बात दो साल पहले की है। मशहूर चीनी कलाकार हान मेलिन के बीजिंग स्थित निवास पर हम डिनर के लिए गए थे। वहां मुझे लता मंगेशकर के बारे में एक असाधारण अनुभव हुआ। उम्र के आठवें दशक में पहुंच चुके हान बेहद उम्दा कलाकार हैं। एयर चाइना के फिनिक्स लोगो और 2008 के बीजिंग ओलंपिक मस्कट समेत उनकी अनेक कलाकृतियां मशहूर रही हैं। उन्होंने अपने हाथों से बने नूडल और अपनी डिजाइन की हुई कटलरी में उस मेज पर बैठकर खाने के लिए हमें आमंत्रित किया था, जिस पर पहले अनेक विश्व प्रसिद्ध कलाकार, राजनयिक और फ्रांस के कई राष्ट्र प्रमुख बैठ चुके थे। सांस्कृतिक क्रांति के अराजक दौर में हान को कई साल जेल में गुजारने पड़े थे। वहां उन पर हुए अत्याचार का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उनकी नसें तक काट दी गई थीं। उस शाम उन्होंने हमें तब हैरत में डाल दिया जब अचानक बॉलीवुड की राज कपूर और नरगिस अभिनीत हिट फिल्म श्री 420 का लता और मुकेश का गाया इचक दाना बिचक दाना गीत गुनगुनाने लगे। हैरत इसलिए भी हुई क्योंकि हान ने उस मुलाकात में अंग्रेजी का एक भी शब्द नहीं बोला था, फिर भी वे उसी फिल्म का लता का (मन्ना डे के साथ) गाया एक और गीत प्यार हुआ इकरार हुआ गुनगुनाने लगे। हमें गाना गाते समय चीन के इस पिकासो का जुनून देखकर भी हैरानी हुई।
हान जैसे महान कलाकार ही नहीं, चीन के अनेक लोग लता की मीठी आवाज के दशकों से दीवाने रहे हैं। उनके निधन के बाद चीनी प्रशंसक वीवो और वीचैट जैसे सोशल मीडिया एप और वेबसाइट पर अपनी संवेदनाएं साझा कर रहे थे और वीडियो भी पोस्ट कर रहे थे। एक वीवो यूजर, जिसने अपना नाम शाहरुख खान लिख रखा था, ने लता की तस्वीर पोस्ट करते हुए लिखा, “आपकी खूबसूरत आवाज हमेशा याद रहेगी।” न्यूयॉर्क टाइम्स में प्रकाशित लता के निधन की खबर को पोस्ट करते हुए एक अन्य यूजर ने लिखा, “हम शायद उनके नाम का ठीक-ठीक उच्चारण न कर सकें, लेकिन उनकी खूबसूरत आवाज से पूरी तरह वाकिफ हैं।” 1950 के दशक से लता के गाए गीत इन ऐप और वेबसाइट पर भरे पड़े हैं, चीन के सबसे बड़े म्यूजिक ऐप क्यूक्यू म्यूजिक पर भी। कुछ लोगों ने तो गाने के वीडियो के साथ गाने के बोल भी पोस्ट किए।
बीजिंग में रहने वाली दक्षिण एशियाई मामलों की विशेषज्ञ जियाओयू झांग ने बताया, “लता जी की मौत का समाचार सुनकर मेरे पिता उनका एक लोकप्रिय गाना अब रात गुजरने वाली है सुन रहे थे। मुझे याद है बचपन में पिता मुझे साइकिल की सवारी कराने ले जाते थे, तो इसे गुनगुनाते थे। हालांकि मुझे आज भी नहीं मालूम कि गाना किस फिल्म का है।” हालांकि उनके पिता झोंगजिउ झांग ने तत्काल बताया कि गाना आवारा फिल्म का है। उन्होंने कहा, “मैंने 1979 में अपने शहर के थिएटर में पहली बॉलीवुड फिल्म यही देखी थी। लता का गाया पहला सुरीला गीत मैंने यही सुना था। आज भी यह गीत मेरे दिल में बसा हुआ है।” नरगिस और राज कपूर की ऑनस्क्रीन जोड़ी वाली कई फिल्में, मुकेश का गाया आवारा हूं गाना और लता की आवाज में शंकर जयकिशन की बनाई अनेक धुनें दशकों से चीनवासियों का मनोरंजन कर रही हैं।
बॉलीवुड के संगीत और चीन के बीच कड़ी आवारा से भी पुरानी है। इसका श्रेय संगीतकार वसंत देसाई को जाता है जिन्होंने लता को शुरुआती दिनों में हिंदी फिल्मों में सोलो गाने का मौका दिया था। जीवन यात्रा (1946) फिल्म के उस गाने के बोल थे चिड़िया बोले चू चू मैना बोले हूं। भारत की पूर्व विदेश सचिव और चीन में भारत की राजदूत रह चुकीं निरुपमा राव ने अपनी किताब ‘द फ्रैक्चर्ड हिमालय: इंडिया तिब्बत चाइना 1949-62’ में लिखा है, “डॉ. कोटनीस की अमर कहानी आजादी से पहले रिलीज हुई और काफी सफल रही। वसंत देसाई ने इस फिल्म के गानों और बैकग्राउंड संगीत के लिए चीनी संगीत का अध्ययन किया था।” बॉलीवुड के इतिहास में शायद पहली बार देसाई ने अवार्ड विजेता बायोपिक मैं हूं नन्हीं नई दुल्हन के हिट गानों में लोकप्रिय चीनी धुनों का प्रयोग किया था। हालांकि उन गानों को आवाज देने के लिए उन्होंने लता के बजाय निर्देशक वी. शांताराम की पत्नी और फिल्म की मुख्य कलाकार जयश्री को चुना था।
लेकिन भारतीय संगीत के चीन में लोकप्रिय होने का श्रेय आवारा फिल्म के लता के गाए गीतों को जाता है। 1951 की इस फिल्म को चांगचुन फिल्म स्टूडियो ने 1955 में रिलीज किया था। यह चीन के थियेटरों में दिखाई जाने वाली पहली भारतीय फिल्म थी। मुकेश के गाए टाइटल गीत समेत फिल्म के सभी गाने पूरे चीन में रातों-रात लोकप्रिय हो गए। लता की मखमली आवाज चीन के घर-घर पहुंचने लगी। हालांकि 1960 के दशक में दोनों देशों के बीच युद्ध के बाद बॉलीवुड और ‘भारत की कोकिला’ के गाने चीन जाने बंद हो गए, लेकिन 1950 के दशक के लता के गाए गीत चीनवासियों को याद रहे। जियाओयू बताती हैं, “1960 के दशक में जन्म लेने वाली पीढ़ी के लिए लता के गाए गीत पहचान बन गए।”
देंग जियाओपिंग के नेतृत्व में चीन में आर्थिक सुधारों की शुरुआत होने पर लता के गाने एक बार फिर चीन पहुंचने लगे। आवारा 1978 में चीन में दोबारा रिलीज की गई। जियाओयू बताती हैं, “मेरे पिता ने उसी समय वह फिल्म देखी थी। उन दिनों चीन में रोमांटिक फिल्में बहुत कम बनती थीं। आवारा और लता की कोमल आवाज ने लोगों को रोमांस के अनुभव का मौका दिया। वह एक तरह से रोमांटिक कल्पना थी।”
शंघाई के सॉफ्टवेयर उद्यमी हुआंग कियांग भी भारत की स्वर साम्राज्ञी के दीवाने हैं। वे बताते हैं, “1977-78 में मैं जूनियर हाई स्कूल में था। तब चाइना रेडियो इंटरनेशनल पर भारत के ‘राष्ट्रीय खजाने’ की आवाज पहली बार सुनी। गाने की शैली कितनी खूबसूरत थी और आवाज कितनी मधुर। उन दिनों सरकारी रेडियो पर हम भारतीय और सोवियत समेत अनेक विदेशी गाने सुन सकते थे। जाहिर है, सोवियत संघ के गाने ज्यादा बजते थे। उत्तर कोरिया के गाने भी बजाए जाते थे। लेकिन लता के गाए गीत हमेशा अलग होते थे।”
70 और 80 के दशक की युवा पीढ़ी को नूरी और कारवां फिल्म के लता के गाए गीत आज भी याद हैं। बिरजू महाराज से कथक और लीला सैमसन से भरतनाट्यम सीखने वाली वरिष्ठ चीनी शास्त्रीय नृत्यांगना जिन शानशान बताती हैं, “मैंने लता जी का पहला गाना आजा रे ओ मेरे दिलबर आजा सुना था। वह मुझे इतना पसंद आया कि मैंने खुद गाना सीखा। उसके बाद उनके गाए अनेक गीत मैंने सुने, कुछ गीतों को गा भी सकती हूं।” चीन में कथक और भरतनाट्यम सिखाने वाली जिन बताती हैं, “1990 के दशक में मैं दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में पढ़ती थी, तब मैंने एक सौ से ज्यादा ऑडियो टेप खरीदे। हर दिन लता जी के गाए गीतों को गाने की कोशिश करती थी।”
भारतीय शास्त्रीय और बॉलीवुड दोनों तरह की डांस सीख रही यूलिन शहर की डांसर ईवा कहती हैं, “चीन में लोग लता जी को बॉलीवुड के गानों के वीडियो से ही जानते हैं। उन दिनों इंटरनेट ज्यादा उपलब्ध नहीं था। मुझे लगता है कि उनकी आवाज को मधु (शहद) कहना ठीक होगा। वे भारतीय गायन शैली की सर्वश्रेष्ठ उदाहरण हैं।” विश्व भारती (शांतिनिकेतन) के कला भवन की छात्रा रह चुकीं किन जियाओपिंग अब इंडस्ट्रियल ग्राफिक डिजाइनर हैं। वे कहती हैं, “90 के दशक के मध्य में भारत जाने से ठीक पहले बीजिंग स्थित एक भारतीय राजनयिक ने मुझे लता के गानों का एक कैसेट दिया था। मुझे हिंदी नहीं आती थी, फिर भी मैंने उनका गाया गाना चूड़ी मजा ना देगी (फिल्म सनम बेवफा, 1991) याद कर लिया था। वह गाना मैं आज भी गा सकती हूं।”
ऐसा नहीं कि चीन के लोग लता के सिर्फ पुराने गानों के दीवाने हैं। वर्ष 2000 में आई फिल्म मोहब्बतें का गाना आंखें खुली हों या हों बंद चीन के स्क्वायर डांसरों को बेहद पसंद आया। स्वामी विवेकानंद सांस्कृतिक केंद्र की कत्थक और ओडिसी डांसर ड्यू जान बताती हैं, “मेरे ख्याल से स्क्वायर डांसरों ने इस गाने को इसलिए अपनाया क्योंकि इसकी धुन जुंबा की तरह उन्हें व्यायाम करने में मदद करती है। चीन में करोड़ों लोग, खासकर वरिष्ठ नागरिक, फिटनेस के लिए स्क्वायर डांसिंग करते हैं और यह गाना वर्षों से उनके प्ले लिस्ट का अभिन्न हिस्सा बना हुआ है।” हालांकि मेरी एक स्क्वायर डांसर मित्र ने कहा, “मुझे नहीं मालूम कि इस गाने को गाया किसने है।”
लता की आवाज पीढ़ियों से चीनवासियों का मनोरंजन करती रही है। आपको जानकर ताज्जुब होगा कि इस लेख में जिन चीनी नागरिकों के नाम दिए गए हैं, वे लता के अनेक गाने गा सकते हैं। उन्होंने लता के गाने गाकर देवी सरस्वती के इस रूप को अपनी श्रद्धांजलि दी।
(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं और चीन में चार साल से अधिक रह चुके हैं)