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अंदरखाने

सियासी गलियारों की हलचल
जस्टिस डी.वाई.चंद्रचूड़

एक ऐंकर आकर कहता है कि एक विशेष समुदाय यूपीएससी में घुसपैठ कर रहा है। क्या इससे ज्यादा घातक कोई बात हो सकती है? ऐसे आरोपों से देश की स्थिरता पर असर पड़ता है और यूपीएससी परीक्षाओं की विश्वसनीयता पर भी सवाल उठते हैं।

जस्टिस डी.वाई.चंद्रचूड़ (सुदर्शन टीवी के एक कार्यक्रम पर फैसला देते हुए)

बूढ़े पुलिस अफसर निशाने पर

उत्तर प्रदेश में रिटायरमेंट की कगार पर खड़े पुलिस अधिकारियों को फील्ड पोस्टिंग नहीं देने की तैयारी है। इसके लिए प्रदेश सरकार नया आदेश ला सकती है। अधिकारियों में इसको लेकर सुगुबगाहट शुरू हो गई है। क्योंकि बहुतों को लगता है कि रिटायरमेंट के समय फील्ड पोस्टिंग मिलने से आगे का जीवन आसान हो जाता है। नई प्लान‌िंग के तहत जिन पुलिस अधिकारियों की रिटायरमेंट की अवधि एक साल बची होगी, उन्हें फील्ड पोस्टिंग से दूर रखा जा सकता है। अगर ऐसा होता है तो जाहिर है कई लोगों के मंसूबे पर पानी फिरेगा, लेकिन फिर भी कोशिशें जारी हैं।

रिटायरमेंट से पहले ही इंतजाम

रिटायर होने वाले चहेते शीर्ष अधिकारियों को मलाईदार अहम ओहदों पर बैठाने का खेल हरियाणा की मनोहर लाल खट्टर सरकार में बदस्तूर जारी है। इसके लिए नए पद सृजित किए जा रहे हैं। इसी कड़ी में सेवा के अधिकार आयोग के मुख्य आयुक्त पद के लिए विज्ञापन जारी कर दिया गया है। ऐसी चर्चा है कि पद के लिए विज्ञापन तो केवल औपचारिकता है, दरअसल इस पद पर मुख्य सचिव केशनी आनंद अरोड़ा की नियुक्ति तय है। अरोड़ा से पहले मुख्य सचिव रहे डीएस ढेसी को सीएम से नजदीकी का फायदा देते हुए हरियाणा राज्य विद्युत नियामक आयोग के चेयरमैन का पद दिया गया था। इसके अलावा आरएसएस के करीबी पूर्व डीजीपी यशपाल सिंघल को भी सूचना का अधिकार आयोग का चेयरमैन बनाया गया। राज्य में करीब दर्जनभर ऐसे पूर्व नौकरशाह हैं जो रिटायरमेंट के बाद भी शाही जिंदगी का मजा ले रहे हैं। ऐसे में रिटायरमेंट के करीब पहुंच चुके दूसरे नौकरशाहों ने भी तैयारी शुरू कर दी है।

इससे बेहतर लॉकडाउन था

जनाब के होटल की गिनती झारखंड के सबसे बेहतरीन होटलों में होती है। कर्मचारियों का वेतन देने में ही कोई 17 लाख रुपये महीने का खर्च आता है। लॉकडाउन क्या हुआ सब ठप हो गया। कर्मचारियों का वेतन, लागत और भी दूसरे खर्च हैं। सत्ताधारी दल के बड़े लोगों के पास अनलॉक में होटल खोलने की भी अनुमति की पैरवी करते रहे। लंबे इंतजार के बाद होटल खोलने को अनुमति मिली। इसके बावजूद उनके चेहरे पर स‌िकन बनी हुई है। सत्ताधारी पार्टी के एक बड़े नेता के पास अपनी पीड़ा जाहिर कर रहे थे। बाहर से कोई आ नहीं रहा है। होटल के कमरे खाली हैं। रैंकिंग मेंटेन करने के लिए स्तर बनाये रखना पड़ रहा है। बिजली का बिल ही मोटा हो जाता है, नॉनवेज भी फ्रिज की शोभा बढ़ाने के बाद कचरे की पेटी के हवाले हो जाता है। इससे बेहतर तो लॉकडाउन था।

फिर लड़ना चाहते हैं साहब

साहब भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी थे। केंद्र में सचिव के पद से अवकाश ग्रहण किया। राजनीति में अगली पारी शुरू की। साहब से माननीय हो गए। राजनीति उन्हें रास आ गई। वे इस बार फिर से विधानसभा का चुनाव लड़ना चाहते हैं। हालांकि फूल वाली पार्टी उन्हें लाट साहब बनाने के मूड में है। उत्तर बिहार के सीमा क्षेत्र के ब्राह्मण बहुल इलाके से जीते थे, मगर वह सीट एक डील के तहत फूल वाली पार्टी की सहयोगी पार्टी चाहती है। जल्द ही स्पष्ट हो जाएगा कि साहब चुनाव लड़ेंगे या पार्टी की सुनेंगे।

नेताजी को खेत पसंद है

ऐतिहासिक पार्टी वाले नेताजी का रूटीन इन दिनों बदल गया है। केंद्र में मंत्री थे तो कभी-कभार ही घर-बार संभालते थे। अपने इलाके में क्या, पूरे बिहार में भी लोकप्रिय रहे। लगातार व्यस्त रहते थे। अभी पास में ज्यादा काम नहीं है। पार्टी ने भी कोई कायदे की जिम्मेदारी नहीं सौंपी है। ऐसे में समय खाली सा बीतता है। इस बीच लॉकडाउन में तो घर में ही मॉर्निंग वॉक का नया फार्मूला निकाल लिया। अंग्रेजी के आठ (8) का डिजाइन बनवा उसी पर राउंड लगाना शुरू किया। सुबह-शाम मिलाकर पांच-सात किलोमीटर का चक्कर उसी घेरे में लगा लेते हैं। उनका यह फार्मूला वायरल हो गया और अनेक लोगों ने अपने ही घर के क्षेत्र में वैसा ही डिजाइन बनवाकर मॉनिंग वॉक करना शुरू कर दिया। लेक‌िन अब तो लॉकडाउन खत्म हो गया है।

फिर से खालीपन लग रहा है तो राजधानी के तमाम नर्सरी का चक्कर लगा रहे हैं। इसके अलावा खेत-खलिहान के प्रति भी दिलचस्पी बढ़ गई है। सो उपेक्षित पड़े फार्म हाउस को आबाद करने में जुटे हैं। नर्सरी-नर्सरी जाकर भांति-भांति के फल-फूल, औषधीय पौधों को पसंद कर रहे हैं और फार्म हाउस की रौनक बढ़ाने में लगे हैं।

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