Advertisement

द कश्मीर फाइल्स: हकीकत आधी, कमाई पूरी

प्रधानमंत्री ने फिल्म की प्रशंसा की तो भाजपा शासित राज्यों में इसे टैक्स-फ्री करने की लगी होड़
द कश्मीर फाइल्स फिल्म के एक दृश्य में अनुपम खेर

भले आलोचकों के मुताबिक विवादास्पद और आधी सच्चाई को उत्तेजक तथा ‘अतिश्योक्तिपूर्ण’ ढंग से पेश किया गया हो, मगर फिल्म द कश्मीर फाइल्स कमाई भरपूर कर रही है और लगे हाथ कश्मीरी पंडितों की त्रासदी और उनके पुनर्वास पर नए सिरे से रोशनी डाल रही है, जो 1990 में हिंसा में जल रहे कश्मीर घाटी से पलायन करने पर मजबूर हुए थे। अनुपम खेर, मिथुन चक्रवर्ती और पल्लवी जोशी अभिनित विवेक अग्निहोत्री के निर्देशन की इस फिल्म ने रिलीज होने के पहले ही दिन 3.5 करोड़ रुपये की कमाई कर ली। सिर्फ 20 करोड़ रुपये की लागत से बनी द कश्मीर फाइल्स ने दो सप्ताह के भीतर ही 200 करोड़ रुपये की कमाई के जादुई आंकड़े को पार कर सभी को चौंका दिया। इससे पहले विवेक अग्निहोत्री की किसी भी फिल्म ने 20 करोड़ रुपये से ज्यादा का लाइफटाइम बिजनेस नहीं किया था।

फिल्म एक्सपर्ट और कम्पलीट सिनेमा पत्रिका के सम्पादक अतुल मोहन आउटलुक से कहते हैं, ‘‘इस फिल्म के हिट होने का सबसे बड़ा कारण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा इसकी तारीफ करना है। दूसरे, इस फिल्म की स्ट्रेटजी और मीडिया मैनेजमेंट ने भी इसकी सफलता में बड़ा योगदान दिया है।’’ बड़े पर्दे पर अपनी फिल्म बच्चन पांडे के औसत प्रदर्शन के बाद अभिनेता अक्षय कुमार को यह स्वीकार्य करना पड़ा कि द कश्मीर फाइल्स ने उनकी फिल्म को बॉक्स ऑफिस पर डुबा दिया।

यह कहना गलत नहीं होगा कि द कश्मीर फाइल्स ऐसी पहली फिल्म है जिसे केंद्र सरकार ने प्रत्यक्ष रूप से अनुमोदित किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भाजपा संसदीय दल की बैठक में कहा कि लंबे समय तक जिस सच को छुपाने की कोशिश की गई, इस फिल्म ने उस सच को उजागर किया है। ऐसी फिल्में बनती रहनी चाहिए। गृह मंत्री अमित शाह ने तो यहां तक कह डाला कि जिन लोगों ने इस फिल्म को नहीं देखा है, उन्हें यह फिल्म देखनी चाहिए। फिर क्या था, भाजपा समर्थित राज्यों में इसे टैक्स फ्री करने की होड़ मच गई। अभी तक यह फिल्म उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, हरियाणा, गुजरात, मध्य प्रदेश, गोवा और बिहार जैसे राज्यों में टैक्स फ्री हो चुकी है। मध्य प्रदेश सरकार ने तो प्रदेश की सभी पुलिसकर्मियों को यह फिल्म देखने के लिए छुट्टी का ऐलान कर दिया।

भाजपा जहां विपक्ष में है, वहां उसे टैक्स फ्री करने की मांग उठा रही है। ऐसी ही मांग पर विधानसभा में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा, ‘‘टैक्स फ्री करने की क्या दरकार है, उसे यूट्यूब पर डाल दो फ्री ही फ्री है। क्या हालत बना दी है भाजपा वालों की, एक झूठी फिल्म का प्रमोशन और पोस्टर लगाने के लिए राजनीति में आए थे।’’ उन्होंने हरियाणा के एक भाजपा नेता के लोगों के लिए सार्वजनिक स्थान पर मुफ्त प्रदर्शन की कोशिश पर विवेक अग्रिहोत्री के ऐसा न करने के ट्वीट का भी हवाला दिया, क्योंकि ‘‘उससे तो कमाई मारी जाती।’’

जो भी हो, फिल्म ने सियासी हलचल भी खूब मचा दी है। भाजपा के नेता-कार्यकर्ता जहां इस फिल्म की तारीफ में कसीदे पढ़ रहे हैं, विपक्ष इसे आधा सच बता कर खारिज कर रहा है। कुछ लोग द कश्मीर फाइल्स को प्रोपेगेंडा बता रहे हैं जिसमें जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के मुखिया फारूक अब्दुल्ला जैसे बड़े नाम भी शामिल हैं। फिल्म पर यह आरोप भी लग रहे हैं कि इसमें एक समुदाय के प्रति पूरी तरह से घृणा और द्वेष दिखाया गया है, जो समाज में नफरत बोने का काम कर रही है।

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री ने भूपेश बघेल कहा, ‘‘फिल्म आधा सच दिखाती है और कोई समाधान नहीं सुझाती। फिल्म में केवल हिंसा है जिसका कोई मतलब नहीं है।’’ कांग्रेस का सवाल है, ‘‘जब 1990 में कश्मीरी पंडित आतंक और बर्बरता के साये में पलायन को मजबूर हुए, तब भाजपा के 85 सांसद थे जो केंद्र में वी.पी.सिंह की सरकार को समर्थन दे रहे थे। उस वक्त भाजपा चुप क्यों थी?’’

शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा, ‘‘फिल्म में सच छुपाया गया और बहुत सारी झूठी कथाएं दिखाई गई हैं। भाजपा इस फिल्म का प्रचार कर रही है और इसे सिर्फ भाजपा समर्थक ही देख रहे हैं।’’ इन आरोपों पर आउटलुक से फिल्म के निर्देशक विवेक अग्निहोत्री ने कहा, ‘‘अभी तक कश्मीर पर 8 फिल्में बन चुकी हैं लेकिन हिंदुओं की कोई बात नहीं हुई है। मैं ठेकेदार नहीं हूं, जो सभी पहलुओं को दिखाता रहूं। कश्मीर पर बनी कोई भी फिल्म सत्य आधारित नहीं है, हमने सत्य दिखाया, इसलिए लोग इसे पसंद कर रहे हैं।’’

जामिया मिल्लिया इस्लामिया में पढ़ने वाले एक छात्र, जो खुद कश्मीरी पंडित हैं और जिनके परिवार ने 1990 के दंश को झेला है, वे नाम न छापने के शर्त पर कहते हैं, ‘‘कश्मीरी पंडितों ने जो दुख-दर्द सहा है उसपर कभी खुलकर बात नहीं की गई। इस फिल्म ने फिर से पुराने दु:स्वप्न को ताजा कर दिया है।’’

इस फिल्म ने देश में, खास तौर से बॉलीवुड में एक नए नैरेटिव को सेट किया है। वहीं, सरकार की तरफ से इस फिल्म को प्रोत्साहन प्राप्त होने बाद इसकी अभूतपूर्व सफलता को देखकर आने वाले समय में ऐसी और फिल्में बड़े पर्दे पर देखने को मिलेंगी, यह कहना गलत नहीं होगा!

Advertisement
Advertisement
Advertisement