आम आदमी पार्टी (आप) की भगवंत मान सरकार अपने पहले छह महीने में ही ‘आम’ से ‘खास’ होने की राह पर सरपट चल पड़ी है। आप एक वक्त भ्रष्टाचार, वीवीआइपी कल्चर, बड़बोलापन, प्रचार के मकसद से विज्ञापनों पर घेरा करती थी, आज उसकी सरकार खुद इन्हीं मामलों में विपक्ष के निशाने पर है। यही नहीं, विपक्ष उस पर पंजाब और विदेश में बैठे खालिस्तानियों को संरक्षण देने के गंभीर आरोप लगा रहा है। 117 सदस्यीय विधानसभा में 92 विधायकों के भारी बहुमत वाली सरकार की हालत अराजक-सी बनी हुई है। लोगों की नाराजगी बढ़ने का संकेत संगरूर संसदीय उपचुनाव में ही मिल गया था जहां भगवंत मान के मुख्यमंत्री बनने और इस्तीफा देने से उपचुनाव हुए थे। उसमें राज्य से एकमात्र संसदीय सीट भी आप को गंवानी पड़ी थी। इसलिए आप के लिए 2024 के लोकसभा चुनाव में साख बचाना मुश्किल हो सकता है।
इन दिनों मान की खास और वीवीआइपी कार्यशैली चर्चा का विषय बनी हुई है। दरअसल 16 मार्च को शपथ ग्रहण समारोह के लिए शहीदे आजम भगत सिंह की जन्मस्थली खटकड़कलां में किसानों की 40 एकड़ में लहलाती गेहूं की फसलें रौंद कर पंडाल सजाए गए। अब मुख्यमंत्री के साथ 42 कारों का काफिला चलता है। यूं तो मान फरवरी में विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान अरविंद केजरीवाल के साथ ऑटोरिक्शा में बैठकर उनके ड्राइवरों के घर भोजन करके खुद को आम आदमी बताया करते थे और पूर्व मुख्यमंत्रियों के वीआइपी कल्चर पर तंज कसा करते थे, लेकिन आज खुद मान को ‘वीवीआइपी’ जैसा बर्ताव करता देख लोग दंग हैं।
काफिले के मामले में तो वाकई पहले के तमाम मुख्यमंत्री पीछे छूट गए हैं। आतंकवाद के समय भी किसी सीएम के काफिले में इतनी गाड़ियां और पुलिस सुरक्षाबल का लाव-लश्कर नहीं चलता था। आरटीआइ के जरिये इसका खुलासा करने वाले विपक्ष के नेता प्रताप बाजवा ने आउटलुक से कहा, “केजरीवाल की कठपुतली पंजाब के ‘डम्मी सीएम’ भगवंत मान को खुद अपने डम्मी सीएम होने का मलाल है इसलिए अपनी सत्ता का भोंडा प्रदर्शन करने के लिए उन्होंने अपने काफिले में 42 कारें और दर्जनों पुलिस सुरक्षाबल का लाव-लश्कर शामिल कर लिया है।” पूर्व मुख्यमंत्रियों प्रकाश सिंह बादल और कैप्टन अमरिंदर सिंह के काफिले में 33 कारें चलती थीं।
मान हिमाचल प्रदेश में पार्टी के प्रचार के लिए सरकारी हेलीकॉप्टर के इस्तेमाल की वजह से भी आलोचना का शिकार हुए। उसके बाद से सरकारी खर्च पर किराये के विमान में केजरीवाल के साथ हिमाचल और गुजरात में पार्टी प्रचार के लिए जाने लगे। बठिंडा के आरटीआइ कार्यकर्ता हरमिलाप सिंह ग्रेवाल ने मान के गुजरात और हिमाचल दौरे पर हुए खर्च का ब्योरा मांगा तो पता चला कि 1 से 3 अप्रैल के बीच मान और केजरीवाल के गुजरात दौरे के लिए किराये पर लिए गए विमान पर पंजाब सरकार ने 45 लाख रुपए खर्च किए। हिमाचल दौरे के खर्च की जानकारी नहीं दी गई। सत्ता में आने से पहले भगवंत मान तब कांग्रेस के सीएम रहे चरणजीत सिंह चन्नी को सरकारी हेलीकॉप्टर से पंजाब में जगह-जगह जाने पर घेरते थे पर अब मान उनसे दो कदम आगे निकल गए हैं। इतना ही नहीं, दोस्ती की खातिर मान के सरकारी हेलीकॉप्टर में कई बार हरियाणा के उप-मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला भी उड़ान भरते रहे। इस मसले पर विपक्ष ने घेरा तो आप के मुख्य प्रवक्ता मलविंदर सिंह कंग ने इसे पंजाब का अन्य राज्यों के साथ हेलिकॉप्टर शेयरिंग का समझौता बताया।
कॉमेडियन से सीएम की कुर्सी तक पहुंचे मुख्यमंत्री भगवंत मान अभी तक अपनी पुरानी छवि से पीछा नहीं छुड़ा पाए हैं। अपरिपक्व बयान हो या सार्वजनिक स्थलों पर शराब पीकर जाना, ये आरोप उनके साथ साये की तरह जुड़े हैं। मान का हाल ही में जर्मनी दौरा खासा चर्चा में रहा। पंजाब में बीएमडब्ल्यू कार कंपनी का प्लांट लगाने के मान के ऐलान के अगले दिन ही कंपनी ने किनारा कर लिया।
खबरों के अनुसार, उसके अगले दिन जब जर्मनी से वापसी के दौरान शराब के नशे में धुत होने के आरोप में मान को फ्रांकफुर्त में लुफ्थांसा एयरलाइंस ने फ्लाइट से उतार दिया। इस पर शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर बादल ने टिप्पणी की, “पंजाब के मुख्यमंत्री की इस हरकत ने पंजाबियों को शर्मिंदा किया है।” लोकसभा सांसद रहते हुए भगवंत मान पर उनकी ही पार्टी के सांसद हरिंदर सिंह खालसा ने जुलाई 2016 में लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन को पत्र लिख कर अपनी सीट नंबर 495 के बगल से मान को दूर बैठाने का आग्रह किया और लिखा था, “मान (सीट नंबर 496) के बगल में बैठना मुश्किल है क्योंकि शराब की गंध आती है।”
मान ने अप्रत्याशित बहुमत वाली अपनी सरकार के अल्पमत में होने की आशंका जताते हुए फिर बहुमत साबित करने के लिए 27 सितंबर को विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया। पंजाब के इतिहास में यह दूसरी दफा हुआ कि सरकार विश्वास मत प्रस्ताव ले आई। इससे पहले 1981 में पूर्व मुख्यमंत्री दरबारा सिंह के कार्यकाल में विश्वास प्रस्ताव लाया गया था।
मुख्यमंत्री भगवंत मान के जर्मनी दौरे दौरान आप के शीर्ष नेताओं ने पंजाब में दो विधायकों वाली भाजपा पर आरोप लगाया कि ‘ऑपरेशन लोट्स’ के तहत भाजपा ने आप के कुछ विधायकों में से प्रत्येक को 25 करोड़ रुपये की पेशकश की है। इस मसले पर पंजाब के राज्यपाल को संवैधानिक सलाह देने वाले एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया सत्यपाल जैन ने विधानसभा के विशेष सत्र को आप सरकार की अपरिपक्वता करार देते हुए आउटलुक से कहा, “बहुमत की सरकार केवल विश्वास मत का प्रस्ताव लाने के लिए विधानसभा का विशेष सत्र बुलाए, ऐसा विधान नहीं है। एक आइटम एजेंडा के लिए सत्र नहीं बुलाया जा सकता।”
इससे पहले भी आप सरकार और राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित के बीच कई दफा तकरार के मामले सामने आए हैं। चाहे एक विधायक एक पेंशन का मामला हो या ग्रामीण इलाकों के विकास फंड का, दिल्ली की तर्ज पर पंजाब में भी राज्यपाल और आप सरकार के बीच तनातनी जगजाहिर है।
मान ने सीएम की कुर्सी संभालते ही भ्रष्टाचार पर नकेल के लिए हेल्पलाइन नंबर जारी किया। इस हेल्पलाइन पर भ्रष्टाचार की शिकायतें कम आईं पर सरकार के गठन के पहले दो महीने में कैबिनेट मंत्री विजय सिंगला भ्रष्टाचार के आरोप में पकड़ में आ गए। कांग्रेस की चरणजीत सिंह चन्नी सरकार के दो पूर्व कैबिनेट मंत्रियों साधु सिंह धर्मसोत, भारतभूषण आशु और चन्नी के भतीजे समेत दर्जन भर आला अधिकारियों की गिरफ्तारी से मान सरकार ने भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम का संदेश दिया, मगर इस मुहिम में शक के दायरे में आए दर्जन भर से अधिक प्रिंसिपल सेक्रेटरी और एडिशनल चीफ सेक्रेटरी प्रतिनियुक्ति पर केंद्र सरकार की सेवाओं में चले गए हैं। इनके अलावा डीजीपी रहे दो पुलिस अधिकारियों में दिनकर गुप्ता और वीके भांवरां और कैप्टन अमरिंदर सरकार में चीफ सेक्रेटरी रही विन्नी महाजन इन दिनों केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर हैं।
अरविंद केजरीवाल और राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा के मार्गदर्शन में चल रही पंजाब की आप सरकार खालिस्तानियों को संरक्षण देने के आरोपों से भी घिरी है। ऑपरेशन ब्लू स्टार की बरसी पर कट्टर सिख जत्थेबंदियों ने अमृतसर समेत पंजाब के कई शहरों में जरनैल सिंह भिंडरांवाले के पोस्टरों के साथ पुलिस की मौजूदगी में रैलियां निकालीं। सरकारी बसों पर भिंडरांवाले की तस्वीरों के साथ खालिस्तानी नारे लिखे होने के मामले सामने आने पर पंजाब के डीजीपी कार्यालय ने पेप्सु रोड ट्रांसपोर्ट कॉर्पोरेशन को बसों से तस्वीर हटाने के निर्देश दिए पर आप सरकार ने दोबारा जारी आदेशों में कहा, “धार्मिक भावनाओं को ठेस न पहुंचे, इसलिए आदेश वापस लिए जा रहे हैं”।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अश्विनी शर्मा ने कहा, “पंजाब में कानून-व्यवस्था से लेकर खालिस्तानी विचारधारा के संभावित खतरों से निपटने की जिम्मेदारी भगवंत मान सरकार की ही है। खालिस्तानी विचारधारा के लोगों पर कार्रवाई के बजाय मान सरकार ने अपने ही आदेशों को पलट कर खालिस्तान समर्थकों को हवा दी है। भिंडरांवाले की तस्वीरों के साथ आज पंजाब में खालिस्तानी नारे लगाने वाले लोगों को संरक्षण देकर आप सरकार सवालों के घेरे में है”।
कुल मिलाकर रिवायती दलों के बदलाव की बयार में पंजाब में अप्रत्याशित बहुमत की आप सरकार छह महीने में अपनी कई ‘खास’ कारगुजारियों के चलते लगातार सुर्खियों में है।