्होंने एक छोटे कद के व्यक्ति का किरदार किया लेकिन इस तरह के प्रयोगों से उन्हें सफलता नहीं मिली। बल्कि उन पर ‘फ्लॉप सुपरस्टार’ का ठप्पा लग गया। अब जब पठान जैसी मसाला फिल्म ने अप्रत्याशित व्यवसाय किया है, तो उन पर वैसी ही फिल्में करने का निश्चित रूप से दबाव रहेगा। बॉलीवुड में कभी खत्म न होने वाला भेड़चाल ट्रेंड है। बॉक्स ऑफिस पर जो बिकता है, वही चलता है। गौरतलब है कि शाहरुख की पिछली ब्लॉकबस्टर चेन्नई एक्सप्रेस मसाला फिल्म ही थी।
पिछले कुछ वर्षों में शाहरुख ने कई ऐसे निर्देशकों के साथ काम किया जिन्होंने अपनी कंटेंट-प्रधान फिल्मों से सबका ध्यान आकृष्ट किया था। इनमें आनंद एल राय के अलावा इम्तियाज अली, मनीष शर्मा और गौरी शिंदे जैसे दिग्दर्शक शामिल रहे। यह बात और है कि उनके साथ शाहरुख की फिल्में फ्लॉप रहीं।
अब शाहरुख की आगामी दो फिल्में एटली और राजू हिरानी के साथ हैं जिन्हें बेहतरीन फिल्में बनाने के लिए जाना जाता है। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या शाहरुख भविष्य में अपनी फिल्मों के चयन में अपनी छवि और लोकप्रियता का ध्यान रखेंगे और सिर्फ बॉक्स ऑफिस ही उनके लिए एकमात्र पैमाना होगा? आखिरकार बॉक्स ऑफिस पर हर फिल्म न तो पठान हो सकती है न ही जीरो।