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अंदरखाने

सियासी दुनिया की हलचल
सोनिया गांधी, कांग्रेस अध्यक्ष

दुनिया के किसी भी देश में भारत जैसी भेदभाव वाली और अंसवेदनशील वैक्सीन नीति नहीं है। कोरोना की दूसरी लहर पर मोदी सरकार का रवैया पूरी तरह से तबाही वाला

-सोनिया गांधी, कांग्रेस अध्यक्ष (एक साक्षात्कार में)

 इनाम की बेसब्री

अभी बंगाल चुनाव के नतीजे नहीं आए हैं किन्तु वहां काम करने वाले मध्य प्रदेश के एक राजनेता अपना इनाम तय मान रहे हैं। उनके समर्थक यह बात फैला रहे हैं कि नेताजी को राज्य में बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है। वास्तव में उनकी नजर मुख्यमंत्री की कुर्सी पर है। उनको बंगाल की जिम्मेदारी देते समय ही कहा गया था कि यदि वहां भाजपा को जीत मिलती है तो उनको बड़ा इनाम दिया जाएगा। अब वे बंगाल में भाजपा की सरकार बनने की घोषणा कर चुके है। आलाकमान उनके काम से खुश भी है। अब यदि सरकार बनती है तो उनका इनाम भी तय होगा। देखना यह होगा कि उन्हें मुख्यमंत्री की कुर्सी मिलती है या नहीं।

 एक तीर से कई शिकार

मई तक अपना वजन 25 किलोग्राम घटाने की कसरत में लगे पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिदंर सिंह पार्टी में अपने विरोधियों पर भारी पड़ रहे हैं। कैप्टन ने अपनी ओर से सिद्धू को कांग्रेस के बाहर का रास्ता दिखा दिया है। वहीं इस ललकार को अपने लिए फटकार समझ कैप्टन के कई धुर विरोधी भी संभल गए हैं। कैप्टन के खिलाफ झंडा उठाने वाले सांसद प्रताप सिंह बाजवा के सुर-तेवर भी पिछले कुछ दिनों से बदले हुए हैं। दरअसल बाजवा का राज्यसभा का कार्यकाल मई में पूरा होने जा रहा है। कैप्टन उन्हें दोबारा संसद भेजने के मूड में नहीं हैं। इस बीच बाजवा ने भी कांग्रेसी हलकों में खबर चलवा दी है कि वे प्रदेश की सियासत में रहकर पंजाब के लोगों की सेवा करना चाहते हैं। संकेत साफ है कि कैप्टन की अगुवाई में बाजवा 2022 का विधानसभा चुनाव लड़ मंत्रिमंडल में शामिल होने की जुगत अभी से भिड़ा रहे हैं। इधर पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष एंव सांसद शमशेर सिंह दुल्लों ने भी कैप्टन दरबार में हाजिरी बढ़ा दी है।

 मैं जिम्मेदार

इसे कहते हैं बिल्ली के भाग से छींका टूटना। झारखंड के एक सांसद महोदय का सरकार से पंगा चलता रहता है। सोशल मीडिया में सरकारी योजनाओं से लेकर निजी स्तर तक जंग सार्वजनिक है। खुद तो खुद, सांसद महोदय की पत्नी भी सरकार के लपेटे में आ जा रही हैं। स्थानीय प्रशासन के लोग हथियार बन जा रहे हैं। चुनाव का मौका था तो सांसद महोदय पर भी मुकदमे हो गए। आरोप-प्रत्यारोप चल ही रहा था कि चुनाव आयोग ने जिले के दो मुख्य अधिकारियों का तबादला कर दिया। समझदार आदमी तो तर्क से हर बात को अपने पक्ष में करना जानता है। बस सांसद महोदय सोशल मीडिया पर शुरू हो गए। मानों उन्हीं की पीड़ा को लेकर दोनों हटाए गए हैं।

 अगर मैं मंत्री होता

बिहार के एक माननीय भीतर से बहुत दुखी हैं। कोरोना ने उनके खास रिश्तेदार को निगल लिया। अंतिम समय में ऑक्सीजन तक के लिए हाथ-पांव मारना बेकार गया। जब तक इंतजाम होता सांस थम चुकी थी। माननीय लंबे समय तक सेहत महकमा के मंत्री रह चुके हैं। ऐसे में कोरोना के इस अराजक दौर में छोटा से इंतजाम नहीं कर पाये। परिवार वालों के सामने अब कहें तो क्याा कहें। इतना कहकर संतोष कर ले रहे हैं कि समय का फेर है। अगर मैं रहता तो ऐसा नहीं होता।

 कलेक्टर को बोलना पड़ा भारी

मध्य प्रदेश के एक कलेक्टर ने अपनी वाहवाही के लिए सूचित किया कि एक कंपनी को 500 बिस्तरों वाला कोविड केयर केन्द्र बनवाने के लिए तैयार कर लिया है। हालांकि कंपनी ने केवल 100 बिस्तरों के लिए रजामंदी जताई थी। जब यह आंकड़ा मुख्यमंत्री तक पहुंचा तो उन्होंने और बढ़ा कर 1000  बिस्तर कर दिया। मुख्यमंत्री ने बाकायदा घोषणा भी कर दी की कंपनी 1000  बिस्तर वाला अस्पताल जल्द तैयार कर देगी। कलेक्टर अब परेशान चल रहे हैं कि 100 को 1000 तक कैसे पहुंचाएं।

 दूर का दांव

रायपुर से लखनऊ ऑक्सीजन का टैंकर भेजकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने दूर का दांव खेला है। अभी तक उन्हें राहुल गांधी का करीबी माना जा रहा था। इस घटना के बाद वे प्रियंका के भी करीबी हे गये। उनके एक ट्विट पर टैंकर लखनऊ पहुंचवा दिया। प्रियंका गांधी को उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को मजबूत करने की जिम्मेदारी दी गई है। ऐसे में बघेल की यह मदद उनके काफी काम आई। भले ही बघेल को विपक्ष का हमला सहना पड़ा हो, किन्तु प्रियंका के करीब जाने का मौका वे कैसे छोड़ सकते थे।

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