“इतिहास कैपिटल हिल में हुई हिंसा को राष्ट्र के अपमान और जिल्लत के रूप में याद रखेगा”
बराक ओबामा, पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति
घोटाले का भूत
मध्य प्रदेश में एक बार फिर व्यापम का भूत सामने आ गया है। सीबीआइ ने 57 लोगों पर चार्जशीट दायर कर दी है। खास बात यह है कि इसमें मुख्यमंत्री के कई करीबी लोगों के नाम हैं। ऐसे में सबकी दिल की धड़कन बढ़ गई है। एक तो भोपाल के प्रमुख अस्पताल के मालिक हैं, जिनकी मुख्यमंत्री से करीबी जगजाहिर है। इसके अलावा कई करीबी नेता भी हैं। एक का तो कहना है कि भाई इस बार मुख्यमंत्री को कांटो का ताज मिला है। समझ में नहीं आ रहा है कि केंद्र और राज्य में हमारी सरकार है। फिर भी सीबीआइ ने चार्जशीट दायर कर दी। लगता है, कुछ और साधने की तैयारी है।
प्रदर्शन के बहाने
अपराध को लेकर सरकार के खिलाफ लोगों का विरोध प्रदर्शन होता रहता है, लेकिन जब सत्ता पक्ष के लोग ही प्रदर्शन करने लगें तो मामला काफी गंभीर हो जाता है। हाल में जमशेदपुर में ऐसा ही हुआ। हेमंत सरकार में सहयोगी पार्टी कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने स्थानीय एसपी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। उनका पुतला दहन भी किया गया। संदेश यह गया कि कांग्रेस नहीं, मंत्री महोदय के इशारे पर इस पुतला दहन कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। विरोध का कारण कानून-व्यवस्था को लेकर था। शिकायत यह कि अपराधियों का मनोबल बढ़ा हुआ है और निर्दोष लोगों पर अत्याचार हो रहा है। लेकिन अंदर की कहानी कुछ और ही है। विरोध का असल कारण मंत्री की पैरवी को एसपी द्वारा अनसुना करना है। मामला हत्या से जुड़ा है, जिसमें पुलिस ने मंत्री जी के एक कथित करीबी को पकड़ा है और मंत्री के कहने पर भी उसे छोड़ नहीं रही है।
नाम में ही सब कुछ
पिछलो दिनों हैदराबाद नगर निगम के चुनाव हुए, जिसमें शहर के नाम को लेकर भाजपा नया मुद्दा लेकर सामने आई। उसने कहा कि वह हैदराबाद को भाग्यनगर बनाएगी। खैर, चुनावों में उसे सत्ता नहीं मिल पाई, लेकिन पार्टी में जरूर भाग्यनगर नाम से ही योजनाएं बनती हैं। यही नहीं, पार्टी ने मुगल शहजादे दाराशिकोह को भी भुनाने की तैयारी कर ली है। इसके तहत दिल्ली में दाराशिकोह की कब्र की पहचान को पुख्ता करने का जिम्मा पुरातत्वविदों को सौंप दिया गया है। तैयारी यह है कि आने वाले समय में कब्र पर समारोह आदि कराए जाएंगे। जिससे लोगों को उसकी अच्छाई की सीख मिल सके। पार्टी के एक नेता का कहना है भाई नाम से ही सब कुछ है। और यह पहचान का सवाल है। ऐसे में उसका मोह कैसे छोड़ा जा सकता है।
रुतबे का चस्का
अकसर सुर्खियों में रहने वाले हरियाणा के एक वरिष्ठ मंत्री का रुतबा मुख्यमंत्री से कम नहीं है। हालांकि इस चक्कर में सीआईडी जैसा अहम महकमा गंवाने से सीख नहीं लेने वाले मंत्री, अब मुख्यमंत्री के फ्लाइंग स्कवैड की तर्ज पर अपने मंत्रालय का स्कवैड बनाने की तैयारी में हैं। दावा यह है कि स्कवैड का काम पुलिस में भ्रष्टाचारियों पर नकेल कसना होगा। साथ ही वह मंत्री की ही रिपोर्ट करेगी। रिपोर्ट कराने के चक्कर में ही मंत्री जी से सीआईडी का महकमा छिना था। ऐसे में कहीं सीआईडी की तरह इस बार अहम मंत्रालय छिन न जाए, इस बात का अंदेशा शायद उन्हें नहीं है।
पार्टी या सरकार
मध्य प्रदेश में तीसरी बार शिवराज सिंह के मुख्यमंत्री बनने से खुश बैठे आला अधिकारियों की नींद उड़ गई है। आलम यह है कि उन्हें समझ में नहीं आ रहा है कि नए कार्यकाल में सब कुछ बदल क्यों गया है? असल में इस बार अधिकारियों को मुख्यमंत्री कार्यालय से कम पार्टी से ज्यादा आदेश मिल रहे हैं। योजनाओं पर जमीनी स्तर से रिपोर्ट के बाद अधिकारियों से सवाल-जवाब भी पार्टी से होने लगा है। ऐसे में आला अधिकारियों को समझ में नहीं आ रहा है कि आदेश किसका माने।
खरमास दूसरों के लिए
मैडम झारखंड के एक शहर की प्रथम नागरिक हैं। खरमास में ही उन्होंने सड़क, नाली आदि की चार करोड़ रुपये की योजनाओं का शिलान्यास कर दिया। कुछ दिनों के बाद ही जब उन्हीं के बैठने वाले नये भवन का मुख्यमंत्री शिलान्यास करने लगे तो उन्हें खरमास की याद आ गई। कहा, अभी उद्धाटन नहीं होना चाहिए, शुभ काम नहीं होता। एक सज्जन ने पूछ लिया कि आपने तो अभी शिलान्यास किया है, उनका भोला-सा तर्क था सड़क-नाली और भवन में फर्क है न।